ग्वालियर में एक ऐसा शिव मंदिर है जहां अदालत लगती है और फैसले सुनाए जाते हैं। यहां जज की भूमिका में खुद भगवान शिव होते हैं। विवाद को लेकर दोनों पक्षों की बात सुनी जाती है, गवाह पेश किए जाते हैं और बाकायदा केस रजिस्टर में एंट्री होती है। खास बात यह कि दूसरे धर्मों के लोग भी दूर-दूर से अपने विवादों के निपटारे के लिए यहां आते हैं।
ग्वालियरः मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक ऐसा शिव मंदिर है जहां अदालत लगाई जाती है और फैसले भी होते हैं। भगवान शिव ही यहां जज की भूमिका में होते हैं और वही फैसला सुनाते हैं। यहां पर कोर्ट की तरह हत्या लूट और अपहरण जैसे मामलों की सुनवाई की जाती है। जिला मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर गिरगांव में स्थित यह मंदिर, मजिस्ट्रेट महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। यहां पर महाशिवरात्रि के दिन भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है और मेला भी लगता है।
इस मंदिर में दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। यहां पर अदालत भी लगाई जाती है। अदालत में जज शिवजी होते हैं। मंदिर में हर तरह के मामलों की सुनवाई की जाती है। उसके बाद फैसला सुनाया जाता है। यह भी मान्यता है कि अगर शिवजी की अदालत में झूठ बोला तो काफी नुकसान हो सकता है।
महादेव की अदालत में 11 पंच का पैनल मामले की सुनवाई करता है। केस लेकर आने वाले दोनों पक्षकार गवाह लेकर आते हैं। सबूत और गवाह के आधार पर आरोपी की बात सुनने के बाद यहां पर फैसला किया जाता है। बाद में फैसले पर मुहर महादेव मंदिर के अंदर शपथ लेकर लगती है। इसके बाद रजिस्टर में केस को बाकायदा दर्ज भी किया जाता है। मान्यता है कि यदि 7 दिन के अंदर आरोपी को कोई नुकसान नहीं होता है तो वह निर्दोष मान लिया जाता है। वहीं, सात दिन के भीतर किसी भी प्रकार का नुकसान होने पर उसे दोषी मान लिया जाता है।
गिरगांव में स्थित महादेव मंदिर में लोग बड़ी संख्या में अपने पारिवारिक मामलों के निपटारे के लिए पहुंचते हैं। गांव के लोगों का कहना है कि महादेव के मंदिर में सभी समाज और जाति के लोग आते हैं। आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग भी यहां अपने मामलों के निपटारे के लिए पहुंचते हैं।
एक ऐसा ही मामला कुछ साल पहले सामने भी आया था। एक परिवार के दो पक्षों में सोने की हार की चोरी को लेकर विवाद हुआ था। छोटे भाई की पत्नी ने जेठ-जेठानी पर हार चोरी करने का आरोप लगाया था। दोनों पक्ष अदालत में पहुंचे और अपने गवाह पेश किए। जेठ-जेठानी ने हार नहीं चोरी करने की कसम भी खाई थी। उसके बाद फैसला सुनाया गया था। जैसे ही आरोपी पक्ष अपने घर पहुंचा तो उनके बेटे ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद आरोपी पक्ष ने भी माना था कि उसने महादेव की अदालत की अवहेलना की थी जिसकी सजा उसे मिली है।