दिल्ली पुलिस की हेड कांस्टेबल गुरप्रीत कौर (Delhi Police Head Constable Gurpreet Kaur) ने इंसानियत और साहस का जो परिचय दिया है. वो वाकई में दिल जीतने वाला है. गुरप्रीत ने एक नहीं पूरे 56 परिवारों को उनके बिछड़े हुए सदस्य से मिलाने का काम किया है. वो उन सभी के लिए किसी फ़रिश्ते से कम नहीं हैं, जो अपने परिवार से दूर हो गए थे. खास बात यह कि गुरप्रीत ने 3 महीने में इस काम को अंजाम दिया है.
दिल्ली पुलिस की हेड कांस्टेबल गुरप्रीत कौर की कहानी
गौरतलब हो कि दिल्ली पुलिस ऑडियो प्रेजेंटेशन के द्वारा अपनी बात अब जनता तक पहुंचाने का काम कर रही है. ‘किस्सा खाकी का’, के नाम से दिल्ली पुलिस पॉडकास्ट के माध्यम से हर सप्ताह मानवता, साहस, न्याय और अपराध की कई कहानियां उजागर कर रही है. इसी क्रम में हाल ही में गुरप्रीत कौर की कहानी सामने आई है.
साल 2021 में हेड कांस्टेबल गुरप्रीत कौर को एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट में पोस्टिंग दी गई थी. इस बीच दिसंबर 2021 में दिल्ली के एक इलाके से 13 साल की लड़की के लापता होने का मामला सामने आया. बाद में पता चला कि वो अपने एक दोस्त के साथ घर छोड़कर चली गई है. तलाश शुरू हुई. कोई जरिया नहीं था. ऐसे में उम्मीद की किरण बन कर सामने आईं हेड कांस्टेबल गुरप्रीत कौर ने समाधान खोज निकाला.
दिल्ली पुलिस पॉडकास्ट #KissaKhakiKa में सुनाई गई कहानी
गुरप्रीत ने अपनी समझदारी दिखाते हुए एक लड़की की इंस्टाग्राम अकाउंट की मदद से दोनों लड़कियों को खोज निकाला. आज दोनों लड़कियां अपने परिवार के साथ हैं. ऐसा ही एक अन्य मामले में एक दिन एक और बच्ची की गुमशुदी की रिपोर्ट दर्ज हुई. इस बार गुरप्रीत कौर ने उस बच्ची की स्कूल की डायरी और कॉपीज की मदद से उस आरोपी को ढूंढ निकाला. जो उस बच्ची को किडनैप करके भाग निकला था. इस केस में भी गुरप्रीत कौर कामयाब रहीं. इसी तरह पाक्सो एक्ट के तहत भी 7 मामलों को उन्होंने सुलझाया है.
3 महीने में 56 गुमशुदा बच्चों को उनके परिवारों से मिलाया
गुरप्रीत कौर तीन माह के अंदर 56 गुमशुदा बच्चों को उनके परिवार से मिला चुकी हैं. इनमें से तीन बच्चों की उम्र 1 से 8 साल के बीच थी. 56 परिवारों के लिए मसीहा बनकर सामने आने वाली गुरप्रीत कौर ने दिल्ली विश्वविद्यालय से पंजाबी लिटरेचर में एमए किया है. इसके आलावा वे गोल्ड मेडलिस्ट भी रही हैं. इसके बाद गुरप्रीत ने वेस्टर्न पंजाबी लिटरेचर में M.Phil किया. इसके साथ ही दिल्ली पुलिस में भर्ती होने की उनकी तमन्ना भी पूरी हुई. आज गुरप्रीत कौर दिल्ली की सड़कों पर अपनी पैनी नजर बनाए हुए हैं ताकि कोई बच्चा किडनैप न हो. फ़िलहाल लेडी सिंघम न सिर्फ करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणादायक हैं बल्कि उन्होंने साबित किया कि मानवता और साहस का नाम खाकी है.