कोरोनावायरस की वजह से स्कूल बंद हो गए. स्कूल के गलियारे में दौड़ लगाने वाले बच्चे एक कमरे में एक स्क्रीन पर पढ़ाई करने को मजबूर हो गए. जब बड़े वर्क फ़्रॉम होम करते-करते ऊब गए हैं तो एक बार बच्चों का सोचकर देखिए.बच्चों की पढ़ाई न रुके इसके लिए बैतूल, मध्य प्रदेश की टीचर ने कुछ ऐसा कर दिखाया, जिसे जानकर सब कहेंगे, ‘तालियां बजती रहनी चाहिए.’ दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, देश के भविष्य को बनाने के लिए टीचर कमला दवन्डे ने जुगाड़ लाइब्रेरी तैयार की.टीचर कमला ने गांव में बैलगाड़ी का प्रबंध किया और उस पर किताबें सजाकर बैलगाड़ी लाइब्रेरी बना दी. वो इस लाइब्रेरी के साथ घर-घर जाकर बच्चों को किताबें बांटती हैं.ग्रामीण परिवेश में रहने वाले ये जानते होंग कि बैलगाड़ी के पीछे बच्चे भागते हैं. आमतौर पर बैलगाड़ी खाद, चारा, बीज आदी ढोते हैं. लेकिन ये अनोखी लाइब्रेरी किताबें ढोती हैं और उसके पीछे बच्चे चलते हैं.लाइब्रेरी खोलने की पीछे की वजहGranthshalaटीचर कमला ने ये लाइब्रेरी सिर्फ़ दो दिन के लिए खोली थी लेकिन अनोखी लाइब्रेरी ने बच्चों और उनके माता-पिता के बीच ग़ज़ब का उत्साह जगाया. पिछले शनिवार को ये किताबें स्कूल से बच्चों में बांटने के लिए मिली. रामजी ढाना नामक गांव में 87 बच्चे पढ़ते थे, लेकिन बच्चों तक किताबें पहुंचाने का कोई साधन नहीं था. किताबें ले जाने के लिए स्कूल के पास न तो गाड़ी थी और न ही कोई सहायक. टीचर ने बताया कि इस स्कूल में सिर्फ़ 2 टीचर हैं और वो अकेले ही ड्यूटी पर थीं. दूसरी टीचर कोरोना संक्रमित होने की वजह से छुट्टी पर हैं. टीचर ने फिर बैलगाड़ी लाइब्रेरी का आइडिया निकाला, 50 रुपये रोज़ के किराये पर बैलगाड़ी ली और बच्चों तक किताबें पहुंचाई.
थाली के साथ मोहल्ला क्लासDainik Bhaskarटीचर कमला की लाइब्रेरी ही नहीं, उनका मोहल्ला क्लास भी ख़ास है. वे गांव के अलग-अलग घरों में मोहल्ला क्लास लगाती हैं. जिस घर में क्लास लगने वाली होती है वहां के अभिभावक थाली और चम्मच बजाते हैं और इस ख़ास थाप के बाद ही क्लास शुरु होती है.
कमला मैम बच्चों को शिक्षित करने के लिए जो क़दम उठा रही हैं वो न सिर्फ़ दूसरे टीचर्स के लिए बल्कि हम सभी के लिए प्रेरणादायक है.
थाली के साथ मोहल्ला क्लासDainik Bhaskarटीचर कमला की लाइब्रेरी ही नहीं, उनका मोहल्ला क्लास भी ख़ास है. वे गांव के अलग-अलग घरों में मोहल्ला क्लास लगाती हैं. जिस घर में क्लास लगने वाली होती है वहां के अभिभावक थाली और चम्मच बजाते हैं और इस ख़ास थाप के बाद ही क्लास शुरु होती है.
कमला मैम बच्चों को शिक्षित करने के लिए जो क़दम उठा रही हैं वो न सिर्फ़ दूसरे टीचर्स के लिए बल्कि हम सभी के लिए प्रेरणादायक है.