Liz Truss vs Rishi Sunak: ब्रिटिश राजशाही का खात्‍मा, गांजा….पुराने बयानों से घिरीं लिज ट्रस, PM बनने की रेस में ऋषि सुनक को पीछे छोड़ा

Liz Truss: ब्रिटेन की प्रधानमंत्री बनने की रेस में लिज़ ट्रस सबसे आगे हैं। ज्यादतर सर्वे बता रहे हैं कि वह बोरिस जॉनसन की जगह ले सकती हैं। लेकिन उनके आलोचक उनकी विचारधारा को लेकर आशंकित हैं। उनके आलोचकों का कहना है कि लिज ट्रस वही बातें करती हैं जो उनकी ऑडियंस को पसंद आती है।

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लंदन: ब्रिटेन में प्रधानमंत्री बनने की रेस चल रही है। 10 डाउनिंग स्ट्रीट के काले दरवाजे की चाबी पाने के लिए लिज़ ट्रस और ऋषि सुनक के बीच टक्कर है। लेकिन इस रेस में ऋषि सुनक पिछड़े हुए हैं। लगभग सभी ओपिनियन पोल कह रहे हैं कि लिज़ ट्रस कंजर्वेटिव पार्टी की नई लीडर और ब्रिटेन की प्रधानमंत्री बन सकती हैं। 2010 में पहली बार सांसद बनीं लिज़ ट्रस को उनके विरोधी एक मौकापरस्त मान रहे हैं। उनके विरोध लगातार ये सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर वह किस साइड हैं।

कई लोग जो वर्षों से उन्हें देखते आए हैं, वह सवाल पूछ रहे हैं कि क्या उनकी कोई ईमानदार विचारधारा है या वह समय के हिसाब से चीजों का समर्थन करती हैं। लिज ट्रस का जन्म 1975 में हुआ था। लिज की ही मानें तो वह एक ऐसे परिवार में जन्मी थीं, जिसकी विचारधारा वामपंथी लेबर पार्टी की थी। वह ब्रिटेन के ऐसे इलाके में बड़ी हुईं जो कंजर्वेटिव पार्टी को परंपरागत तौर पर वोट नहीं देता। प्राइवेट एजुकेशन वाले कैबिनेट के अन्य साथियों की अपेक्षा ट्रस लीड्स में एक सरकारी स्कूल में पढ़ीं और बाद में ऑक्सफोर्ड तक गईं।

राजशाही को खत्म करने का किया था आह्वान
ऑक्सफोर्ड में वह लिबरल डेमोक्रेट्स की एक एक्टिव मेंबर थीं, जो एक सेंटरिस्ट विपक्षी दल है। लंबे समय तक ये इंग्लैंड के एक बड़े हिस्से में कंजर्वेटिव पार्टी का विरोधी रहा है। लिबरल डेमोक्रेट होने के दौरान ट्रस ने गांजे को वैध करने और शाही परिवार के उन्मूलन का समर्थन किया। ये कंजर्वेटिव पार्टी की प्रमुख विचारधारा के एकदम विपरीत है। ट्रस का कहना है कि वह 1996 में कंजर्वेटिव पार्टी की सदस्य बनीं। ये वह समय था जब इससे ठीक दो साल पहले उन्होंने राजशाही के अंत का आह्वान किया था।

‘जनता के हिसाब से बयान देती हैं लिज़ ट्रस’
CNN की रिपोर्ट के मुताबिक 90 के दशक में ट्रस के साथ प्रचार करने वाले लिबरल डेमोक्रेट काउंसलर नील फॉसेट ने कहा, ‘मैं ईमानदारी से सोचता हूं तो दिखता है कि ट्रस अपने दर्शकों के हिसाब से बात करती हैं। चाहे वह राजशाही को खत्म करने की बात हो या फिर भांग को वैध करने की। मुझे आज भी नहीं पता कि ट्रस जो कहती हैं क्या उस पर उन्हें विश्वास रहता है? चाहे वह तब की बात हो या आज की बात हो।’ कंजर्वेटिव पार्टी का सदस्य बनने के साथ ही ट्रस अपने ऑडियंस का ध्यान आकर्षित करने में कामयाबी रहीं। उन्होंने पार्टी की हर विचारधारा का समर्थन किया। वह तीन अलग-अलग प्रधानमंत्रियों की कैबिनेट में रहीं और अब विदेश मंत्री हैं।

पार्टी को एक रखना होगी चुनौती
2016 में लिज़ ट्रस ने यूरोपीय यूनियन में बने रहने का समर्थन किया था। उस समय ट्रस ने ट्वीट कर कहा था कि वह उन लोगों का समर्थन कर रही हैं जो ब्लॉक में रहना चाहते हैं, क्योंकि ये ब्रिटेन के आर्थिक हित में हैं। वहीं, ट्रस अब ब्रेक्जिट का समर्थन करती हैं और कहती हैं कि जनमत संग्रह से पहले उन्हें डर था कि इससे दिक्कतें पैदा हो सकती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पार्टी के अंदर भी लिज़ ट्रस को लेकर आशंका है और अगर वह सत्ता में आती हैं तो पार्टी को एकजुट करना बड़ी चुनौती होगी।