Dimple Yadav news: डिंपल यादव साल 2009 में फिरोजाबाद से लोकसभा उपचुनाव में सपा उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरीं। चुनाव लड़ने वाली वह यादव परिवार की पहली महिला नेता थीं। लेकिन अखिलेश यादव की तमाम मेहनत के बाद भी वह यह चुनाव हार गईं। इसके लिए अखिलेश ने अमर सिंह को जिम्मेदार माना।
लखनऊ: समाजवादी पार्टी ने गुरुवार को मैनपुरी सीट पर लोकसभा उपचुनाव 2022 (Mainpuri Bypoll News) के लिए डिंपल यादव (Dimple Yadav) को प्रत्याशी घोषित कर दिया। मैनपुरी समाजवादी पार्टी की अहम सीट है। यह मुलायम सिंह यादव की पारंपरिक सीट रही है, इसलिए यहां से जो भी सपा उम्मीदवार जीत हासिल करेगा वह मुलायम की राजनीतिक विरासत के वारिस के तौर पर देखा जाएगा। ऐसे में याद आता है डिंपल यादव का वह चुनाव जब अखिलेश की लाख कोशिशों के बाद भी वह हार गईं। डिंपल की हार के पीछे अखिलेश ने अमर सिंह को जिम्मेदार माना। अमर सिंह से अखिलेश की नाराजगी इस कदर बढ़ी कि उन्होंने अमर सिंह को पार्टी से बाहर करवाकर ही दम लिया। इसके लिए वह अपने पिता और सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव तक से भिड़ गए।
अखिलेश की इस नाराजगी से उनके बगावती तेवर सामने आए जिसने समाजवादी पार्टी की सूरत बदलकर रख दी। इसके लिए साल 2009 का फिरोजाबाद का लोकसभा उपचुनाव जिम्मेदार था। हुआ यह था कि अखिलेश ने कन्नौज और फिरोजाबाद से लोकसभा सीट पर लडे़ थे। बाद में उन्होंने कन्नौज की सीट रखकर फिरोजाबाद से इस्तीफा दे दिया। इस उपचुनाव के लिए अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव को सपा ने उम्मीदवार बनाया।
राज बब्बर लाए नाटकीय मोड़
इस चुनाव ने उस समय नाटकीय मोड़ ले लिया जब डिंपल के सामने सपा से निकाले गए राज बब्बर मैदान में आ गए। राज बब्बर को साल 2006 में सपा से निकाल दिया गया था। उन्होंने खुल्लमखुल्ला अमर सिंह को सपा में ‘दलाली और फाइव स्टार संस्कृति’ को बढ़ावा देने वाला कह दिया था। इस आधार पर उन्हें पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया।
अमर सिंह से राज बब्बर की नाराजगी
यह दिलचस्प है कि राज बब्बर को सपा में लाने वाले अमर सिंह ही थे। राजनीति और बॉलिवुड दोनों ही क्षेत्रों में अमर सिंह के दोस्त थे। सपा में राज बब्बर के बाद अमिताभ बच्चन, जया बच्चन और को लाने वाले अमर सिंह ही थे। जानकारों का कहना है कि धीरे-धीरे नए सितारों की चमक के सामने राज बब्बर साइड लाइन होने लगे तो अमर सिंह को लेकर उनकी नाराजगी बढ़ने लगी। नतीजा यह हुआ कि उन्हें फरवरी 2006 में पार्टी ने निकाल दिया और उन्होंने कांग्रेस का हाथ पकड़ लिया। इसलिए साल 2009 में जब डिंपल फिरोजाबाद सीट पर खड़ी हुईं तो कांग्रेस के टिकट पर उनके सामने राज बब्बर डट गए। इस टक्कर के जरिए राज बब्बर सपा और अमर सिंह को बता देना चाहते थे कि उनका पक्ष सच का पक्ष था और वह आज भी कमजोर नहीं है।
सलमान, संजय दत्त आए प्रचार करने
बहरहाल, इस चुनाव में स्टार प्रचारक लाए गए। राज बब्बर के पक्ष में प्रचार करने के लिए सलमान खान आए। उनकी काट के तौर पर अमर सिंह संजय दत्त को लेकर आ गए। सलमान खान ने नवंबर 2009 में राजबब्बर के समर्थन में रोडशो किया। इसके जवाब में सपा ने पीडी जैन कॉलेज के मैदान में संजय दत्त की जनसभा कराई। इस जनसभा में अमर सिंह भी थे। जनता को संबोधित करते समय उन्होंने सलमान खान को ‘वॉन्टेड’ कह दिया। भीड़ को यह बात नागवार गुजरी और जमकर हूटिंग हुई। अमर सिंह के खिलाफ नारेबाजी भी हुई।
मुस्लिम वोट बैंक में फूट
राज बब्बर को तुरुप का इक्का मिल गया। उनकी टीम ने अमर सिंह के इस बयान को मुस्लिम विरोधी बताते हुए इसका जमकर प्रचार किया। नतीजा यह हुआ कि मुस्लिम वोट बैंक में फूट पड़ गई। बिना किसी खास जनाधार के राज बब्बर जीत गए और अखिलेश की जीती हुई सीट पर उनकी ही पत्नी डिंपल यादव हार गईं।
हार से बौखला गए अखिलेश
अखिलेश इस हार से बौखला गए। उन्होंने फिरोजाबाद सीट के लिए इतनी मेहनत की थी जितनी अपनी सीट के लिए भी नहीं की। अखिलेश ने इसके लिए अमर सिंह को सीधे-सीधे जिम्मेदार ठहराया। जो अखिलेश अमर सिंह को चाचा कहते थे और मंच पर सार्वजनिक रूप से उनके पैर छूते थे अब वही उन्हें पार्टी से बाहर निकालने की मांग पर अड़ गए। अमर सिंह के समर्थन में शिवपाल और खुद मुलायम सिंह थे पर उनकी एक न चली और अंतत: फरवरी 2010 में अमर सिंह और जयाप्रदा को सपा से निष्कासित कर दिया गया।
बदल गई पार्टी की सूरत
इस घटना के बाद अखिलेश की राजनीतिक पकड़ पार्टी पर बढ़ती गई। अंतत: वह मार्च 2012 में यूपी के सीएम बन गए। इसके बाद उनके और उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच तल्खियां भी बढीं। कह सकते हैं, कि आज समाजवादी पार्टी का जो स्वरूप है उसमें फिरोजाबाद में डिंपल यादव की हार का बहुत योगदान है।