बैंकर की नौकरी छोड़ शुरू की खेती और मछली-पालन, अब कमा रहे हैं 15 लाख रु. सालाना

9 से 5 की नौकरी हर किसी को नहीं भाती है. वह पैसे तो कमाता है, लेकिन आंतरिक सुख को मिस करता है. कुछ ऐसा ही संदीप खंडेलवाल के साथ था. वो एक इन्वेस्टमेंट बैंकर की नौकरी कर रहे थे, लेकिन एक दिन आख़िरकार उन्होंने नौकरी छोड़ अपनी पैतृक ज़मीन पर खेती का निर्णय ले लिया.

न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, छह साल पहले जब संदीप खंडेलवाल ने ये फैसला लिया, तो उनका परिवार इससे खुश नहीं था. सात साल नौकरी करने के बाद 36 साल के संदीप संबलपुर जिले में अपने गांव गुर्ला वापस लौट आये. उन्होंने 25 एकड़ ज़मीन पर खेती का मन बनाया. उन्होंने मिर्ची और अदरक की खेती शुरू की

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उन्होंने जल्द ही ऑनलाइन माध्यम से किसानों से जुड़ना शुरू किया और फार्मिंग तकनीक और सिंचाई के नए और इनोवेटिव तरीके सीखें. उन्होंने खेती के लिए ड्रिप इरीगेशन अपनाया. उन्हें इस तरीके से बहुत फायदा पहुंचा. वर्तमान में, संदीप खीरा, तरबूज, फूलगोभी, मिर्ची समेत कई और सब्जियां उगा रहे हैं. साथ ही, सीजन के हिसाब से वो गेंदे के फूल और अपने 2 एकड़ के तालाब में रोहू आयर कटला मछली का उत्पादन कर रहे हैं. वह दो एकड़ जमीन पर गेंदे के फूल भी उगाता है और सालाना 300 क्विंटल फूलों का उत्पादन करते हैं.

अपने इस काम से संदीप सालाना 15 लाख रुपये कमा लेते हैं, जिसमें से 7 लाख रुपये वो उत्पादन के लिए इस्तेमाल करते हैं. वो हमेशा लोकल डिमांड के हिसाब से उत्पादन करते हैं. संदीप ने कहा, उन्हें अपना उत्पादन बेचने में परेशानी नहीं हुई क्योंकि व्यापारी उनके घर से ही सामान खरीद लेते हैं.

organic farmingYoung Water Leaders (Representational Image)

संदीप भी खुश है कि वह वर्तमान में 16 महिलाओं सहित 22 व्यक्तियों को आजीविका सहायता प्रदान कर रहा है, जो अपने खेत में श्रमिकों के रूप में लगी हुई है.