मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने बुधवार को अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) के नेतृत्व के संबंध में 23 जून को यथास्थिति का आदेश दिया।मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस जी जयचंद्रन ने ओ पनीरसेल्वम के पक्ष में आदेश दिया, जिसका अर्थ है कि 11 जुलाई की आम परिषद की बैठक के दौरान अंतरिम महासचिव के रूप में एडप्पादी के पलानीस्वामी का चुनाव मान्य नहीं होगा। अदालत ने अन्नाद्रमुक की एक नई आम परिषद की बैठक आयोजित करने का भी आदेश दिया।
चेन्नै: मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (AIADMK) की 11 जुलाई को हुई आम परिषद की बैठक से संबंधित मामले में पार्टी के अंतरिम महासचिव एडप्पाडी के. पलानीस्वामी को झटका दिया है। हाईकोर्ट ने 23 जून की यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। दरअसल तमिलनाडु के मुख्य विपक्षी दल अन्नाद्रमुक की आम परिषद की 11 जुलाई को बैठक हुई थी। इसमें ओ पनीरसेल्वम और उनके कुछ सहयोगियों को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। साथ ही पलानीस्वामी को अंतरिम महासचिव बनाया गया था। जस्टिस जी जयचंद्रन की ओर से बुधवार को पारित आदेश में आम परिषद की 11 जुलाई की बैठक को अवैध घोषित किया गया। जस्टिस जयचंद्रन ने कहा कि कोऑर्डिनेटर और ज्वाइंट कोऑर्डिनेटर अकेले ही आम परिषद की बैठक बुलाएंगे। उन्होंने बैठक बुलाने के लिए एक पर्यवेक्षक के नामांकन का भी सुझाव दिया।
अदालत के आदेश को तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री पलानीस्वामी के लिए एक झटका माना जा रहा है, लेकिन उनके समर्थकों ने इस बात से इनकार किया और कहा कि विस्तृत आदेश पढ़ने के बाद ही तय किया जाएगा कि आगे क्या करना है। 11 जुलाई की बैठक में पार्टी से ‘निष्कासित’ किए गए ओ पनीरसेल्वम ने कहा कि इस फैसले ने दिखा दिया है कि कोई भी किसी राजनीतिक दल पर कब्जा नहीं कर सकता और न्यायपालिका और भगवान इसकी अनुमति नहीं देंगे।
कोऑर्डिनेटर और ज्वाइंट कोऑर्डिनेटर के पद समाप्त नहीं हुए
अदालत ने ओ पनीरसेल्वम और आम परिषद के सदस्य वैरामुथु की ओर से दायर दीवानी मुकदमों पर बुधवार को आदेश पारित किया। बाद में पनीरसेल्वम के वकील ने कहा कि अदालत ने कहा है कि कोऑर्डिनेटर और ज्वाइंट कोऑर्डिनेटर के पद समाप्त नहीं हुए हैं। पनीरसेल्वम और पलानीस्वामी पहले क्रमश: कोऑर्डिनेटर और ज्वाइंट कोऑर्डिनेटर थे। पूर्व में दोनों नेताओं की ओर से संयुक्त रूप से बुलाई गई 23 जून की आम परिषद की बैठक में घोषणा की गई थी कि परिषद के सदस्यों की एकमात्र मांग पलानीस्वामी के पक्ष में पार्टी के लिए सिंगल नेतृत्व व्यवस्था पेश करना है।
पनीरसेल्वम ने अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया दी
इसके बाद 11 जुलाई की आम परिषद की बैठक में पलानीस्वामी को इसका अंतरिम महासचिव चुना गया और पनीरसेल्वम और उनके कुछ सहयोगियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। पनीरसेल्वम ने अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्होंने धर्म, न्यायपालिका, पार्टी कार्यकर्ताओं और उन लोगों पर भरोसा किया, जिन्हें विश्वास है कि सत्य और धर्म उनके साथ हैं। उन्होंने एक बयान में कहा कि यह फैसला साबित करता है कि न्याय, धर्म, पार्टी कार्यकर्ता, लोग और विशेष रूप से सर्वशक्तिमान प्रभु यह स्वीकार नहीं करेंगे कि किसी राजनीतिक दल को बलपूर्वक हड़प लिया जाए।
पनीरसेल्वम ने बोला हमला
पनीरसेल्वम ने कहा कि जिन लोगों ने पार्टी के संस्थापक दिवंगत मुख्यमंत्री एम जी रामचंद्रन की ओर से बनाए गए पार्टी कानूनों का सम्मान नहीं किया, वे हार जाएंगे। उन्होंने कहा कि अन्नाद्रमुक अपनी एकता के बल पर अब लोहे का ऐसा किला बनेगी, जिसे तोड़ा नहीं जा सकेगा। उन्होंने कहा कि मैं अब उन 1.5 करोड़ पार्टी कार्यकर्ताओं को साथ लेकर जाऊंगा, जो मानते हैं कि अम्मा (दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता) स्थायी महासचिव हैं। इस बीच, पलानीस्वामी के धड़े ने इस बात पर जोर दिया कि यह आदेश पूर्व मुख्यमंत्री के लिए झटका नहीं है।
‘आदेश की प्रति पढ़ने के बाद विस्तार से जवाब देगी पार्टी’
वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री के पी मुंसुसामी ने कहा कि पार्टी आलाकमान आज के आदेश की प्रति पढ़ने के बाद विस्तार से जवाब देगा। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि 23 जून और 11 जुलाई को आम परिषद की बैठकें उसी प्रकार की गई थीं, जिस प्रकार दिवंगत रामचंद्रन और जयललिता के समय में ये आयोजित की जाती थीं। उन्होंने कहा कि दोनों बैठकों के दौरान मौजूद आम परिषद के सभी सदस्यों की सर्वसम्मति से प्रस्तावों को पारित किया गया।
क्या अदालत का आदेश पलानीस्वामी के लिए झटका है?
यह पूछे जाने पर कि क्या अदालत का आदेश पलानीस्वामी के लिए झटका है, उन्होंने कहा कि इसका सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने कहा कि अगर आम परिषद के 2,600 सदस्य हैं, तो उनमें से 2,562 ने पलानीस्वामी को प्रमुख के रूप में स्वीकार कर लिया है। आम परिषद के सदस्य पार्टी के जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की ओर से चुने जाते हैं और उनके पास सभी शक्तियां होती हैं। मुंसुसामी ने कहा कि इन लोगों ने सर्वसम्मति से (अंतरिम) महासचिव (पलानीस्वामी) को स्वीकार किया था। उन्होंने कहा कि अदालत के यथास्थिति के आदेश को लेकर विचार-विमर्श किया जाएगा और फिर तय किया जाएगा कि आगे क्या करना है। पनीरसेल्वम के समर्थकों ने अदालत के आदेश के बाद पटाखे जलाकर जश्न मनाया।