2022-10-22
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3000 रुपये से 30 लाख रुपये तक के सामान
राघव रस्तोगी कहते हैं कि सोने के जेवरों की शुरुआत 3000 रुपये से, चांदी के सामान की कीमत 300 रुपये और हीरे के जेवर 8000 रुपये से शुरू हैं। रवीन्द्र नाथ रस्तोगी कहते हैं कि हल्के वजन वाले जेवर, चेन, चूड़ी, अंगूठी, झाले आदि की खरीदारी खूब होती है। आदिश जैन बताते हैं कि 12500 से लेकर तीन लाख तक के हल्के वजन वाले सेट भी खूब पसंद किए जाते हैं।
2.5 लाख की हनुमान जी की मूर्ति
महानगर स्थित सराफा कारोबारी शालिनी अग्रवाल कहती हैं कि गिफ्ट लेन-देन में मूर्तियां खूब खरीदी जाती हैं। 2.5 लाख रुपये की हनुमान जी की मूर्ति विशेष आर्डर पर तैयार हुई है।
650 से 920 रुपये तक का चांदी का सिक्का
सराफा कारोबारी रवींद्र नाथ रस्तोगी बताते हैं कि 100 फीसदी शुद्ध चांदी के 10 ग्राम के सिक्के की कीमत 650 रुपये है। 50 ग्राम का 2000 रुपये का है। पुराने सिक्के बहुत कम उपलब्ध हैं। आदिश जैन कहते हैं कि एंटीक सिक्का 920 रुपये और उसकी प्रतिकृति 600 से 700 रुपये के बीच है।
वाहन बाजार भी होगा मालामाल
टू-व्हीलर कारोबार से जुड़े आनंद कुमार सिंह बताते हैं कि धनतेरस से दीवाली तक में 10 हजार दो पहिया वाहनों की बिक्री का अनुमान है। ऑटोमोबाइल उद्योग से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि सितंबर में 3400 गाड़ियों की बिक्री लखनऊ क्लस्टर में हुई है। अक्तूबर में यह संख्या दोगुनी होने का अनुमान है। इस लिहाज से चार पहिया वाहन का बाजार पांच से छह करोड़ और दो पहिया का 70 से 80 करोड़ का हो सकता है।
इलेक्ट्रॉनिक्स व इलेक्ट्रिकल्स का बाजार भी उत्साहित
कारोबारी दिनेश जैन कहते हैं कि इस बार प्री बुकिंग में कमी आई है। त्योहारी सीजन में फ्रिज, टीवी, चिमनी, डिश वॉशर, वाशिंग मशीन आदि की मांग रहती है। ऑनलाइन कारोबार के कारण ऑफलाइन कारोबार प्रभावित हुआ है, फिर भी कारोबार बढ़ोतरी पर बंद होगा। बाजार में 17 लाख तक के टेलीविजन उपलब्ध हैं। इस बार एलईडी की बिक्री में कमी आई है। इसके अलावा लैपटॉप-कम्प्यूटर बाजार भी तेज है। इसमें भी 10-20 फीसदी की वृद्धि होगी। नाका व्यापार मंडल के अध्यक्ष सतपाल सिंह मीत कहते हैं कि रोशनी के त्योहार में बिना झालर जगमगाहट अधूरी है। धनतेरस से दीपावली तक खरीदारी चलती है, फिर भी 70 फीसदी खरीदारी धनतेरस पर हो जाती है। इस लिहाज से 100 से 150 करोड़ के बीच कारोबार की उम्मीद है।
बर्तन खरीद पर खर्च होंगे 15 करोड़
धनतेरस पर बर्तन खरीदने की परंपरा का निर्वहन सदियों से होता चला आ रहा है। लखनऊ मेटल मर्चेंट एसोसिएशन केअध्यक्ष हरिश्चंद्र अग्रवाल कहते हैं कि पुराने बर्तनों को निकाल नए बर्तन लेने का रिवाज जारी है। स्टील के साथ-साथ पीतल व तांबे के बर्तनों को पसंद किया जा रहा है। इस वक्त मुस्लिम समुदाय की सहालग चल रही है। बाजार का दोहरा फायदा है। उम्मीद है कि 15 करोड़ से अधिक की बिक्री होगी।
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