कभी बैंक में नौकरी करने वाले प्रतीक और उनकी पत्नी प्रतीक्षा अब ऑर्गेनिक खेती करके खुद लाखों लाखों रुपए कमा रहे हैं. साथ ही दूसरे छोटे किसानों को ऑर्गेनिक खेती के जरिए मोटा मुनाफा भी कमवा रहे हैं. कपल को इसके लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. आर्थिक संकट से लेकर घर वालों की नाराजगी भी इन्हें आगे बढ़ने से नहीं रोक सकी, और आज ये दूसरों के लिए मिसाल बन गए हैं.
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नौकरी छोड़ शुरू की खेती
10 साल बैंकिंग सेक्टर में काम करने वाले प्रतीक शुरू से फार्मिंग करना चाहते थे. फिर उन्होंने नौकरी छोड़ने का फैसला कर ऑर्गेनिक खेती करने का मन बनाया. उनके फैसले से घर वाले काफी नाराज हुए. उन्होंने परिवार से 2 साल का समय मांगा. प्रतीक ने ग्रीन एंड ग्रेंस नाम की एक फार्मिंग कंपनी की शुरुआत की. हालांकि, 2 साल बीत जाने के बावजूद कपल को वो कामयाबी नहीं मिल पाई थी जिसकी उन्हें उम्मीद थी.
एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें लगा कि दोबारा बोरिया बिस्तरा समेत बैंकिंग सेक्टर में चले जाना चाहिए, लेकिन फिर छोटे किसानों की वजह से उन्होंने अपने कदम रोक लिए. आगे उन्होंने किसानों को ऑर्गेनिक खेती के लिए प्रेरित किया. उन्होंने बीच बिचौलियों को साइड कर प्रोडक्ट को डायरेक्ट कस्टमर तक पहुंचाकर किसानों को मोटा मुनाफा दिलाने का भरसक प्रयास किया और आज इलाके की पहचान है.
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खेती की वजह से शादी रुकते रुकते बची
जानकारी के मुताबिक प्रतीक शुरुआत से खेती करना चाहते थे. जब उनकी शादी तय हुई तब उनके ससुर (रिटायर्ड आईएएस अधिकारी) हैं. प्रतीक ने रिश्ता तय होते समय अपने ससुर को बताया था कि अगर नौकरी करूंगा तो फार्मिंग करूंगा. इस बात से वो काफी नाराज हो गए थे. उन्होंने प्रतीक्षा से कहा था कि क्या इसी दिन के लिए तुम्हें पढ़ाया लिखाया था. उस वक्त तो ऐसा लगा कि जैसे उनकी शादी प्रतीक्षा से नहीं हो पाएगी. हालांकि, बाद में सब कुछ ठीक हो गया. प्रतीक्षा ने अपने परिवार से उनकी सोसायटी में अपने प्रोडक्ट तक बिकवाए.
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कहां से आय़ा प्रतीक को आडिया
बता दें कि प्रतीक और प्रतीक्षा को ऑर्गेनिक खेती करने का ख्याल उनकी बेटी के जन्म के बाद आया. वे उसे शुद्ध चीजें खिलाना चाहते थे. जो मार्केट में उपलब्ध नहीं थी. फिर उन्होंने ऑर्गेनिक खेती करना शुरू किया. जिसमें उन्होंने अपना करियर ही बना लिया. आज प्रतीक और प्रतीक्षा ऑर्गेनिक फार्मिंग के साथ-साथ शुद्ध मसाले में भी तैयार कर रहे हैं. आज वो देश के 6 स्टेट में अपने ऑर्गेनिक प्रोडक्ट को बेच रहे हैं. खुद के साथ किसानों को भी मोटा मुनाफा कमवा रहे हैं.