जिला कुल्लू के अधिष्ठाता भगवान रघुनाथ सहित प्रमुख देवी-देवता लंका दहन की परंपरा को निभाने के लिए ढालपुर के कैटल मैदान पहुंचे।। इस दौरान हजारों लोगों ने जय श्रीराम के उद्घोष के साथ रथ को खींचकर लाया।
सात दिनों तक आयोजित किया गया अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव लंका दहन के साथ मंगलवार को संपन्न हो गया। जिला कुल्लू के अधिष्ठाता भगवान रघुनाथ सहित प्रमुख देवी-देवता लंका दहन की परंपरा को निभाने के लिए ढालपुर के कैटल मैदान पहुंचे। इस दौरान हजारों लोगों ने जय श्रीराम के उद्घोष के साथ रथ को खींचकर लाया। बता दें देवी-देवताओं के महाकुंभ कहे जाने वाले अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के छठे दिन सोमवार को मोहल्ला मनाया गया था। भगवान रघुनाथ लंका पर चढ़ाई करने के लिए देवी-देवताओं ने भगवान रघुनाथ को शक्तियां प्रदान की थीं। मंगलवार को लंका दहन के साथ इसका समापन हुआ। 1650 को अयोध्या से लाए भगवान रघुनाथ के बाद से दशहरा उत्सव मनाया जा रहा है।
बारिश ने डाला खलल, पांच घंटे देरी से देवालय लौटे देवता
अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में शरीक हुए सैकड़ों देवी-देवता अपने देवालय की ओर कूच कर गए हैं। सोमवार रात से लगातार जारी बारिश के कारण दूरदराज के देवी-देवता पांच घंटे देरी से देवालय के लिए लौटे। अमूमन बंजार, सैंज और बाह्य सराज के देवी-देवता दशहरा के आखिरी दिन सुबह 7:00 बजे से अपने देवालय के लौटना शुरू हो जाते हैं। इस बार बारिश के कारण देवता दोपहर 12:00 बजे के बाद अपने अस्थायी शिविरों से लौटे हैं। देवलू सुबह से ही मौसम साफ होने के लिए अस्थायी शिविरों में इंतजार करते रहे। सात दिन तक देवलोक में तबदील रघुनाथ की नगरी अब देवताओं के बिना सूनी पड़ गई है।
दशहरा के समापन के बाद 250 से अधिक देवी-देवता अपने देवालय की तरफ ढोल-नगाड़ों की थाप पर कूच कर गए। देवालय लौटने से पहले देवताओं ने भगवान रघुनाथ से भी मिलकर अपने सुख-दुख को साझा किया और अगले वर्ष फिर आने का वादा किया। कई देवी-देवताओं ने रवानगी से पूर्व भगवान रघुनाथ को सम्मान सहित उनके देवालय रघुनाथपुर तक पहुंचाया। देवी देवता कारदार संघ के पूर्व अध्यक्ष दोत राम ठाकुर ने कहा कि एक हफ्ते तक देवलोक में बदली रघुनाथ की धरा अब अगले साल तक के लिए सूनी पड़ गई है।