दियोटसिद्ध में मर्यादाओं के हनन पर उग्र हुए महंत श्रीश्रीश्री 1008 राजेंद्र गिर जी महाराज…

 बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध की पावन गुफा के गर्भगृह की मर्यादाओं के हनन के खुलासे के बाद उखड़े महंत श्री श्री श्री 1008 राजेंद्र गिर जी महाराज ने उग्र स्वरों में कहा है कि अगर सरकार व सिस्टम बाल योगी बाबा बालक नाथ की सिद्ध परम्पराओं व नाथ मान्यताओं के निर्वहन में खुद को नाकाम पा रही है तो तत्काल प्रभाव से गर्भगृह की व्यवस्था उनके हवाले की जाए।

उन्होंने कहा कि प्राचीन सिद्ध परम्पराएं सरकारी ढर्रे पर हरगिज नहीं चलेंगी। बाबा बालक नाथ के साक्षात प्रतिनिधि होने के नाते सिद्ध परम्पराओं को स्थापित व कायम करना उनका कर्ज व फर्ज है। इस सब के लिए प्रकृति व बाबा बालक नाथ की इच्छा के कारण ही वह इस गद्दी पर विराजमान हुए हैं। 

  उल्लेखनीय है कि बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध की पावन गुफा में आदि अनंत काल से चली आ रही धार्मिक सिद्ध परंपराओं के तार-तार होने का खुलासा हुआ  था। घटना 4 अप्रैल सोमवार की है। बाबा बालक नाथ की पावन से चली आ रही गुफा के गर्भगृह में प्रवेश सिद्ध परंपराएं होने के बाद थड़े पर बैठकर पूजा-अर्चना की है।यह हरकत बतौर धार्मिक नेता प्रचारित पंजाब के एक नागरिक ने ड्यूटी पर तैनात पुजारियों व सुरक्षा कर्मचारियों की मौजूदगी की गई है। गर्भगृह में प्रवेश का अधिकार मंदिर ट्रस्ट के महंत के पास सिद्ध परंपराओं के मुताबिक सुरक्षित है। महंत श्री ने कहा कि गर्भगृह की व्यवस्था का अधिकार उन्होंने व्यवस्थागत मंदिर के पुजारियों को हस्तारित किया है।

बाबा बालक नाथ की इच्छा उनके लिए सर्वोपरि है। गर्भगृह में हुए इस कृत्य से वह बेहद आहत हैं। जबकि दूसरी ओर देश और दुनिया में रहने वाले बाल योगी के करोड़ों श्रद्धालु भी खुद को आहत व आंदोलित महसूस कर रहे हैं। वर्ष 1984 में पुजारियों की अराजकता के मद्देनजर उनके ब्रह्मलीन गुरु शिवगिर जी महाराज ने प्रदेश सरकार को लिखित आग्रह किया था कि मंदिर की व्यवस्था के समाजीकरण के लिए सरकार इस मंदिर को अपने हाथों में ले। लेकिन इसका यह कतई मतलब नहीं है कि सिस्टम प्राचीन सिद्ध धार्मिक परम्पराओं के विपरीत जाकर मंदिर की व्यवस्था को सरकारी ढर्रे पर चलाए।

उन्होंने दो टूक कहा है कि अगर सिस्टम गर्भगृह की मान्यताओं व परम्पराओं को महफूज रखने में नाकाम है तो गर्भगृह की व्यवस्था तत्काल उनके हवाले की जाए, जिस पर उनका पूरा सिद्ध धार्मिक अधिकार है। वह अपने सिस्टम के सहारे गर्भगृह की परम्पराओं को कायम रख लेंगे। उन्होंने कहा कि पूजा, अर्चना कभी भी वेतन के आधार पर नहीं हो सकती है। क्योंकि यह करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का सवाल है।

इस आस्था पर उन्हें कोई भी सवाल हरगिज बर्दाश्त नहीं होगा। महंत श्री बोले कि इस कृत्य के लिए जो भी जवाबदेह व जिम्मेदार है, बेशक वो न्यासी हो, अधिकारी हो, या कर्मचारी हो, या फिर पुजारी हो, मंदिर प्रशासन तत्काल प्रभाव से इस मामले की कड़ी जांच करे, व जिनका भी दोष हो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई एक सप्ताह के भीतर अमल में लाए। उन्होंने कहा कि मंदिर की मर्यादा श्रद्धालुओं से है, न कि सिस्टम से है। इसलिए करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था से खिलवाड़ हरगिज बर्दाश्त नहीं होगा।

महंत श्री ने कहा कि इस घोर कोताही, लापरवाही व साजिश की शिकायत सीधे तौर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कार्यालय को की जाएगी। ऐसे में गर्भगृह की मर्यादाओं से छेड़छाड़ करने वाले किसी शख्स को भी नहीं बख्शा जाएगा। भले ही उसकी कितनी बड़ी राजनीतिक पहुंच व हैसियत ही क्यों न हो।

महंत श्री ने कहा कि इस कृत्य का खुलासा होने के बाद हजारों श्रद्धालु व्यथित व आंदोलित मन से उन्हें लगा कर संपर्क कर रहे हैं। अब अगर ऐसे में यहां कोई आंदोलन खड़ा होता है तो उसकी तमाम जिम्मेदारी मंदिर प्रबंधन की होगी। उन्होंने कहा कि इस मामले में लीपापोती नहीं चलेगी। जिसका दोष है उसे सिस्टम तुरंत निलंबित करे।