Lionel Messi World Cup 2022: बीमार मेसी के पीछे इस कदर पागल था बार्सिलोना, पेपर नहीं मिला तो नैपकिन पर साइन कर ली डील

Lionel Messi Barcelona Deal: लियोनेल मेसी आज भले ही दुनियाभर में छाए हुए हैं, लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि उनका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था। वह एक गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे, तब बार्सिलोना ने उनकी मदद की थी।

लियोनेल मेसी आज जब विश्व विजेता हैं तो उनके विरोधी भी तारीफों के पुल बांध रहे हैं। हर कोई कम से कम इस बात पर सहमत है कि रोनाल्डो से हो रही उनकी महानता की जंग अब खत्म हो चुकी है। मेसी अपने महान गुरु डिएगो माराडोना और ब्राजील के जादूगर पेले की लिस्ट में आ खड़े हुए हैं। छोटे पैरों के इस महान जादूगर के सदके में दुनिया सिर झुका रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं मेसी को मेसी बनने के लिए हाड़तोड़ मेहनत करनी पड़ी। गरीब परिवार में पैदा हुए इस जादूगर को 11 वर्ष में एक गंभीर बीमारी हुई और उस बीमार बच्चे का खेल देखकर दुनिया के सबसे बड़े फुटबॉल क्लबों में शामिल बार्सिलोना पागल हो गया था और डील के समय पेपर नहीं मिला तो हाथ पोछने वाली नैपकिन पर ही डील साइन कर ली।

लियोनेल मेसी ने बचपन में ही देने लगे थे फुटबॉल की कोचिंग

पिछले चैंपियन फ्रांस को शूटआउट में हराकर खिताब जीतने वाले मेसी के बारे में बहुत कम लोगों को पता है कि वह अर्जेंटीना नहीं, बल्कि इटालियन फैमिली से आते हैं। हालांकि, उनकी पैदाइश अर्जेंटीना के रोसेरियो में हुई थी। 24 जून, 1987 को जन्मे इस खिलाड़ी ने खेलने-कूदने वाले दिनों में फुटबॉल की कोचिंग देनी शुरू कर दी थी ताकी फैमिली का खर्च चलाने में पिता का बोझ कम हो सके। युवा मेसी के पास गेंद जब पहुंचती थी तो पैरों से चिपक जाती थी। आसपास में उनके खेल का हर कोई दीवाना हो गया था।

हॉर्मोन से जुड़ी एक बीमारी और मेसी का जादू थमता दिखा

उनकी किस्मत हालांकि तब पलटी जब उन्हें 11 वर्ष की उम्र में ग्रोथ हॉर्मोन से जुड़ी एक बीमारी हो गई। डॉक्टरों ने कहा कि इलाज नहीं किया गया तो उनके शरीर का विकास ही रुक जाएगा। उनके इलाज का हर महीने का खर्चा था 900 डॉलर, जो कि उनके परिवार के लिए उठाना असंभव था। हालांकि, मेसी के पास एक जादू था। वह फुटबॉल को बिना रुके आधे घंटे तक जगलिंग करते थे। उनके इस कला को देखकर लोग उन्हें इनाम में पैसे भी दिया करते थे।

मेसी के पिता बेटे मेसी के इलाज के लिए पहुंचे स्पेनजब उनके पिता जॉर्ज परिवार सहित स्पेन गए और उन्होंने एक टैलेंट हंट टूर्नामेंट के दौरान बार्सिलोना क्लब से बात की तो उसका मैनेजमेंट तैयार हो गया। क्लब ने उनके इलाज का खर्च उठाया। शर्त यह थी कि वह क्लब के लिए खेलेंगे। मेसी का इलाज भी बहुत तकलीफदेह था, लेकिन वह डटे रहे। वह रोज रात खुद अपनी जांघों पर हार्मोन का इंजेक्शन लगाते। 7 दिन एक पैर में तो अगले 7 दिन दूसरे पैर में। यह सिलसिला 3 साल तक चला और इतने इलाज के बावजूद उनका कद उनके साथियों से छोटा ही रहा।

मेसी ने तय किया स्पेन में रहकर प्रोफेशनल फुटबॉलर बनेंगे
जब वह ठीक हुए तो उनके पास वापस अर्जेंटीना लौटने का ऑप्शन था, लेकिन मेसी अब क्लब ने जो उनके लिए किया था वो वापस करना चाहते थे। उन्होंने तय किया वह स्पेन में ही रहेंगे। उन्होंने अपने छोटे कद का इतनी खूबी से उपयोग किया कि यही उनकी ताकत बन गया। मेसी ने खुद को फुटबॉल में झोंक दिया। वह बार्सिलोना-बी टीम का हिस्सा थे। वह सभी खिलाड़ियों से पहले मैदान पर पहुंचते और पूरी टीम के जाने के बाद ही लौटते। छोटा कद होने के कारण हेडर करने के मामले में वह पीछे रह जाते, लेकिन यही कद उन्हें दूसरे खिलाड़ियों की तुलना में ज्यादा फुर्तीला बनाता गया और वह विरोधियों को छकाने लगे।

जब बाथरूम में लॉक हुए मेसी
धीरे-धीरे मेसी का जादू ऐसा चला कि ऐसा लगने लगा कि उनके रहते हुए उनकी टीम को हराया ही नहीं जा सकता। एक बार एक टूर्नामेंट में उन्हें हिस्सा लेना था, लेकिन गलती से वह खुद को बाथरूम में लॉक कर बैठे। हाफ टाइम तक उनकी टीम 1-0 से पीछे थी। तब मेसी बाथरूम की खिड़की का शीशा तोड़कर मैदान पर पहुंचे और उसके बाद उनकी टीम ने वह मैच 3-1 से जीत लिया। टीम की तरफ से तीनों गोल मेसी ने ही किए थे।

इसलिए बार्सिलोना ने नैपकिन पर साइन करवाई डील
बार्सिलोना के साथ मेसी का पहला कॉन्ट्रैक्ट एक पेपर नैपकिन पर तैयार किया गया था। यह भी अपने आप में एक रोचक है। दरअसल, एफसी बार्सिलोना स्पोर्टिंग डायरेक्टर कार्ल्स रेक्सेक मेसी की स्किल्स से इस कदर प्रभावित थे कि वह जल्द से जल्द कॉन्ट्रैक्ट तैयार करवा लेना चाहते थे। ऐसे में जब आस-पास कोई पेपर नहीं मिला तो उन्होंने पेपर नैपकिन पर ही कॉन्ट्रैक्ट तैयार कर लिया। अब क्लब ने उनकी फैमिली का खर्च भी उठाना शुरू कर दिया था। मेसी ने क्लब साइन किया तब मेसी की उम्र बस 13 साल थी।

2005 में इंटरनेशनल डेब्यू और 47 सेकंड ही रहे मैदान पर
मेसी ने 2005 में पहला इंटरनेशनल डेब्यू किया, और वह अर्जेंटीना की तरफ से खेले। सब्स्टिट्यूट प्लेयर के तौर पर उनका यह डेब्यू बस 47 सेकंड ही रहा, क्योंकि इसके बाद उन्हें रेड कार्ड दिखा दिया गया। इसके बाद उन्होंने 172 मैचों में अर्जेंटीना का प्रतिनिधित्व किया, जबकि 98 गोल दागे हैं। 2008 में बीजिंग ओलिंपिक्स में उन्होंने अपने देश को गोल्ड मेडल जिताया। 2008 में ही एक और महान फुटबॉलर रोनाल्डिन्हो से ही मेसी को नंबर 10 की जर्सी मिली थी। मेसी ने दुनिया के बेस्ट फुटबॉलर को मिलने वाली बैलन डी ओर ट्रॉफी 7 बार जीती, जबकि कोपा अमेरिका भी वह जीत चुके हैं।