मां चिंतपूर्णी का मंदिर हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में स्थित है। बता दें, देवी को चिंताओं को दूर करने वाली माता के रूप में जाना जाता है। जिस तरह से हिमाचल में ज्वालामुखी का मंदिर भक्तों के बीच इतना प्रसिद्ध है, उसी तरह से इस मंदिर में भी भक्त नवरात्रि के दिनों में दर्शन करने के लिए जाते हैं।
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हिमाचल प्रदेश को देवी भूमि के रूप में बेहद पवित्र माना जाता है। इस खूबसूरत जगह पर प्राचीन काल से देवता निवास करते आ रहे हैं, उन्हीं में से एक हैं हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में ‘मां चिंतपूर्णी देवी’ मंदिर और ‘चिंतपूर्णी देवी’ तीर्थ स्थल। ये जगह इतना पवित्र है कि इसे 51 शक्तिपीठों में गिना जाता है। श्री शिवपुराण की कथा के अनुसार, जब भगवान शिव सती पार्वती के शव के साथ तीनों लोकों में जा रहे थे, तब भगवान विष्णु ने सती के शरीर को अपने चक्र से अलग कर दिया था। जिन पवित्र स्थानों पर सती के अंग गिरे, वे स्थान शक्तिपीठ के नाम से जाने जाते हैं। मान्यता है कि इसी स्थान पर सती के पैर के अंग गिरे थे। ये छिन्नमस्तिका देवी का स्थान भी है, इसलिए माता चिंतपूर्णी’ को छिन्नमस्तिका धाम के नाम से भी जाना जाता है। चिंतपूर्णी का अर्थ है चिंता को दूर करने वाली देवी। चलिए आपको इस मंदिर के बारे में दिलचस्प बातें बताते हैं।
(सभी फोटो साभार : wikimedia commons)
किन शक्तियों के लिए जानी जाती हैं माता चिंतपूर्णी –
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कुछ लोगों के अनुसार माता चिंतपूर्णी मां ज्वालामुखी का दूसरा नाम और रूप हैं। जैसा कि आप जानते हैं ज्वालामुखी मंदिर हिमाचल में ही स्थित है, इसी आधार पर इस जगह की देवी का नाम चिंतपूर्णी पड़ा। देवी को चिंताओं को दूर करने वाली माता के रूप में जाना जाता है। जिस भी व्यक्ति के जीवन में सुख, धन और सम्पत्ति का अभाव है, उनके दुख को चिंतपूर्णी मां दूर कर देती हैं। इस मंदिर की इस कारण से इतनी मान्यता है कि भक्त दूर-दूर से अपनी समस्याएं मां के पास लेकर आते हैं।
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चिंतपूर्णी मंदिर का तालाब – Pond of Chintpurni Temple
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चिंतपूर्णी मंदिर में एक तलाब है, जिससे एक प्राचीन कहानी जुड़ी हुई है। कहानी के अनुसार, मां भगवती ने भक्त ‘मैदास जी’ को कन्या रूप में प्रत्यक्ष दर्शन दिए और उनकी चिंता दूर हो गई। देवी भगवती ने उन्हें कहा कि आप जिस भी पत्थर को उखाड़ेंगे, वहां से पानी निकलने लगा। अब इस जगह पर एक तलाब है, जहां से भक्त ने पत्थर को उखाड़ा था। इस तालाब का निर्माण पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने करवाया था। इसके बाद चिंतपूर्णी सरोवर कार्य समिति के पूर्व अध्यक्ष अमर शहीद ने इस तालाब का रेनोवेशन किया। तालाब के ठीक ऊपर, मंदिर के संस्थापक श्री 1008 बाबा मैदान जी की समाधि है। मंदिर के पास एक पवित्र बावड़ी है, जिसके जल से सभी रोग दूर होते हैं।
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ऐतिहासिक दिव्य पत्थर – Historical Divine Stone
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आप सोच रहे होंगे कि जिस पत्थर को उखाड़ा गया था, उस पत्थर का क्या हुआ, तो बता दें, वो ऐतिहासिक प्राचीन पत्थर आज भी तीर्थयात्रियों के दर्शन के लिए माता रानी के दरबार में रखा हुआ है। चिंतपूर्णी देवी मंदिर में प्रवेश करते ही इस पवित्र पत्थर को मुख्य द्वार के पास दाईं ओर देखा जा सकता है।
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मंदिर से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें – Facts of Chintpurni Temple
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‘छिन्नमस्तिका धाम’ की दिलचस्प बात यह है कि भगवान शिव ने मंदिर को चारों तरफ से सुरक्षित किया हुआ है। पूर्व में कालेश्वर महादेव मंदिर, पश्चिम में नारायण महादेव मंदिर, उत्तर में मककंद महादेव मंदिर और दक्षिण में शिव बारी मंदिर स्थित हैं। नवरात्रि के दौरान, मंदिर में एक बहुत बड़े मेले का आयोजन होता है, जिसमें दुनिया भर से सभी भक्त देवी से आशीर्वाद लेने के लिए इस जगह पर आते हैं।
चिंतपूर्णी मंदिर के पास घूमने की जगह – Places to Visit Near Chintpurni Temple
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- कांगड़ा घाटी
- कांगड़ा का किला
- डेरा बाबा वडभाग सिंह गुरुद्वारा
- मसरूर मंदिर
- चामुंडा देवी मंदिर
- दमसल दामो
- भागसुनाग झरना
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