कश्मीर में टारगेट किलिंग के शिकार हुए बैंक मैनेजर विजय कुमार का शव शुक्रवार सवेरे करीब सात बजे उनके गांव लाया गया। बॉडी के साथ विजय की पत्नी मनोज कुमारी थीं। पूरे रास्ते वह सब्र किए बैठी रहीं, लेकिन जैसे ही घर की दहलीज पर पहुंची तो सास से लिपटकर चीख पड़ीं। फिर बेसुध हो गईं। यही हाल विजय कुमार की मां और पिता का था। मां-बाप बार-बार बेसुध हो रहे थे।
बेटे के शव को देखकर मां उससे लिपट गईं और बार बार यही कहती रहीं, ‘देख, मैंने तुझे कहा था, नौकरी छोड़कर आजा, अपन कम कमा लेंगे, लेकिन तू नहीं माना।’ वे कभी बहू को संभालतीं तो कभी बेटे की ओर देखकर खुद बेसुध हो जातीं। ग्रामीणों और रिश्तेदारों ने शव के पहुंचने से पहले ही अंतिम संस्कार की पूरी तैयारी कर रखी थी। इसके कुछ देर बाद ही अंतिम यात्रा शुरू हुई और सवेरे करीब नौ बजे विजय कुमार का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
अंतिम संस्कार में उमड़ा पूरा गांव
विजय की हत्या के बाद पूरे गांव में गुस्सा है। गुरुवार को जब से यह दुखद खबर आई थी तब से ही गांव के किसी घर में चूल्हा नहीं जला। लोग विजय के घर आते-जाते रहे। यहां तक कि रात को भी कई लोग अपने घर नहीं गए। सवेरे जैसे ही शव गांव में पहुंचा। पूरा गांव अंतिम यात्रा में उमड़ पड़ा। गौरतलब है कि बैंक मैनेजर विजय की कल आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।
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दो दिन पहले जताई थी चिंता
विजय कुमार की पत्नी ने घर वालों को बताया कि दो दिन पहले वहां एक टीचर की हत्या के बाद से ही विजय कुमार भी चिंतित थे और कह रहे थे कि यहां हालात खराब होते जा रहे हैं। हमें चलना चाहिए। हम कुछ निर्णय ले पाते, उससे पहले ही आतंकियों ने उनकी हत्या कर दी। उन्होंने बताया कि वे रोज की तरह बैंक गए थे। कहकर गए थे कि चिंता मत करना। शाम को वक्त पर आ जाऊंगा। दिन में भी कई बार फोन करके बात करते रहते थे, लेकिन इस घटना ने सब कुछ छीन लिया।