Lohri 2023: लोहड़ी का पर्व हर साल मकर संक्रांति से ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है। लेकिन क्या आप इसका कारण जानते हैं आखिर क्यों लोहडी मकर संक्रांति से पहले ही मनाई जाती है। आइए जानते हैं लोहड़ी की पौराणिक कथा और कैसा इस पर्व का नाम पड़ा लोहड़ी।
Lohri 2023: लोहड़ी का पर्व इस साल 14 जनवरी शनिवार के दिन मनाई जाएगी। लोहड़ी का पर्व उत्तर भारत में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। पंजाब प्रांत में तो लोहड़ी के मौके पर अलग ही रौनक देखने को मिलती है। पंजाबी वर्ग के लोग लोहड़ी के पर्व को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। लोहड़ी के ठीक अगले दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। आइए जानते हैं लोहड़ी से जुड़ी एक पौराणिक कथा।
मकर संक्रांति से एक दिन पहले क्यों मनाई जाती है लोहड़ी लोहड़ी से जुड़ी एक पुरानी कथा है। पौराणिक कथा के अनुसार, द्वापर युग में मकर संक्रांति से एक दिन पहले गोकुल में लोग मकर संक्रांति की तैयारियों में लगे हुए थे। इस दौरान कंस भगवान कृष्ण को मारने के लिए एक के बाद एक कई राक्षस भेजे थे। हर दिन कोई न कोई राक्षस आकर भगवान कृष्ण को मारने की कोशिश करता था। मान्यताओं के अनुसार, एक बार जब लोहड़ी का पर्व मनाया जा रहा था तो कंस ने भगवान कृष्ण को मारने के लिए एक राक्षसी को गोकुल भेजा था। राक्षसी का नाम लोहिता था। कन्हैया ने खेल खेल में राक्षसी लोहिता का वध कर दिया था।
ऐसा पड़ा लोहड़ा पर्व का नाम मान्यताओं के अनुसार, लोहड़ी का नाम लोहिता राक्षसी के नाम पर पड़ा। इसके बाद से लोहड़ी का पर्व मनाया जाने लगा। इसके अलावा एक मान्यता यह भी है कि दक्ष प्रजापति की पुत्री माता सती के योगाग्नि दहन की स्मृति में लोहड़ी की अग्नि जलाई जाती है। लोहड़ी के मौके पर इस कहानी को सुनने का भी बड़ा महत्व है। इसके अलावा पंजाब में दुल्ला भट्टी की कहानी भी प्रचलित है। पंजाब में लोहड़ी के दिन दुल्ला भट्टी की कहानी जरूर सुनाई जाती है। दुल्ला भट्टी की कहानी के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करे।