#Mandi : सरोवर से उत्पन्न इस देवता को माना जाता है शेषनाग का रूप

छोटी काशी मंडी में देवी-देवताओं के आगमन से स्वर्गमयी नजारा देखने को मिल रहा है। जनपद के सैंकड़ों देवी-देवता अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में शिरकत कर भक्तों को अपना आशीर्वाद दे रहे हैं। इन देवी-देवताओं से श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए कई मन्नते भी मांगते हैं। मंडी शिवरात्रि में सैंकड़ों सालों से द्रंग के उतरसाल से एक ऐसे देवता आते हैं जो अनाज व काला सोना यानी लोहे से ही खुश होकर श्रद्धालुओं की मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। इन देवता का नाम है “श्री देव खहणी नागणू”।

श्री देव खहणी नागणू उत्पत्ति तालाब से हुई है और इन्हें शेषनाग का रूप माना जाता है। इनका मूल स्थान उतरसाल के नवलाया पंचायत के नेरी में है। जहां उनकी उत्पत्ति बढानणू से इनके पिता से हुई है। जिस भक्त की श्री देव खहणी नागणू के समक्ष सच्ची लगन व विश्वास होगा, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। इसमें भक्त को देवता के दर सवा किलोग्राम अनाज व लोहा रखना होता है। उसके उपरांत देवता खुश होकर हर मनोकामना पूरी करते है।

देवता के पुजारी व गुर राजकुमार ने बताया कि श्री देव खहणी नागणू के हर वर्ष चार जाग होते है। इसमें एक सावन माह में भंडारा, भाद्र, ज्येष्ठ माह और देसी माह में जाग होती है। उतरसाला के नागणू में स्थित श्री देव खहणी (शेषनाग) के  दरबार मंडी जिला ही नहीं, बल्कि कांगड़ा, कुल्लू, मनाली, शिमला, सराज, चौहार घाटी सहित दूर-दूर क्षेत्र के भक्त पहुंचते हैं।

राजपरिवार के अलावा और कहीं भी नहीं ठहरते श्री देव खहणी नागणू

देवता के पुजारी व गुर राजकुमार ने बताया कि श्री देव खहणी नागणू राजाओं के समय से ही शिवरात्रि महोत्सव में शिरकत करते आए हैं। उन्होंने बताया कि देवता शिवरात्रि महोत्सव के दौरान राजपरिवार के अलावा और कहीं भी नहीं ठहरते हैं। वहीं उन्होंने बताया कि जो व्यक्ति देवता के नियमों की पालना नहीं करता है या गलत कदम उठाता है। उसे देवता कड़ी सजा भी देते है। जिसके चलते देवता को न्याय का देवता भी कहा जाता है।

देवता के दर हमेेशा नारियल व देसी घी चढ़ाया जाता है। जो भी भक्त देवता के दरबार में हाजिरी भरता है, उसकी मनोकामना हमेशा पूरी होती है।