अगस्त से हिमाचल में नहीं हो सकेगी शराब की तस्करी, जानें पूरा मामला

 राज्य कर एवं आबकारी विभाग ने शराब की ट्रैक एंड ट्रेसिंग के हार्डवेयर की खरीद को मंजूरी दे दी है। शराब कारखानों से लेकर स्टोर, ठेकों में डेढ़ माह के भीतर सीसीटीवी कैमरे सहित अन्य उपकरण लगाने का लक्ष्य रखा गया है। 

हिमाचल प्रदेश में अगस्त से शराब की तस्करी नहीं हो सकेगी। राज्य कर एवं आबकारी विभाग ने शराब की ट्रैक एंड ट्रेसिंग के हार्डवेयर की खरीद को मंजूरी दे दी है। शराब कारखानों से लेकर स्टोर, ठेकों में डेढ़ माह के भीतर सीसीटीवी कैमरे सहित अन्य उपकरण लगाने का लक्ष्य रखा गया है। मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से शराब की बोतलों को स्कैन करने के लिए सॉफ्टवेयर भी तैयार हो चुका है। शुक्रवार को राज्य इलेक्ट्रानिक कॉरपोरेशन के माध्यम से एल वन कंपनी का चयन कर दिया है। 

शराब कंपनियों को हार्डवेयर की खरीद के लिए विभागीय आयुक्त की ओर से पत्र जारी कर दिया गया है। बीते करीब दो वर्षों से ट्रायल पर चल रहे ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम के लिए इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की खरीद की सभी औपचारिकताएं पूरी हो गई हैं। ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम के लिए हार्डवेयर देने के लिए विभिन्न कंपनियों ने आवेदन किया था। इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ने एल वन कंपनी का चयन कर लिया है।

शराब कंपनियां इस चयनित कंपनी से अब खरीद कर सकती हैं। इसके अलावा इसी कंपनी के रेट पर बाजार में मिल रहे उपकरण खरीदने की भी शराब कंपनियों को मंजूरी दी गई है। विभाग ने डेढ़ माह के भीतर इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कहा है। प्रदेश में स्थित सभी बाटलिंग प्लांट व डिस्टिलरियों से बाहर आने वाली शराब की ऑनलाइन निगरानी के तंत्र के विकसित होने पर शराब तस्करी के नेटवर्क को तोड़ने में आसानी होगी। बार कोड को स्कैन करने पर शराब बनाने के वर्ष, बैच नंबर और कहां उसे बनाया गया है, इसकी जानकारी मिल जाएगी।

कर एवं आबकारी विभाग सभी शराब कंपनियों, बॉटलिंग प्लांट, थोक विक्रेताओं के परिसरों में कैमरे भी लगाएगा। कंप्यूटर सिस्टम भी लगाए जाएंगे। शराब की सप्लाई की मॉनीटरिंग की जाएगी। इस व्यवस्था के लागू होने पर शराब कारोबारी बिना बैच नंबर के शराब सप्लाई नहीं कर सकेंगे। हर बोतल का कंप्यूटर सिस्टम पर पंजीकरण होगा। सरकार को मिलने वाले टैक्स की भी सही गणना हो सकेगी। इस प्रक्रिया से सरकार के राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी