मैं खेलेगा… जब अर्जुन की नाक पर लगी गेंद, फिर सचिन की तरह गुर्राया उनका बेटा: योगराज सिंह

सचिन तेंदुलकर को पाकिस्तान के खिलाफ अपने डेब्यू मैच में वकार यूनुस की गेंद लगी थी। इसके बावजूद उन्होंने कहा था कि मैं खेलेगा। कुछ ऐसे ही निडर उनके बेटे अर्जुन तेंदुलकर दिखे। उनके गुरु योगराज ने इसका खुलासा किया है।

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नई दिल्ली: महान सचिन तेंदुलकर ने 1989 में पाकिस्तान के खिलाफ अपने क्रिकेट करियर का आगाज किया था। महज 16 वर्ष के थे, जबकि विपक्षी टीम में खूंखार गेंदबाजों की भरमार थी। सियालकोट में वकार यूनुस की एक बाउंसर से तेंदुलकर की नाक पर चोट लग गई थी। दूसरी छोर पर खड़े नवजोत सिंह सिद्धू के हाथ-पांव फुल रहे थे। तब सचिन ने मैदान से बाहर जाने की बजाय लड़ना चुना। उन्होंने कहा था मैं खेलेगा…। कुछ ऐसा ही हुआ उनके बेटे अर्जुन तेंदुलकर के साथ।

सचिन के साथ हुआ वाकया हर युवा खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करता है। वह निडर थे। पाकिस्तान के तूफानी गेंदबाजों का डंटकर सामना किया था। दूसरी ओर, युवराज के पिता योगराज सिंह ने कुछ ऐसा ही खुलासा अर्जुन के बारे में किया। जब अर्जुन योगराज के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग कर रहे थे तब भी कुछ ऐसा ही हुआ और 64 वर्षीय पूर्व क्रिकेटर ने उन्हें गले लगा लिया।

अर्जुन के मुंह पर लगी गेंद, बोले मैंं खेलेगा

उन्हेंने बताया- अर्जुन क्षेत्ररक्षण कर रहा था और एक लड़के का सीधा थ्रो उसकी ठुड्डी पर लगा। खून बह रहा था। मैंने उसके चेहरे को देखा और कहा कि जाओ और उस पर कुछ बर्फ लगाओ और कल आना। वह बर्फ लाया और कहा ‘मैं खेलेगा’। उसने सचिन की याद दिला दी। उन्हें वकार की बाउंसर लगी थी। मैंने अर्जुन को गले लगाया और कहा कि नहीं चलो डॉक्टर के पास चलते हैं। उसके चेहरे पर बहुत सूजन थी। लेकिन वह अगले दिन अभ्यास के लिए आया। मुझे उसका दृढ़ संकल्प पसंद आया।

अर्जुन से क्या कहा था गुरु योगराज ने

उन्होंने कोचिंग के 15 दिनों को याद करते हुए कहा- मैंने कहा अर्जुन दुनिया से अलग चलना पड़ता है तभी आगे बढ़ते हैं और तभी सब याद रखते हैं। अर्जुन ने मुझे युवी की याद दिला दी। अर्जुन एक गेंदबाज से ज्यादा एक बल्लेबाज है। वह एक विनाशकारी बल्लेबाज है। युवी इसी तरह से बल्लेबाजी करता था। समय के साथ हमने एक दादा और पोते के रिश्ते को साझा करना शुरू कर दिया। मैं वास्तव में खुश हूं कि मैं ऐसा कर सका।

योगराज ने बताया- सुबह जल्दी उठना, लंबे स्पैल गेंदबाजी करना और सैकड़ों थ्रोडाउन का सामना करना अर्जुन के दैनिक अभ्यास का हिस्सा था। योगराज ने उन बातों की एक सूची बना ली थी जिनका अर्जुन को पालन करना था। अभ्यास सत्र के बाद, योगराज ने अर्जुन को उसके साथ एक वीडियो कॉल करने और अपने दिन की गतिविधियों के बारे में बात करने का निर्देश दिया। योगराज ने कहा, “एक दिन उसने मेरा फोन नहीं उठाया। मैंने उसे डांटा। मैं चाहता था कि वह ध्यान केंद्रित करे। बस इतना ही।”

शानदार डेब्यू के बाद इमोशनल थे अर्जुन
उन्होंने शानदार डेब्यू के बाद हुई बातचीत के बारे में बताया- अर्जुन बेहद खुश था। वह इमोशनल था। मैं उसके लिए बहुत खुश था, लेकिन मैंने उससे सख्ती से कहा, बस अगले गेम पर ध्यान दो। सिर्फ एक मील के पत्थर पर मत टिके रहो, भविष्य में कई और समय आगेंगे। सचिन की बराबरी करने वाली अर्जुन की उपलब्धि के बाद युवी ने भी मुझे फोन किया। मैंने उससे कहा कि वे सभी इंतजार करें और इस बच्चे को अर्जुन ही रहने दें।”

उल्लेखनीय है कि अर्जुन तेंदुलकर ने गोवा की ओर से फर्स्ट क्लास डेब्यू करते हुए राजस्थान के खिलाफ शतक जड़ा और इसके अलावा 3 विकेट भी झटके। इससे पहले 1988 में सचिन तेंदुलकर ने इसी तरह से मुंबई के लिए रणजी ट्रॉफी में डेब्यू मुकाबले में शतक जड़ा था।