भारत की लिन्थोई चनंबम (Judoka Linthoi Chanambam) ने इतिहास रच दिया है. वर्ल्ड कैडेट जूडो चैंपियनशिप्स (World Cadet Judo Championships) में गोल्ड जीतने वाली 15 साल की चनंबम एकलौती भारतीय हैं. उनसे पहले किसी भी भारतीय ने इस चैंपियनशिप में कोई मेडल नहीं जीता. 15 साल की उम्र में ही रचा इतिहास बोस्निया-हर्जेगोविना के साराजेवो में (Sarajevo, Bosnia and Herzegovina) में हुई इस प्रतियोगिता में लिन्थोई ने 57 Kg वर्ग में ब्राज़िल की बियान्का रीस (Bianca Reis) को हराया और पोडियम पर टॉप पॉज़िशन हासिल की. लिन्थोई ने बियांका को 1-0 से शिकस्त दी.जीत के बाद चैम्प ने क्या कहा?TwitterThe Times of India की रिपोर्ट के अनुसार ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के बाद चैंपियन लिन्थोई ने मीडिया से बात-चीत की. लिन्थोई ने कहा, ‘मेरे पास शब्द ही नहीं है और मैं बता ही नहीं सकती कि मैं कैसा महसूस कर रही हूं. मुझे बस इतना पता है कि मैं अपनी जीत से बहुत ख़ुश हूं और उम्मीद है ये सिलसिला जारी रहेगा.’
अजबनी देश में बिना फ़ोन और पैसों के फंस गई थी
चीन से शुरू हुआ कोविड मार्च 2021 तक पूरी दुनिया में फैल चुका था. भारत में पूर्ण लॉकडाउन लग गया था. नवभारत टाइम्स के एक लेख के अनुसार, लिन्थोई चनंबम मार्च 2021 में ही त्बिलिसी, जॉर्जिया (Tbilisi, Georgia) में जूडो इंटरनेशनल ग्रैंड प्रिक्स में भाग लेने गई थी. टूर्नामेंट के लिए कई खिलाड़ी पहुंचे थे और इसी दौरान पूरी दुनिया में एक एक करके सभी देशों ने लॉकडाउन लगा दिया. टूर्नामेंट कैंसिल हो गया और खिलाड़ी फंस गए. 13 साल की लिन्थोई चनंबम अन्य जूडो खिलाड़ी देव थापा और जसलीन सैनी के साथ जॉर्जिया में ही फंस गई. इन खिलाड़ियों के पास न ही घर बात करने के लिए फ़ोन था और नही पैसे.जॉर्जिया के टॉप जूडो कोच ने की मददThe Bridgeपरेशान खिलाड़ियो के लिए मसीहा बनकर सामने आए जॉर्जिया के टॉप जूडो कोच, Mamuka Kizilashvili. उन्होंने भारतीय खिलाड़ियों को अपने घर पर पनाह दी और उन्हें ट्रेनिंग भी दी. 8 महीनों तक लिन्थोई जॉर्जिया में ही रहीं. लिन्थोई की जीत पर कोच Mamuka Kizilashvili ने कहा, ‘वो बेहतरीन है और जूडो में अपने देश का भविष्य है.’लिन्थोई के नाम हैं कई पदकTwitterलिन्थोई भारत की बेहतरीन जुडोका में से एक हैं. 2018 में सब जुनियर नेशनल चैंपियनशिप्स में सबसे पहले उन्होंने अपनी प्रतिभा की झलक दिखाई. 2017 से वे IIS जूडो प्रोग्राम का हिस्सा हैं. नवंबर 2021 में नेशनल चैंपियनशप्स में लिन्थोई ने गोल्ड मेडल जीता था. इसके बाद एशियन कैडेट चैंपियनशिप्स, जुनियर जूडो चैंपियनशिप्स में भी गोल्ड मेडल अपने नाम किया.लिन्थोई चनंबम इम्फ़ाल, मणिपुर के एक किसान परिवार से हैं. उनके पिता और चाचा को इस खेल से बेहद लगाव था. जूडो खेलने की प्रेरणा उन्हें घर से ही मिली.
अजबनी देश में बिना फ़ोन और पैसों के फंस गई थी
चीन से शुरू हुआ कोविड मार्च 2021 तक पूरी दुनिया में फैल चुका था. भारत में पूर्ण लॉकडाउन लग गया था. नवभारत टाइम्स के एक लेख के अनुसार, लिन्थोई चनंबम मार्च 2021 में ही त्बिलिसी, जॉर्जिया (Tbilisi, Georgia) में जूडो इंटरनेशनल ग्रैंड प्रिक्स में भाग लेने गई थी. टूर्नामेंट के लिए कई खिलाड़ी पहुंचे थे और इसी दौरान पूरी दुनिया में एक एक करके सभी देशों ने लॉकडाउन लगा दिया. टूर्नामेंट कैंसिल हो गया और खिलाड़ी फंस गए. 13 साल की लिन्थोई चनंबम अन्य जूडो खिलाड़ी देव थापा और जसलीन सैनी के साथ जॉर्जिया में ही फंस गई. इन खिलाड़ियों के पास न ही घर बात करने के लिए फ़ोन था और नही पैसे.जॉर्जिया के टॉप जूडो कोच ने की मददThe Bridgeपरेशान खिलाड़ियो के लिए मसीहा बनकर सामने आए जॉर्जिया के टॉप जूडो कोच, Mamuka Kizilashvili. उन्होंने भारतीय खिलाड़ियों को अपने घर पर पनाह दी और उन्हें ट्रेनिंग भी दी. 8 महीनों तक लिन्थोई जॉर्जिया में ही रहीं. लिन्थोई की जीत पर कोच Mamuka Kizilashvili ने कहा, ‘वो बेहतरीन है और जूडो में अपने देश का भविष्य है.’लिन्थोई के नाम हैं कई पदकTwitterलिन्थोई भारत की बेहतरीन जुडोका में से एक हैं. 2018 में सब जुनियर नेशनल चैंपियनशिप्स में सबसे पहले उन्होंने अपनी प्रतिभा की झलक दिखाई. 2017 से वे IIS जूडो प्रोग्राम का हिस्सा हैं. नवंबर 2021 में नेशनल चैंपियनशप्स में लिन्थोई ने गोल्ड मेडल जीता था. इसके बाद एशियन कैडेट चैंपियनशिप्स, जुनियर जूडो चैंपियनशिप्स में भी गोल्ड मेडल अपने नाम किया.लिन्थोई चनंबम इम्फ़ाल, मणिपुर के एक किसान परिवार से हैं. उनके पिता और चाचा को इस खेल से बेहद लगाव था. जूडो खेलने की प्रेरणा उन्हें घर से ही मिली.