कूनो नेशनल पार्क में सभी आठ चीतों को बड़े बाड़ों में छोड़ दिया गया है। नर चीतों के बाद अब मादा चीता आशा ने भी चीतल का शिकार किया है। यह प्रोजेक्ट चीता के लिए अहम है। इससे साफ होता है कि चीते कूनो के माहौल में अच्छे से ढल रहे हैं। अन्य मादा चीता अलग-अलग शिकार की कोशिशें कर रही हैं। वन विभाग के अधिकारियों को उम्मीद है कि जल्द ही वह अपना पहला शिकार कर लेंगी।
नामीबिया से आठ चीतों को प्रोजेक्ट चीता के तहत कूनो नेशनल पार्क में लाया गया है। इनमें तीन नर और पांच मादा चीता शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन चीतों को अपने जन्मदिन पर 17 सितंबर को श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क के क्वारंटाइन बाड़ों में छोड़ा था। क्वारंटाइन समय खत्म होने के बाद एक-एक कर उन्हें बड़े बाड़ों में छोड़ा गया। एल्टन और फ्रेडी नामक भाइयों को 5 नवंबर को बड़े बाड़े में शिफ्ट किया गया था और इसके बाद ओबैन को 18 नवंबर को छोड़ा गया था। यह तीनों ही नर चीते अपने नए घर के अभ्यस्त हो रहे हैं। दो मादा चीतों को 27 नवंबर को आशा और तब्लिसी को बड़े बाड़ों में छोड़ा गया था और इसके 28 नवंबर को तीन अन्य मादा चीता सवाना, शाशा और सियाया को भी बड़े बाड़ों में छोड़ा है।
चार साल की आशा ने किया पहला शिकार
चार साल की मादा चीता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आशा नाम दिया था। मंगलवार सुबह छह बजे मॉनिटरिंग के लिए गई टीम को बाड़ा नंबर सात में चीतल के अवशेष मिले हैं। रविवार को इसी बाड़े में आशा और तिबलिसी को छोड़ा गया था। यह शिकार आशा ने किया है। तब्लिसी अब तक शिकार नहीं कर सकी है। वन विभाग के अफसरों का दावा है कि आशा का शिकार करते अन्य मादाओं ने देखा है। इससे उन्हें भी शिकार की प्रेरणा मिलेगी।
फिलहाल अलग-अलग रहेंगे नर और मादा
सोमवार को तीन मादा चीतों को बाड़ा नंबर पांच में छोड़ा गया था। 120 हैक्टेयर के इस बाड़े में तीनों अलग-अलग रह रही हैं। तीनों मादा चीते स्वस्थ नजर आ रही हैं। फिलहाल तीनों अलग-अलग हो गई हैं और अपने क्षेत्र बना रही हैं। इनके व्यवहार में बदलाव संभव है। खास बात यह है कि इन पांचों मादा चीतों को फिलहाल नर चीतों से अलग रखा गया है। फरवरी में इन्हें खुले जंगल में छोड़ा जाएगा, तब मादा और नर चीते साथ आ सकते हैं। यह पूरी तरह से प्राकृतिक माहौल में हो, इसका खास ध्यान रखा जा रहा है।
दिन में चार बार मिलेगी चीतों की लोकेशन
बड़े बाड़े में छोड़े गए चीतों को कॉलर आईडी पहनाए गए हैं, जिससे दिन में चार बार उनकी लोकेशन ली जाएगी। सैटेलाइट मैपिंग की जा रही है। इससे मदद की जरूरत के अनुसार चीतों के पास टीम पहुंच सकेगी। जिन बाड़ों में चीतों को छोड़ा गया है, वहां जंगली सुअर, नीलगाय और चीतल समेत अन्य जानवर हैं। तीन-चार महीने यहां बिताने के बाद उन्हें खुले जंगल में छोड़ा जाएगा।
चीतों की सुरक्षा के लिए तेंदुओं को बाहर निकाला
कूनो नेशनल पार्क में जो बड़े बाड़े बनाए गए हैं, उनमें छह तेंदुएं आ गए थे। चीतों को तेंदुओं से खतरा हो सकता था, इस वजह से उन्हें बाहर निकालने में वन विभाग को सफलता मिली है। रविवार रात को बड़े बाड़े में फंसा एक तेंदुआ भी बाहर कर दिया गया। यह सकारात्मक है। इससे चीतों पर मंडराता खतरा फिलहाल टल गया है। फरवरी के बाद इन चीतों को खुले जंगल में छोड़ा जाएगा, तब तक चीते तेंदुओं के साथ रहने के अभ्यस्त हो जाएंगे।