दैनिक वेतनभोगी की नौकरी छोड़ कृषि को आजीविका के रूप में अपनाने वाले किसान को राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुआ है। मंडी जिले के कुंदन लाल को राष्ट्रीय स्तर पर पंडित दीन दयाल अंत्योदय कृषि पुरस्कार प्राप्त हुआ है। कुंदन लाल को कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर ने कृषि दूत के रूप में चयनित किया हुआ है। गत 16 जुलाई को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के 94वें स्थापना दिवस पर नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने उन्हें पुरस्कार स्वरूप 1 लाख रुपए, स्मृतिचिन्ह व प्रमाण पत्र प्रदान किया। इस उपलब्धि के अतिरिक्त कृषि विज्ञान केंद्र सुंदरनगर में वर्चुअल मोड में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जिला मंडी के अन्य प्रगतिशील किसान-कृषि दूत व पंडित दीन दयाल अंत्योदय कृषि पुरस्कार 2020 के विजेता किसान संजय कुमार द्वारा खेती में अपनाई गईं तकनीकों पर चर्चा की। इस कार्यक्रम में देश के केवल 4 किसानों का ही चयन हुआ था।
कुंदन लाल की सफलता की कहानी भी अनूठी
कभी दूसरों के पास कम वेतन पर नौकरी करने वाले मंडी जिले के विकास खंड गोहर के खनियारी गांव के प्रगतिशील किसान कुंदन लाल (47) कृषि में एक सफल उद्यमी बनकर उभरे हैं। वर्ष 1992 में मैट्रिक के उपरांत कई संस्थानों में दैनिक वेतनभोगी नौकरी में उचित मानदेय न मिलने पर गांव लौटे और अपनी 5 बीघा भूमि पर कृषि कार्य आरंभ किया। कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर व कृषि विज्ञान केंद्र सुंदरनगर से कई विषयों में प्रशिक्षण प्राप्त करके एकीकृत कूषि मॉडल स्थापित किया। 650 वर्ग मीटर पॉलीहाउस में कारनेशन की खेती, वर्ष भर बटन व ढींगरी मशरूम उत्पादन, सेब उत्पादन व बेमौसमी सब्जी उत्पादन से वह बेहतर आमदनी अर्जित कर रहे हैं। वह बतौर मास्टर ट्रेनर अभी तक प्रदेश व पंजाब के लगभग 2000 से अधिक किसानों को मशरूम उत्पादन पर प्रशिक्षित कर चुके हैं।
कुलपति ने कुंदन लाल को दूरभाष पर दी बधाई
विदेश दौरे पर गए कुलपति प्रो. हरींद्र कुमार चौधरी ने कुंदन लाल को दूरभाष पर इस सम्मान के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह प्रदेश के सभी किसानों के लिए गौरव की बात है। इस छोटे राज्य से संबंध रखने वाले 2 किसानों को राष्ट्र स्तर पर पुरस्कार मिलने से मंडी जिले के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश का भी नाम ऊंचा हुआ है।