Mainpuri Loksabha Byelection 2022: मैनपुरी में लोकसभा उप चुनाव हो रहा है। मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद हो रहे उप चुनाव को लेकर माहौल गरमाया हुआ है। परिवार की एकता की भी चर्चा है। नेताजी के छोटे भाई अभयराम यादव सुकून जताते हैं। इस चुनाव में भी मैनपुरी की चर्चा का केंद्र मुलायम सिंह यादव बने हुए हैं।
मैनपुरी: सैफई, सुबह के सवा नौ बज रहे हैं। मुलायम सिंह यादव के पुश्तैनी घर का मुख्य द्वार बंद है। बगल के छोटे गेट से सामान्य पूछताछ के बाद कार्यकर्ता अंदर जा रहे हैं। अंदर कमरे में सपा मुखिया अखिलेश यादव बैठे हैं। सिक्यॉरिटी के पास पहुंचे लोग, हरी झंडी मिलने के बाद मुलाकात के लिए अंदर-बाहर हो रहे है। पास की गली में करीब 50 मीटर भीतर एक और बड़ा सा मकान है, जिसके दरवाजे खुले हैं। भीतर घुसने पर खाट पर छोटे कद के 79 साल के बुजुर्ग और उनको घेरे कुछ नौजवान बैठे हैं। बुजुर्ग की शक्ल-सूरत एकदम मुलायम जैसी। उपचुनाव की चर्चाओं के बीच सवाल उछला, ‘शिवपाल-अखिलेश को क्या समझाकर एक करवाया?’ बोले, ‘शिवपाल पुराने हैं, अखिलेश नया खून है, जोश रहता ही है। अब सब ठीक है।’
यह बुजुर्ग मुलायम के छोटे भाई व पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव के पिता अभयराम यादव हैं। मुलायम के न रहने के बाद उन्होंने परिवार के बड़े की जिम्मेदारी संभाल ली है। उनके पास बैठा एक नौजवान बोला, ‘दद्दा, टीवी पर आप और छोटे मंत्रीजी को घर पर साथ बैठे खूब दिखा रहे थे।’ बुजुर्ग मुस्कराते हुए बोले, ‘घर की फोटो नहीं है। स्कूल की है, हम और शिवपाल साथ ही बैठे थे। अब घर का सबसे बड़ा तो मैं ही बचा हूं, मेरी बात का कुछ तो मान रखेंगे। सब साथ आ गए अच्छा हुआ नहीं तो मन बंटा-बंटा रहता था।’
‘कुछ छापना नहीं, लड़के नाराज होते हैं!’
यह जानने के बाद कि मैं खबरनवीस हूं, चुनाव व परिवार से जुड़े सवालों पर अभयराम ने टोक दिया, ‘कुछ लिखना-छापना नहीं। सीधा आदमी हूं, साफ-साफ कह जाता हूं, लोग उसके मतलब निकालते हैं। बाद में लड़के नाराज होते हैं कि पत्रकारों से क्यों बात करते रहते हो?’ मैनें कहा, यही बताइए कि नेताजी ने कैसे सैफई की तस्वीर बदली? अभयराम बोले, ‘सैफई की ही बात क्यों करते हो? पूरे प्रदेश के गांवों की सूरत मंत्रीजी ने बदल डाली। गांव से जुड़ाव था। पहलवानी की थी। माटी की कीमत पहचानते थे।’ यूपी के मुख्यमंत्री से लेकर देश के रक्षामंत्री तक की जिम्मेदारी संभाल चुके मुलायम सिंह यादव आज भी सैफई के लिए बड़े मंत्री और शिवपाल यादव छोटे मंत्री हैं।
जसवंतनगर में साथ आए तब भरोसा हुआ
अभयराम के पास बैठे सैफई के एक सज्जन कहते हैं कि शिवपाल-अखिलेश साथ आए तो सबमें जान आ गई। नहीं तो यहीं के आधे लोग घर बैठ जाते। अभयराम बोले, फोटो आने के बाद भी लोग संशय में थे, जब जसवंतनगर में कार्यकर्ता सम्मेलन में सब साथ आए तो यकीन हुआ। अखिलेश को भी शिवपाल की अहमियत का अंदाजा लगा। यह तो भाजपा की लगाई आग थी, जो बुझ गई। अभयराम कभी राजनीतिक रूप से सक्रिय नहीं रहे, लेकिन, इस बार बहू डिंपल यादव के नामांकन के दौरान वह भी कलेक्ट्रेट के बाहर नजर आए थे।
‘परिवार के अधिकांश सदस्य राजनीति में आए, कभी आपका मन नहीं किया?’ अभयराम हंसते हुए दुधारू पशुओं की ओर इशारा करते हुए कहते हैं, ‘मैं भी राजनीति करने लगता तो यह सब कौन करता? यहीं से पूरे परिवार को दूध-घी जाता है। मैनें अपना ध्यान घर, खेती-बाड़ी संभालने में लगाया। यह करना भी तो जरूरी है।’