सुंदरनगर, 04 अगस्त : प्रदेश सरकार भले ही शिक्षा के विकास और सुविधाओं के नाम करोड़ो रुपये खर्च करने के बड़े-बड़े दावे करती हो, लेकिन आज भी कई जगह शिक्षा के मंदिर जीर्ण-शीर्ण होकर गिरने के कगार पर है। ऐसा ही एक मामला प्रदेश के सीएम जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी से सामने आया है। जहां विकास खंड सुंदरनगर के राजकीय उच्च माध्यमिक पाठशाला अलसू में प्राइमरी और सेकेंडरी विंग के 107 विद्यार्थी मौत के साए में पढ़ाई करने को मजबूर हैं।
वर्ष 2016 में अनसेफ घोषित हो चुके इस विद्यालय के भवन में विद्यार्थियों के अलावा यहां पढ़ाने वाले शिक्षक भी जर्जर भवन से अनहोनी के डर में कार्य कर रहे हैं। शिक्षा विभाग विद्यार्थियों और स्कूल के स्टाफ के लिए न तो कोई अतिरिक्त प्रबंध कर पाया है और न ही नए बनने वाले स्कूल के भवन की कोई रूपरेखा तैयार कर पाया है। स्कूल की टूटी छत्त से हर दिन कहीं न कहीं से सीमेंट और बजरी के टुकड़े गिरते रहते है। जिस कारण विद्यार्थियों और अध्यापकों में किसी भयावह घटना के घटित होने का अंदेशा बना रहता है।
राजकीय उच्च माध्यमिक पाठशाला अलसू निर्माणाधीन किरतपुर-मनाली फोरलेन के साथ सटा हुआ है। इस स्कूल का कुछ भाग एनएचएआई द्वारा फोरलेन अधिग्रहित करने के बाद कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान 19 नवंबर 2015 में मुआवजे के रूप में 44 लाख, 95 हजार 354 रुपए की राहत राशि भी मिल चुकी है। लेकिन स्कूल भवन निर्माण को लेकर कांग्रेस से लेकर वर्तमान भाजपा सरकार के कार्यकाल में कोई भी कागजी प्रक्रिया शुरू नहीं करने के चलते यह राशि भी करीब एक महीने के बाद 14 दिसंबर को ट्रेजरी में जमा करवानी पड़ गई। इसके उपरांत आज दिन तक नए स्कूल के भवन निर्माण को लेकर प्रदेश सरकार, शिक्षा विभाग और स्कूल प्रबंधन द्वारा कोई भी कदम उठाया नहीं गया है।
डैहर के अलसु में प्राइमरी स्कूल की स्थापना 1969 को हुई थी। उस समय यहां विद्यार्थियों की संख्या बेहद कम थी। उसके बाद विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने और समीप के गांवों के बच्चों को सुविधा प्रदान करने के लिए 2007 में इसका दर्जा बढ़ाते हुए इसे प्राइमरी से सीधा उच्च माध्यमिक पाठशाला बना दिया गया था। हैरानी की बात यह है कि इस स्कूल के कमरों में विधानसभा क्षेत्र सुंदरनगर के अलसू बूथ का निर्वाचन केंद्र भी है।
उच्च माध्यमिक पाठशाला अलसू में कुल 107 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते हैं। इनमें प्राईमरी में 55 और छठीं से आठवीं तक 52 बच्चे हैं। इसके अतिरिक्त 10 शिक्षक और दो चपरासी हैं। पाठशाला की जर्जर होते हालातों को देखते हुए स्कूल प्रबंधन द्वारा आठवीं की कक्षाएं स्कूल कैंपस में बनाए एक अस्थाई टीन के शैड में लगाई जाती हैं। मूसलाधार बारिश और कड़ी धूप में यहां पर बच्चों और शिक्षकों को भारी परेशानियां उठानी पड़ती हैं।