नौकरी छोड़ शुरू की खेती, मधुमक्खी पालन ने बदल जी ज़िंदगी, अब लाखों कमा रही हैं गुजरात की Tanvi

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खुद का कुछ करने की इच्छा रखने वालों को 10 से 6 की नौकरी नहीं भाती है. नौकरी में वो पैसे तो कमाता है, मगर हमेशा कुछ न कुछ मिस करता रहता है. कुछ ऐसा ही हाल गुजरात के पाटण में रहने वाली तन्वी बेन पटेल का था. वो एक अच्छी सैलरी वाली नौकरी कर रही थीं. मगर, अपनी खुशी के लिए एक दिन उन्होंने अपनी आरामदायक नौकरी छोड़ दी और खेती में अपनी किस्मत आजमाई.

तन्वी बेन को एक नई राह पर चलते देख उनके पति हिमांशु पटेल भी प्रेरित हुए और उन्होंने भी अपनी नौकरी छोड़ खेती-किसानी शुरू करने का फैसला किया. आज गुजरात का ये कपल जिस तरह से शहद का बिजनेस कर रहा है और सालाना लाखों रुपए कमा रहा है, वो दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत है. तन्वी का सफर कब और कैसे शुरू हुआ. यह जानने के लिए इंडिया टाइम्स हिन्दी ने उनसे खास बातचीत की.

2017 से पहले आम थी तन्वी की जिंदगी

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बातचीत की शुरुआत करते हुए तन्वी बताती हैं कि 2017 से पहले वो एक आम जिंदगी जी रही थीं. वो और उनके पति प्राइवेट जॉब कर अपना घर चला रहे थे. इस दौरान उनके मन में कई बार आया कि उन्हें नौकरी छोड़ कुछ नया ट्राई करना चाहिए. अंतत: एक दिन उन्होंने अपनी नौकरी को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया और ऑर्गेनिक फार्मिंग की दिशा में आगे बढ़ गईं. ऑर्गेनिक फार्मिंग ही क्यों? 

इस सवाल के जवाब में तन्वी बताती हैं कि देश में तेजी से बढ़ रहे ऑर्गेनिक फार्मिंग के ट्रेंड ने उन्हें प्रभावित किया. थोड़ा सा रिसर्च करने के बाद उन्होंने महसूस किया कि ये वो काम है जिसे वो कर सकती हैं. इसके लिए उनके पास पर्याप्त जमीन पहले से मौजूद थी. उनका परिवार भी सालों से खेती-किसानी से जुड़ा था. बस उन्हें अब पारंपरिक खेती से आगे निकलकर ऑर्गेनिक फार्मिंग की तरफ मुड़ना था.

आगे एक बार जब तन्वी ने पूरी तरह मन बना लिया तो उनके पति हिमांशु ने भी अपनी नौकरी छोड़ दी और डेयरी फार्म को विकसित करने में लग गए. पति-पत्नी को अपने सफर में तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा. सबसे अधिक वो कीड़ों से परेशान थे. दरअसल, केमिकल कीटनाशक न प्रयोग करने के कारण कीड़े उनकी फसल को नुकसान पहुंचा रहे थे.

कहां से आया मधुमक्खी पालन आइडिया?

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इस समस्या के हल के लिए उन्हें किसी ने मधुमक्खी पालन का सुझाव दिया. इसके दो बड़े फायदे थे. पहला यह कि इससे फसलों को कीड़ों से बचाया जा सकता है. दूसरा यह कि शहद का उत्पादन उन्हें अच्छा मुनाफा कमाने में मदद कर सकता था. इसके बाद उन्होंने कुछ ‘बी’ बॉक्स इंतजाम किया और अपने खेतों के बीच रख दिए. इसका फायदा यह हुआ कि फसल पर कीड़े लगना बंद हो गए और अच्छी मात्रा में शहद का प्रोडक्शन भी हुआ. यह देखकर तन्वी ने तय किया कि वो शहद का व्यापार करेंगी और इलाके लिए नया उदाहरण सेट करेगी.

तन्वी बताती हैं कि उन्होंने मधुमक्खी पालन के लिए खुद को तैयार कर लिया था. लेकिन उन्हें सफल होने के लिए ट्रेनिंग की जरूरत थी. जिसके लिए उन्होंने ‘खादी एंड विलेज इंडस्ट्रीज कमीशन, अहमदाबाद’ (KVIC) से संपर्क किया और उनके सहयोग से इस काम को संभव बनाया. केवीआईसी ने न सिर्फ उन्हें ट्रेनिंग दी बल्कि ‘बी’ बॉक्स भी उपलब्ध कराए ताकि वो मधुमक्खी पालन शुरू कर सकें.

2022 में 25 लाख तक के मुनाफे की उम्मीद

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तन्वी के मुताबिक उन्होंने थोड़े से ‘बी’ बॉक्स के साथ अपने काम की शुरुआत की थी. परिणाम बेहतर आने पर उन्होंने बचत के पैसे खर्च कर 100 ‘बी’ बॉक्स लगाए. उनके प्रयोग ने स्थानीय कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (ATMA) के अधिकारियों का ध्यान भी खींचा और उन्हें प्रोत्साहन मिला. तन्वी पिछले 2 से 3 सालों से ATMA, पाटन के साथ मिलकर इलाके की महिलाओं को प्रशिक्षित करने का काम भी कर रही हैं.

बिजनेस की बात करें तो उनको 2022 के आखिर तक 25 लाख रुपए तक के मुनाफे की उम्मीद है. उन्होंने Svadya नामक स्टार्टअप भी शुरू किया है और अपने पैर लगातार आगे बढ़ा रही हैं.