ललिता शंकर: बचपन में लोग दादी कहकर चिढ़ाते थे, क्रोशिया के दम पर बना दिए 2 गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड

एक दौर था जब ऊन के गोले में रिश्तों की गर्माहट बसती थी. लेकिन जब से फैशन का दौर चला है लोगों ने रेडिमेड स्वेटर और स्कार्फ पहनना शुरू कर दिया और कहीं ना कहीं बुनाई, कढ़ाई और क्रोशिया आर्ट विलुप्त होती जा रही है. इसी कला को बनाए रखने का प्रयास कर रही हैं मुंबई की रहने वाली ललिता शंकर. ललिता अब एक Entrepreneur, एक होममेकर, एक मां और दो बार की गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड धारक हैं. 

10 साल की उम्र से कर रही हैं ‘क्रोशिया’

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ललिता शंकर का रिश्ता हुक और ऊन के साथ बरसों पुराना है. जब वह केवल 10 साल की थीं तब से उन्होंने क्रोशिया को अपने हाथों में थाम लिया था. ललिता की मां सरकारी स्कूल में मैथ्स टीचर थी. जहां उनकी मां संख्याओं में महान थीं वहीं कढ़ाई, बुनाई और क्रोशिया आर्ट में भी पारंगत थीं. 

ललिता शंकर ने अपनी मां को देखकर ही बुनाई और क्रोशिया करना सीखा है. ललिता जब छोटी थीं तब वह दीया जालकर बैठ जाती थी और घंटों क्रोशिया किया करती थीं. अक्सर उनके पैरेंट्स उन्हें डांटते थे लेकिन ललिता को इस काम में सबसे ज्यादा आनंद आता था. उनके लिए ऊन उनका सबसे पुराना साथी रहा है, जिसने उन्हें जिंदगी के हर उतार-चढ़ाव में सहारा दिया है.

‘क्रोशिया आर्ट’ का लोग उड़ाते थे मजाक

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अपने एक इंटरव्यू में ललिता बताती हैं कि बड़े होने के बाद आसपास के लोग उनकी कला का मजाक उड़ाने लगे थे. लोग कहते थे कि वह बेकार चीजों में अपना समय बर्बाद कर रही हैं. कुछ लोग यहां तक कहते थे कि वो दादी नहीं हैं जो बुनाई और क्रोशिया किया करती हैं. ललिता का कहना है कि पहले लोग क्रोशिया और बुनाई को बूढ़े लोगों के लिए टाइमपास का काम समझते थे. इसलिए जब ललिता बड़ी हुई और समाज के डर से उन्होंने क्रोशिया करना बंद कर दिया. उनकी शादी हो गई और जब वह प्रेग्नेंट थी तब उन्होंने वापस से क्रोशिया करना शुरू किया. 

इसी दौरान उन्हें एहसास हुआ कि वह अपनी जिंदगी में किस चीज को इतने सालों से मिस कर रही थीं. फिर भी ललिता घर-परिवार में इतना बिजी हो गईं कि वह क्रोशिया को जारी नहीं रख सकीं. लेकिन जब उनके तीनों बच्चे बड़े हो गए, ललिता ने वापस से क्रोशिया करना शुरू कर दिया. ललिता अपने बच्चों के लिए क्रोशिया की मदद से ड्रेस, स्वेटर, टॉप और नेकलेस बनाया करती थीं. उनकी आर्ट को देखकर लोग हैरान हुआ करते थे और स्कूल-कॉलेज में उनके बच्चों की ड्रेस देखकर उनके दोस्त कहां से लिया ऐसा पूछा करते थे. जब ललिता के बच्चों ने उन्हें इस बारे में बताया तो उन्हें काफी खुशी महसूस हुई. 

50 की उम्र में शुरू किया ऑनलाइन बिजनेस

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ललिता ने फिर धीरे-धीरे क्रोशिया से झुमके, कीचेन और कई ढेर सारी फैशन एक्सेसरीज़ बनानी शुरू कर दी. और देखते-देखते उनकी क्रोशिया कृतियां बिकने लगीं और उनका पैशन पेशे में बदल गया. तब जन्म हुआ Cool Crochet का. ललिता ने 50 साल की उम्र में Cool Crochet की शुरुआत की जहां पर लोग सोशल मीडिया की मदद से ऑनलाइन उनकी कृतियों को खरीद सकते हैं. 

ललिता ने कई प्रदर्शनियों में भी अपनी क्रोशिया आर्ट को दिखाया और सराहना भी पाई. क्रोकेट और बुनाई के अलावा ललिता को कढ़ाई, कुंदन ज्वैलरी, सिल्क थ्रेड ज्वैलरी और कुकिंग में खास दिलचस्पी है. ललिता साल 2015 में MICQ मदर इंडिया क्रोकेट क्वींस में शामिल हुईं और दुनिया की सबसे बड़ी क्रोशिया ब्लैंकेट बनाने का हिस्सा बनीं. 

ललिता बताती हैं कि उनके पति को कभी भी उनका क्रोशिया और बुनाई करना पसंद नहीं आया लेकिन विश्व रिकॉर्ड का हिस्सा बनने के लिए उनके पति ने उनका पूरा सपोर्ट किया. दिसंबर 2015 में ललिता के पिता का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. ललिता को ऐसा झटका लगा कि उन्होने क्रोशिया करना ही बंद कर दिया और अवसाद में चली गईं. 

मुश्किल समय में छोटी बेटी बनी सहारा

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इस मुश्किल समय में उनकी छोटी बेटी गायत्री ने वापस से उनका मनोबल बढ़ाया और उन्हें आगे बढ़ने के लिए हिम्मत दी.ललिता कहती हैं कि क्रोशिया को हाथ में थामते ही वह अपने दुख से बाहर आ गईं और उनकी विचारधारा तक बदल गई. उन्होंने क्रोशिया आर्ट को देश ही नहीं विदेश तक पहुंचाने की ठान ली. 

फिर साल 2021 में ललिता ने दूसरे कलाकारों के साथ मिलकर दुनिया का सबसे लंबा क्रोकेट स्कार्फ बनाने का दूसरा गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया. इतना ही नहीं ललिता ने टाटा ग्रुप ऑफ कंपनीज के जरिए एक NGO को क्रोशिया कैप्स दान किए. उन्होंने Knitting Knocker बनाया और इसे Saaisha India के जरिए ब्रेस्ट कैंसर के रोगियों को दान किया. वहीं कोविड के दौरान ललिता ने क्रोकेट मास्क तक बनाए.

ललिता का कहना है कि भारत से बुनाई और क्रोशिया आर्ट धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है. वहीं विदेश में इस आर्ट के लिए लोग लाखों रूपए खर्च कर रहे हैं. 

ललिता ने अपनी इस कला को भारतवर्ष में फैलाने का ठान लिया है और वह बहुत कम शुल्क में ऑनलाइन क्लासेस देती हैं. ललिता खुद भगवान का शुक्रिया अदा करती हैं कि उनके जुनून को आगे बढ़ाने और जीवन में उन्हें इतनी दूर आने का मौका दिया. वह हर किसी से बस यह कहना चाहती हैं कि जिंदगी आपको कहीं भी ले जाए लेकिन आप हमेशा अपने दिल की सुनें. क्योंकि यही आपको हमेशा सही रास्ते पर ले जाएगा.