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बताया जा रहा है कि वो चार माह की बच्ची को अपनी कमर को बांधकर कूदी थी। बच्चों की तो मौके पर ही मौत हो गई। लेकिन जब शकुनत खुद पानी में तड़फने लगी तो उसने शोर मचाना शुरू किया। जिसे सुनकर पड़ोसियों ने उसे बचा लिया लेकिन तब तक बच्चों की मौत हो चुकी थी।
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पड़ोसियों ने उसे उपचार के लिए मेडिकल कॉलेज भेज दिया। इस हत्याकांड से पूरा गांव थर्रा उठा। लेकिन हत्यारी शकुनत को बचाने के लिए परिजनों व रिश्तेदारों ने तरह-तरह की अटकल बाजी लगाई। लेकिन पुलिस ने इस मामले में शकुनत को दोषी मानते हुए उसके खिलाफ बुधवार को हत्या सहित कई धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
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आखिर क्यों उठा यह कदम?
ग्रामीण बताते हैं कि शकुनत के चार बच्चे थे। कमोबेश सभी मंदबुद्धि थे। हाल ही में हुई चार माह की बेटी को वो किसी डाक्टर को दिखाकर लाए थे तो डाक्टर ने उसे भी अन्य बच्चों की तरह मंदबुद्धि बता दिया। पहले से मानसिक रूप से परेशान शकुनत अपना आपा खो बैठी और उसने बच्चों सहित मरने के लिए घर में बने पानी के टैंक में पहले दो बच्चों को डाला और फिर चार माह की मासूम को अपनी कमर के साथ बांधकर खुद भी टैंक में कूद गई। इस हादसे में तीनों बच्चों की तो मौत हो गई, लेकिन वो खुद बच गई जो अब उपचार के लिए नलहड़ मेडिकल कॉलेज में दाखिल है।
ग्रामीण बताते हैं कि शकुनत के चार बच्चे थे। कमोबेश सभी मंदबुद्धि थे। हाल ही में हुई चार माह की बेटी को वो किसी डाक्टर को दिखाकर लाए थे तो डाक्टर ने उसे भी अन्य बच्चों की तरह मंदबुद्धि बता दिया। पहले से मानसिक रूप से परेशान शकुनत अपना आपा खो बैठी और उसने बच्चों सहित मरने के लिए घर में बने पानी के टैंक में पहले दो बच्चों को डाला और फिर चार माह की मासूम को अपनी कमर के साथ बांधकर खुद भी टैंक में कूद गई। इस हादसे में तीनों बच्चों की तो मौत हो गई, लेकिन वो खुद बच गई जो अब उपचार के लिए नलहड़ मेडिकल कॉलेज में दाखिल है।
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जिस समय यह हादसा हुआ उस समय पुलिस को गुमराह किया गया कि यह हादसा हुआ है हत्या नहीं। पुलिस ने पहले दिन तो इस मामले में मामला दर्ज नहीं किया। परिजन शकुनत को बचाना चाहते थे, क्योंकि शकुनत व उसकी देवरानी सगी बहन है तो सास उसकी बुआ लगती है। इसलिए शकुनत के मायके वाले चाहते थे कि मामला यूं ही रफा-दफा हो जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।