जिस बंजर भूमि से किसी भी आमदनी की कोई आस नहीं थी, उसी बंजर भूमि को रिटायर्ड इंजीनियर ने सूर्य की किरणों से निकलने वाली तपीश से ऐसे तपा डाला कि अब वहां नोटों की हरियाली छाई हुई है। आमदनी की नई इबारत लिखने वाले इस शख्स का नाम है ई. कुशाल ठाकुर।
मंडी निवासी ईं. कुशाल ठाकुर विद्युत विभाग से बतौर चीफ इंजीनियर रिटायर हुए हैं। रिटायरमेंट के बाद कुशाल ठाकुर ने इसी क्षेत्र में कुछ नया करने की सोची। ऐसे में उनकी नजर शहर के साथ लगते किपड़ गांव में अपनी उस बंजर भूमि पर पड़ी, जिसका कोई उपयोग नहीं हो रहा था। कुशाल ने हिम उर्जा विभाग के माध्यम से 500 किलोवॉट क्षमता वाले सोलर पॉवर प्लांट के लिए आवेदन किया। आवेदन स्वीकार हुआ और 8 से 10 बीघा बंजर पड़ी भूमि पर इसे स्थापित किया गया। जिस बंजर भूमि से कुशाल को कभी एक रूपए की आमदनी भी नहीं होती थी, आज उसी से उन्हें हर साल 18 से 20 लाख की आय हो रही है।
कुशाल ठाकुर ने बताया कि भूमि के बंजर रहने का एक बड़ा कारण जंगली जानवरों का आतंक भी था। क्योंकि जंगली जानवर फसल को पूरी तरह से नष्ट कर देते है। खाली जमीन उनके लिए एक चिंता का कारण भी बनती जा रही थी। लेकिन आज इसी बंजर भूमि से चार और लोगों को रोजगार भी मिला है। उन्होंने लोगों से भी आहवान किया है कि वे इस क्षेत्र में आगे बढ़ें। क्योंकि सर्दियों में प्रदेश को दूसरे राज्यों से बिजली खरीदनी पड़ती है, जबकि इस जरूरत को सोलर सिस्टम से पूरा किया जा सकता है।
हिम ऊर्जा विभाग के जिला परियोजना अधिकारी रमेश ठाकुर ने बताया कि प्रदेश सरकार ने राज्य को वर्ष 2030 तक हरित राज्य के रूप में विकसित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। अभी तक जिला में 2 मेगावॉट की क्षमता स्थापित की जा चुकी है और 4 मेगावॉट के प्रोजेक्ट निर्माणाधीन हैं। मौजूदा बजट में सरकार ने ऐसे प्रोजेक्ट के लिए 40 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान भी किया है।