जानें क्यों भाजपा के लिए राहत भरे हैं उपचुनाव के नतीजे, सपा-आप के लिए बजी खतरे की घंटी?
तीन लोकसभा और सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आ चुके हैं। लोकसभा की तीन में से दो सीटों पर भाजपा, जबकि एक पर शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के प्रत्याशी की जीत हुई है। इसी तरह सात विधानसभा सीटों में से तीन पर भाजपा, दो पर कांग्रेस, एक पर वाईएसआर कांग्रेस और एक पर आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी ने जीत हासिल की।
इन नतीजों ने भारतीय जनता पार्टी को बड़ी राहत दी है तो समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी के लिए खतरे की घंटी भी बजा दी। आइए जानते हैं कि ये नतीजे क्या संदेश दे रहे हैं?
पहले जानिए उपचुनाव में क्या हुआ? तीन लोकसभा और सात विधानसभा सीटों पर 23 जून को उपचुनाव हुए थे। इसमें उत्तर प्रदेश की रामपुर और आजमगढ़ सीट को भाजपा ने समाजवादी पार्टी से छीन लिया। यहां रामपुर से भाजपा के उम्मीदवार घनश्याम लोधी और आजमगढ़ से दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ ने जीत हासिल की। 2019 में इन दोनों सीटों पर समाजवादी पार्टी की जीत हुई थी।
वहीं, भगवंत मान के इस्तीफे के बाद खाली हुई पंजाब की संगरूर लोकसभा सीट पर शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) ने आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी को शिकस्त दी। दूसरी ओर विधानसभा सीटों की बात करें तो त्रिपुरा की चार सीटों में से तीन पर भाजपा और एक सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत हासिल की। आंध्र प्रदेश की आत्मकुर सीट पर वाईएसआर कांग्रेस, दिल्ली की राजिंदर नगर सीट पर आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी ने जीत हासिल की है। झारखंड के रांची स्थित मांडर विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी शिल्पी नेहा तिर्की विजेता घोषित की गईं।
भाजपा के लिए नतीजों को मायने? 14 जून को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और तीनों सेना के प्रमुख ने ‘अग्निपथ’ योजना लॉन्च की। इस योजना के तहत अब सेना में चार साल के लिए युवाओं की भर्ती होगी। इन्हें अग्निवीर कहा जाएगा। सरकार की इस योजना के खिलाफ देशभर में युवाओं ने प्रदर्शन किया।
यूपी-बिहार में सबसे ज्यादा बवाल हुआ। कई जिलों में ट्रेनें, बसें फूंक दी गईं। पथराव और तोड़फोड़ की घटनाएं भी सामने आईं। इन उपद्रवों में दो लोगों की मौत हो गई, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हुए। कहा जा रहा था कि इस योजना से युवा काफी नाराज हैं और इसका भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
योजना के लॉन्च होने के बाद 23 जून को भाजपा की पहली अग्निपरीक्षा उपचुनाव के रूप में हुई। इसमें भाजपा ने सफलता हासिल कर ली। भाजपा ने तीन में से दो लोकसभा और सात में से तीन विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की। आजमगढ़ की जीत सबसे ज्यादा मायने रखती है। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां बड़ी संख्या में युवा सेना भर्ती की तैयारी करते हैं। ये समाजवादी पार्टी का गढ़ भी कहा जाता है। इसके बावजूद भाजपा को यहां जीत मिली।
सपा-आप के लिए क्या मायने? समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी के लिए नतीजे खतरे की घंटी हैं। रामपुर और आजमगढ़ समाजवादी पार्टी का गढ़ है। इसके बावजूद यहां मिली हार समाजवादी पार्टी के अंदरूनी लड़ाई को साफ करती है। साल की शुरुआत में हुए विधानसभा चुनाव में सपा को आजमगढ़ जिले की सभी दस सीटों पर जीत मिली थी। उप चुनाव के नतीजे इस ओर भी इशारा कर रहे कि पार्टी के समर्थक भी अब सपा की रणनीतियों में बदलाव चाहते हैं।
पंजाब में संगरूर मुख्यमंत्री भगवंत मान का गढ़ है। मान लगातार दो बार ये इस सीट से सासंद थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने संगरूर सीट से इस्तीफा दिया था। मुख्यमंत्री के गढ़ में आम आदमी पार्टी को पंजाब की संगरूर सीट पर बड़ी हार मिली है। यहां हुए उपचुनाव में शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के प्रमुख सिमरनजीत सिंह मान ने जीत हासिल की है। राज्य में आप सरकार बनने के 100 दिन बाद ही मिली हार आप के लिए बड़ा झटका है। एक्सपर्ट इसके पीछे का कारण कानून व्यवस्था जैसे मामलों को बताते हैंं।
विधानसभा उपचुनाव के नतीजे क्या संकेत देते हैं? विधानसभा उपचुनाव में सबसे ज्यादा चार सीटों पर त्रिपुरा में उपचुनाव हुए। इनमें से तीन सीटों पर भाजपा तो एक पर कांग्रेस को जीत मिली। 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में इन चार में दो सीटें भाजपा ने जीती थीं। वहीं, एक-एक सीट पर कांग्रेस और सीपीएम को जीत मिली थी।
राज्य में एक साल के अंदर चुनाव होने हैं। ऐसे में ये नतीजे भाजपा के लिए अच्छा संकेत माने जा रहे हैं। हालांकि, 2018 में जीती अगरतला सीट पर भाजपा को हार मिली है। सबसे ज्यादा निराशाजनक नतीजे सीपीएम के लिए। राज्य में 25 साल सत्ता में रही ये पार्टी सिर्फ एक सीट पर दूसरे नंबर पर रही।
दिल्ली में राजिंदर नगर सीट पर आप को फिर से जीत मिली। वहीं, आंध्र प्रदेश में की आत्मपुर सीट पर वाइएसआर कांग्रेस का कब्जा बरकार रहा। वहीं, झारखंड में पिता बंधु तिर्की की अयोग्य घोषित होने के बाद चुनाव लड़ रहीं शिल्पी नेहा तिर्की जीतने में सफल रहीं।