सोलन के युवक निशांत गाजटा ने, कीड़ा जड़ी नामक मशरूम लगाने में ,कामयाबी हासिल कर ली है ,और वह अब इसे व्यावसायिक रूप में ,अपने घर में ही बनी लैब में, सफलतापूर्वक लगा रहे है ,जिसकी पहली खेप बनकर तैयार हो चुकी है,आपको जानकर यह हैरानी होगी कि ,अभी तक प्रदेश में व्यवसायिक तौर पर ,किसी ने भी , कोर्डी सैप यानी कीड़ा जड़ी की खेती नहीं की है। कई कृषकों ने कीड़ा जड़ी को लगाने का प्रयास किया ,लेकिन कोई कामयाब नहीं हो पाया। लेकिन सोलन का युवक निशांत गाजटा ,जो पेशे से इंजीनियर है वह , इसकी खेती करने में कामयाब हो चुका है। आप को जानकर हैरानी होगी कि ,सोलन में राष्ट्रीय स्तर का मशरूम रिसर्च सेंटर है ,इस संस्थान से देश भर के युवाओं को ,मशरूम लगाने की तकनीक सिखाई जाती है। लेकिन यह निशांत डीएमआर जा कर मार्ग, दर्शन की गुहार लगाता रहा, लेकिन किसी ने भी इस युवक की एक नहीं सुनी। परन्तु निशांत गाजटा , ने अपना हौंसला नहीं छोड़ा ,और अपने स्तर पर ही ,कीड़ा जड़ी यानी कोर्डी सेप मशरूम लगाने में कामयाबी हासिल की। यही वजह है कि, इस युवक का जनून और सफलता को देख कर, उसे अब सोलन में मशरूम बॉय के नाम से जाना जाने लगा है।
अधिक जानकारी देते हुए ,मशरूम बॉय निशांत गाजटा ने कहा कि ,वह इंजीयनर है लेकिन वह कृषि क्षेत्र में ,कुछ अलग करना चाहते थे। जिसमें उनके माता पिता ने ,बेहद साथ दिया और, घर पर ही लैब तैयार की, जिसमें उन्होंने कोर्डी सेप की सफलतापूर्वक खेती की है। उन्होंने कहा कि ,वह कोर्डी सेप के लिए ,राष्ट्रीय मशरूम रिसर्च सेंटर गए थे। लेकिन उन्हें वहां उन्हें ,निदेशक से ही मिलने नहीं दिया गया। वह उन्हें बताना चाहते थे कि, वह कोर्डी सेप को लगाने में सफलता हासिल कर चुके है, और वह इसे अब बड़े स्तर पर करना चाहते है। जिसके लिए वह केंद्र से मार्गदर्शन लेना चाहते थे, लेकिन राष्ट्रीय मशरूम रिसर्च सेंटर में जा कर ,उन्हें बेहद हताशा हाथ लगी। गाजटा ने कहा कि ,वह डीएमआर से स्पर्म भी लेना चाहते थे लेकिन उन्होंने मिलने से ही इंकार कर दिया तो उन्हें स्पर्म लेने के लिए अन्य राज्यों में भटकना पड़ा। उन्होंने कहा कि अब वह उन युवाओं का मार्गदर्शन करना चाहते है जो उनकी तरह कीड़ा जड़ी लगाने का व्यवसाय करना चाहते है। क्योंकि वह नहीं चाहते कि जिस मानसिक परेशानी से वह निकल रहे है उस तरह कोई अन्य युवा परेशान न हों।