कुल्लू, 08 अक्तूबर : चंद सप्ताह पहले क्लासरूम में प्रशिक्षु टीचर वैशाली विष्ट का पढ़ाने का तरीका खासा वायरल हुआ था। एक कविता पाठ के जरिए वैशाली ने नन्हें बच्चों को रामायण का सारांक्ष समझा डाला। सोशल मीडिया में संघर्षशील वैशाली विष्ट का वीडियो खासा वायरल हुआ।
इसके बाद अब उत्तर प्रदेश की संस्था विश्व साहित्य सेवा ट्रस्ट ने वैशाली की हौंसला अफजाई की है। ट्रस्ट ने वैशाली को राष्ट्र रतन से नवाजा है। हालांकि, वायरल वीडियो से अधिक वैशाली का संघर्ष महत्व रखता है। वीडियो के वायरल होने के बाद वैशाली के जीवन से जुड़ी एक मार्मिक जानकारी भी सामने आई थी।
आजादी के अमृत महोत्सव के स्वर्णिम अवसर पर ट्रस्ट ने साहित्यिक योगदान के लिए वैशाली को राष्ट्र रतन सम्मान से अलंकृत किया है। बचपन से ही वैशाली ने संघर्ष का सामना किया। 20 साल की वैशाली लेखन में भी माहिर हैै। कुल्लू के बजौरा की रहने वाली युवती के जीवन में एक मुकाम ऐसा भी आया था, जब वो अवसाद का शिकार हो जाती।
दसवीं कक्षा में रोजाना दर्जनों बार चक्कर आ जाया करते थे। हाल ही में एक पत्रिका ने वैशाली के जीवन से जुडे़ लेख को राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित किया था। कुल्लू से पीजीआई तक का सफर कर चुकी वैशाली के जीवन के मायने ही बदल गए हैं।
युवा अवस्था की पहली दहलीज पर वैशाली ने स्वास्थ्य से जुड़े कई असहनीय दर्द भी झेले हैं। दीगर है कि 12वीं कक्षा में वैशाली ने ट्रीटमेंट जारी होने के बावजूद 76 प्रतिशत अंक हासिल किए थे। इस समय वो बजौरा में जेबीटी की पढ़ाई कर रही है।