असफलता का यह मतलब नहीं होता कि आप असफल हो गए हैं, बल्कि इसका यह मतलब होता है कि आप अभी तक सफल नहीं हुए हैं. बिजनेसवुमन ललिता संजय खैरे ने इसे सच साबित कर दिखाया है. बिजनेस में उन्हें नुकसान हुआ. उन्हें घर तक बेचना पड़ा, लेकिन वो हारी नहीं, और अब शरबत बेचकर करोड़ों रुपए कमाती हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुणे की रहने वाली 51 वर्षीय ललिता संजय खैरे ने करीब दो दशक पहले कोकम शरबत बनाने का बिजनेस शुरू किया था. तीन साल तक उन्हें अपने बिजनेस में घाटा हुआ, मगर फिर ललिता ने अपने स्टार्टअप कोकणराज से 2.5 करोड़ रुपए से ज्यादा वार्षिक की कमाई शुरू कर दी.
बिजनेस में हुआ घाटा, घर तक बेच दिया
ललिता की सफलता का सफर आसान नहीं रहा. साल 1992 में उन्होंने सीप, मशरूम की खेती में अपनी किस्मत आजमाई थी. उन्हें बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन बिजनेस नहीं चला, और उन्हें इसमें भारी नुकसान झेलना पड़ा. ऐसा भी समय आया जब ललिता का परिवार आर्थिक संकट से जूझने लगा. मजबूर होकर उन्हें अपना घर तक बेचना पड़ा था, और वो किराए के मकान में आकर रहने लगी थीं. जैसे-तैसे वो अपना कर्ज चुकाने में कामयाब हो पाईं.
कोकम शरबत ने दिलाई सफलता
तमाम मुसीबतों को पार करते हुए साल 1995 में ललिता, और उनके पति संजय ने कोकम शरबत की शुरुआत की थी. उनकी कंपनी कोकणराज को अपने इस शर्बत के बिजनेस में मुनाफा कमाने के लिए चार साल का लंबा इंतज़ार करना पड़ा. जब उन्होंने इसकी शुरुआत की थी तब उन्हें अपना सब कुछ बेचना पड़ा था. उनके पास महज 500 रुपए थे. इसे भी उन्होंने कोकम शरबत बनाने के कारोबार में लगा दिया था.
आज ललिता की कमाई करोड़ो में है. देश भर में उनके वितरकों का एक मजबूत नेटवर्क है. रिलायंस फ्रेस, डी-मार्ट, बिग बाजार, और स्टार बाजार जैसे कुछ बड़े वितरक भी शामिल हैं. ललिता बताती हैं कि कोकम शरबत बनाने के लिए साल भर में केवल तीन से चार महीने तक काम चलता है. बाकी समय वो इसे बेचने का काम करती हैं. ललिता संजय खैरे देश की आधी आबादी के लिए किसी प्रेरणास्रोत से कम नहीं हैं.