Loan App Scam: मिनटों में पैसा भेज देंगे… लोन ऐप्‍स से फटाफट कर्ज के चक्‍कर में लुट गए लाखों, चीनी गैंग की पूरी कुंडली

Loan App Scam News: मोबाइल ऐप्‍स के जरिए लोन अप्‍लाई करते वक्‍त बेहद सावधान रहें। ठगों का एक पूरा गैंग है जो फटाफट कर्ज के नाम पर आपकी निजी जानकारियां लेता है और फिर शुरू करता है ब्‍लैकमेलिंग का सिलसिला।

नई दिल्‍ली: ‘मोबाइल ऐप के जरिए लोन अप्‍लाई कीजिए और मिनटो में अकाउंट क्रेडिट हो जाएगा’। ‘हमारे ऐप से बिना PAN, AADHAAR दिए पाएं फटाफट लोन’। ‘5 मिनट में पाएं इंस्‍टैंट लोन, बस ऐप डाउनलोड करें…’, ऐसे लुभावने विज्ञापन आपको अक्‍सर मोबाइल यूज करते वक्‍त देखने को मिलते होंगे। रोज सस्‍ते ब्‍याज पर लोने देने के कॉल्‍स भी खूब आते हैं। इनमें से बहुत सारे ऐप्‍स ऐसे हैं जो कुछ हजार रुपये के लोन का लालच देकर बाद में लाखों वसूलते हैं। दिल्‍ली पुलिस ने ऐसे ही एक चीनी लोन ऐप गैंग का भांडा पिछले दिनों फोड़ा। पता चला कि इस रैकेट के जरिए करीब 3,000 करोड़ रुपये की ठगी कर रखी थी। दो चीनी नागरिकों का नाम सरगना के रूप में सामने आया है। डीसीपी केपीएस मल्‍होत्रा के अनुसार, यूजर्स का कई मिलियन टेराबाइट्स डेटा चीन और हॉन्‍ग कॉन्‍ग में मौजूद सर्वर्स पर भेजा रहा था।

पूरा रैकेट किसी कॉर्पोरेट कंपनी की तरह काम करता था। बकायदा डायरेक्‍टर, मैनेजर्स और अन्‍य टीम लीडर्स थे। फिर टेलीकॉलर्स की एक पूरी टीम थी जो शिकारों को टारगेट करती थी। चीनी लोन ऐप रैकेट में ह्यूमन रिसोर्स और फायनेंस देखने के लिए भी बंदे थे। आखिर यह गैंग इतने स्‍मार्ट तरीके से कैसे आपॅरेट कर रहा था?

ऐड्स, वेबसाइट्स के जरिए चुने जाते थे शिकार, मिनटों में पैसा क्रेडिट
पुलिस के अनुसार, अलग-अलग तरह के 100 से अधिक लोन ऐप डिवेलप किए हुए हैं। इनको गूगल प्ले स्टोर पर डाला हुआ है। लोन ऐप को सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन के जरिये गूगल पर सबसे ऊपर रखा जाता था। इन ऐप का अलग-अलग वेबसाइट पर विज्ञापन किया जाता है। जो चार-पांच हजार के इंस्‍टैंट लोन चाहते हैं, वह यूजर्स इन ऐप्‍स को डाउनलोड करते हैं, KYC (आधार कार्ड, PAN कार्ड अपलोड और लाइव फोटो) के बाद परमिशन दे देते हैं। मिनटों में लोन यूजर के बैक अकाउंट में क्रेडिट हो जाता है।

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ऐप्‍स के जरिए चुटकियों में लोन!

ऐप इंस्‍टॉल होने के बाद फोन की कॉन्‍टैक्‍ट लिस्‍ट, फोटो गैलरी और अन्‍य पर्सनल डेटा को कैप्‍चर करने की परमिशन मांगती थी। लोन चाहने वाला जैसे ही परमिशन देता, उसका सारा डेटा चीनी सर्वर्स पर ट्रांसफर कर लिया जाता।
केपीएस मल्‍होत्रा, डीसीपी

लोन ऐप्‍स: फिर शुरू होता है ब्‍लैकमेल का सिलसिला

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लोन ऐप्‍स परेशान करें तो क्‍या करें?

दिल्‍ली, यूपी, बिहार से लेकर महाराष्‍ट्र तक ठिकाने
मल्होत्रा के मुताबिक, इतने बड़े सिंडिकेट के नेटवर्क तक पहुंचने में पुलिस को 2 महीने का समय लगा। पुलिस ने ऐप्लिकेशन कोड, कॉल डिटेल और बैंक खातों की जांच शुरू की। छानबीन में पता चला कि आरोपियों ने दिल्ली, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, यूपी, बिहार समेत दूसरे राज्यों में अपने ठिकाने बनाए हुए थे। जांच पड़ताल और छापेमारी के बाद पुलिस देशभर के अलग-अलग राज्यों से कुल 22 लोगों को गिरफ्तार कर सकी। आरोपियों के पास से 51 मोबाइल फोन, 25 हार्ड डिस्क, 9 लैपटॉप, 19 डेबिट कार्ड, तीन कारें और चार लाख रुपये कैश बरामद हुए हैं।

करीब 50 से अधिक वसूली सेंटर का लिंक लखनऊ में भी मिला है। यह पूरा गेम अब ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के अलावा क्रिप्टोकरंसी पर शिफ्ट हो चुका है। आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद जब उनके खातों की जांच की गई तो पता चला कि इन लोगों ने ऐसे सैकड़ों खाते खोले हुए थे। इन खातों में आई रकम को हवाला और क्रिप्टोकरंसी के जरिये चीन भेज दिया जाता था। बदले में चीनी नागरिक भारत में बैठे लोगों को अच्छा कमीशन देते थे। अभी जांच जारी है। कुछ और गिरफ्तारियां बाकी हैं।

चीनी लोन ऐप घोटाला: जांच के घेरे में मददगार सीए
चीनी लोन ऐप की सहायता करने के मामले में कई चार्टर्ड एकाउंटेंट (CA) अब भारतीय चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) की जांच का सामना कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि इन ऐप कंपनियों के निगमन फॉर्म, आरटीआई रिटर्न समेत कई दस्तावेजों पर सीए के हस्ताक्षर पाए गए हैं। इस मामले से वाकिफ लोगों ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि सीए पर आरोप है कि इन लोगों ने निगमन दस्तावेजों में उल्लिखित पते का भौतिक रूप से सत्यापन नहीं किया है। कई चीनी ऐप्स कंपनियों ने नकली पते दिए हैं। कुछ एनबीएफसी भी भारत में डमी संस्थाओं की आड़ में लोन गतिविधियों का संचालन करते पाए गए हैं।