LAC face-off: गलवां से सीखा सबक तवांग में आया काम, भारतीय सैनिकों ने फेल किया ड्रैगन का ‘3 लाइन’ फॉर्मूला

LAC face-off: रक्षा विशेषज्ञ प्रफुल्ल बख्शी ने कहा, चीनी सेना की हरकतों पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। ऐसे में पेट्रोलिंग पॉइंट्स को स्थायी नियंत्रण रेखा बना देना चाहिए। भारत को सीमावर्ती क्षेत्रों में अपने रसद में सुधार करना होगा और साथ ही चीन की हरकतों को देखते हुए भारत को अपना रुख बदलना होगा…

LAC face-off: Indian army and PLA

अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प में, दोनों देशों के सैनिक घायल हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक, यह झड़प एक दिन का नतीजा नहीं थी। लगभग साठ दिन से चीन की सेना यानी ‘पीएलए’ के सैनिक, भारतीय सेना को उकसा रहे थे। दो माह के दौरान एलएसी पर दोनों देशों के सैनिक कई बार आमने-सामने आए थे। 9 दिसंबर की रात को हुई झड़प में चीन के सैनिक, एलएसी के उस हिस्से पर आने का प्रयास कर रहे थे, जहां दशकों से भारतीय फौज गश्त करती रही है। चीन के सैनिकों ने धक्का-मुक्की शुरू कर दी। उसके बाद नुकीली रॉड से भारतीय सैनिकों को पीछे हटाने की कोशिश की। चीनी सैनिकों के पीछे जो कतार थी, उनके हाथों में डंडे और पत्थर थे। भारतीय सैनिक, पीएलए के तौर-तरीकों से वाकिफ थे, इसलिए उन्होंने कठोर तरीके से जवाब दिया। कुछ ही देर बाद पीएलए के सैनिकों को वहां से खदेड़ दिया गया। भारतीय सैनिकों ने पीएलए को उस प्वाइंट तक पीछे हटने को मजबूर कर दिया, जहां सामान्य स्थिति में दोनों देशों की गश्त होती है।

गलवान में देखने को मिला था ड्रैगन का ‘3 लाइन’ फार्मूला

साल 2020 में हुई गलवान की घटना के बाद, कई बार दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने आ चुके हैं। भारत ने चीन से लगते लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के बॉर्डर पर कई क्षेत्रों में सड़क निर्माण शुरू किया है। गलवां घाटी में भारत द्वारा किए जा रहे सड़क के निर्माण पर चीन के सैनिकों ने आपत्ति जताई थी। दो सौ से अधिक सैनिकों ने एलएसी का उल्लंघन करने का प्रयास किया। तब भी पीएलए के सैनिकों के हाथों में लोहे की रॉड और डंडे थे। उस वक्त भी कई सैनिक घायल हो गए थे। तवांग सेक्टर में यह पहला मामला नहीं है।

इससे पहले भी कई बार पीएलए के सैनिकों ने एलएसी पर विवाद को बढ़ाने की कोशिश की है। तवांग सेक्टर में चीन के सैनिकों के हाथ में कई तरह की वस्तुएं थीं। उनके हाथ में साढ़े तीन फुट लंबी रॉड थी। दूर से देखने पर यह रॉड, एक डंडे की तरह नजर आती है। आमने-सामने होने पर ही यह रॉड सही तरह से दिखती है। रॉड के निचले सिरे की तरफ करीब दो फुट तक की ऊंचाई तक नुकीली कीलें लगी होती हैं। गश्त के दौरान पीएलए के सभी सैनिकों के पास ऐसी रॉड होती हैं। गलवान घाटी की झड़प में बड़े स्तर पर ड्रैगन का ‘3 लाइन’ फ\र्मूला यानी ‘रॉड, डंडा और पत्थर’ देखने को मिला था।

पेट्रोलिंग पॉइंट्स को स्थायी नियंत्रण रेखा बना दिया जाए

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प को लेकर लोकसभा में बताया, चीन के अतिक्रमण को भारतीय सेना ने रोक दिया है। चीन की सेना को पीछे जाने के लिए मजबूर कर दिया। इस झड़प में भारत का कोई भी सैनिक शहीद नहीं हुआ है। हमारा कोई सैनिक गंभीर रूप से घायल नहीं है। झड़प के बाद स्थानीय कमांडर ने 11 दिसंबर को अपने चीनी समकक्ष के साथ फ्लैग मीटिंग की है। पीएलए सैनिक अब अपने स्थान पर वापस चले गए हैं। भारतीय सेनाएं हमारी भौमिक अखंडता को सुरक्षित रखने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। इस मसले पर चीनी पक्ष के साथ कूटनीतिक कदम भी उठाया गया है।

रक्षा विशेषज्ञ प्रफुल्ल बख्शी ने कहा, चीनी सेना की हरकतों पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। ऐसे में पेट्रोलिंग पॉइंट्स को स्थायी नियंत्रण रेखा बना देना चाहिए। भारत को सीमावर्ती क्षेत्रों में अपने रसद में सुधार करना होगा और साथ ही चीन की हरकतों को देखते हुए भारत को अपना रुख बदलना होगा। 1996 के समझौते के तहत, एलएसी पर दोनों देश, हथियारों का इस्तेमाल नहीं कर सकते। यहां तक कि एलएसी के दो किलोमीटर तक के हिस्से में राइफल का मुंह जमीन की तरफ रखा जाता है। यही वजह है कि चीन के सैनिकों के हाथ में लोहे की रॉड, डंडे और पत्थर देखे जा सकते हैं। एक मीडिया रिपोर्ट में सामने आया था कि पीएलए के सैनिकों को तिब्बत के पठार में रहने वाले लड़ाके ट्रेनिंग दे रहे हैं। वे लड़ाके, चीन के सैनिकों को नुकीली रॉड, मार्शल आर्ट व डंडे का इस्तेमाल करना सिखाते हैं।