महावत खां के काम से जहांगीर इतना खुश हो गया कि उसने अपने सेनापति को मुगल सेना का चीफ बना दिया।
इतिहास में हम सभी मुगलों के अत्याचार और बर्बरता के विषय में पढ़ते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इतिहास में कोई ऐसा भी था जिसने मुगलों को भी नाकों चने चबवा दिए थे। जी हां, मुगल शासक जहांगीर को उसके सेनापति ने ही नाकों चने चबवा दिया था। उसनेजहांगीर को ही नजरबंद कर दिया और शासन चलाया था। आइए जानते हैं इस घटना के विषय में पूरी जानकारी प्राप्त कर लेते हैं।
महावत के काम से खुश जहांगीर ने बनाया था मुगल सेना का चीफ
जब देश में मुगल शासक जहांगीर का शासन था तो उसका सेनापति महावत खां था। महावत खां ने जहांगीर की सेना में शामिल होकर काम करना शुरू किया तो सबसे पहले उसे 500 सिपाहियों का प्रभारी बनाया गया और उसके बाद जब जहांगीर शहंशाह बना तो उसने महावत खां को 1500 सिपाहियों का प्रभारी बना दिया। इसके बाद महावत खां के काम से जहांगीर इतना खुश हो गया कि उसने अपने सेनापति को मुगल सेना का चीफ बना दिया।
महावत पर लगे थे गंभीर आरोप
जब महावत खां सेना का चीफ था तब शहजादा परवेज की उससे गहरी दोस्ती थी। वे दोनों साथ ही रहते थे। लेकिन एक सेनापति के साथ किसी शहजादे का रहना अच्छा नहीं माना जाता था। यही वजह थी कि नूरजहां ने दोनों को अलग करने का फैसला किया। रानी का यह फैसला शहजादे को यह पसंद नहीं था। शहजादे से अलग करने के लिए महावत खां को दरबार में उपस्थित होने के लिए कहा गया। दरबार में महावत खां पर कई गंभीर आरोप लगाए गए और बेइज्जती कर जेल भेज दिया गया।
जहांगीर को कर दिया था नजरबंद
लेकिन अपने अपमान के बाद महाबत खां कहां चुप बैठने वाला था। उसने विद्रोह कर दिया और 5 हजार सैनिकों के साथ शाही शिविर को घेर लिया। नूरजहां तो बच कर निकल गई लेकिन जहांगीर को पकड़ लिया गया। जहांगीर के पकड़े जाने के बाद नूरजहां ने भी आत्मसमर्पण कर दिया। उसके बाद वह बादशाह के साथ ही रहने लगी। प्रशासन में अब महावत खां का कब्जा हो गया था। नूरजहां भी इस अपमान के बाद कहां चुप बैठने वाली थी। उसने लाहौर में राजपूत सैनिकों के साथ मिलकर नूरजहां ने खुद को और जहांगीर को आजाद करा दिया। साल 1634 में महावत खां की मौत हो गई। वह इतिहास के उन सेनापतियों में से है जिसने अपने राजा को ही नजरबंद कर दिया था।