Manoj Bajpayee: बॉलीवुड से हिंदी के ‘गुम’ होने पर दुखी मनोज बाजपेयी, कहा- नहीं पढ़ता इंग्लिश स्क्रिप्ट

एक्टर मनोज बाजपेयी बॉलीवुड में हिंदी को साइडलाइन किए जाने और इंग्लिश भाषा के बढ़ते चलन से दुखी हैं। मनोज बाजपेयी ने कहा कि यह सिर्फ फिल्म इंडस्ट्री ही नहीं समाज में भी हो रहा है। इसलिए एक्टर ने नियम बनाया है कि वह सिर्फ देवनागरी में स्क्रिप्ट पढ़ते हैं।

Manoj Bajpayee Reacts On Hindi
मनोज बाजपेयी,फोटो: epicture.timesgroup.com/agencies

कुछ महीने पहले नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने इस बात को लेकर चिंता जताई थी कि बॉलीवुड में फिल्में तो हिंदी में बनती हैं, लेकिन स्क्रिप्ट रोमन में दी जाती हैं। उनका इशारा इस ओर था कि अब बॉलीवुड से हिंदी भाषा का चलन कम होता जा रहा है। कुछ ऐसा ही एक्टर मनोज बाजपेयी का भी मानना है। मनोज बाजपेयी ने कहा कि अब बॉलीवुड ही नहीं बल्कि समाज में भी हिंदी बोलने का चलन कम होता जा रहा है। उन्होंने इस बात पर दुख जताया कि अब बॉलीवुड में हिंदी को साइडलाइन किया जा रहा है। इसलिए मनोज बाजपेयी ने एक नियम बनाया है। वह सिर्फ वही स्क्रिप्ट पढ़ते हैं जो देवनागरी लिपि में होती हैं।

कुछ समय पहले बॉलीवुड और साउथ फिल्मों की बॉक्स ऑफिस पर सफलता को लेकर एक अघोषित युद्ध सा छिड़ गया था। साउथ वर्सेज बॉलीवुड फिल्मों के विवाद पर दोनों इंडस्ट्री के स्टार्स बढ़-चढ़कर बयानबाजी कर रहे थे। इस विवाद में हिंदी भाषा को भी घसीट लिया गया। किच्चा सुदीप ने हिंदी को राष्ट्रभाषा न बताते हुए एक नए विवाद को जन्म दे दिया था। इसके बाद काफी समय तक इसी बात पर वाद-प्रतिवाद होता रहा। लेकिन कब यह मुद्दा फिल्मों में अच्छे कंटेंट और क्वॉलिटी से हटकर हिंदी भाषा पर फोकस हो गया, पता ही नहीं चला। बॉलीवुड में बरसों से चले आ रहे सफलता के मापदंडों पर भी चर्चा होने लगी। लेकिन इस ओर शायद ही किसी ने ध्यान दिया हो कि अब बॉलीवुड से हिंदी भाषा गायब सी होती जा रही है।

‘हम पैरेंट्स और टीचर्स के रूप में भी असफल, इंग्लिश पर ज़ोर दे रहे हैं’
Manoj Bajpayee जब हाल ही एक बुक लॉन्च इवेंट पर पहुंचे तो उनसे इंग्लिश भाषा के चलन को लेकर एक सवाल पूछा गया था। उन्होंने कहा, ‘इसमें सिर्फ एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री की ही गलती नहीं है। बल्कि हम सभी अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम स्कूल में भेजना पसंद करते हैं, फिर चाहे वो अच्छे हों, बुरे हों या फिर औसत। हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे पहले इंग्लिश बोलना सीखें। और फिर समय और एनर्जी बची तो फिर कोई और भाषा सीखें। तो हम पैरेंट्स के तौर पर असफल हो रहे हैं। हम शिक्षक के तौर पर असफल हो रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि हम न तो अपनी भाषा का महत्व जानते हैं और न ही अपने बच्चों को सिखा पाते हैं।’

मनोज बाजपेयी बोले- मैं सिर्फ देवनागरी में स्क्रिप्ट पढ़ता हूं’
मनोज बाजपेयी ने इसके साथ ही बॉलीवुड में बढ़ते इंग्लिश भाषा के चलन पर भी बात की और इसे बहुत ही दुख की बात बताया। मनोज बाजपेयी ने कहा, ‘एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री भी हमारे समाज से इस मामले में कुछ अलग नहीं है। इंडस्ट्री में आजकल जो नए लोग आ रहे हैं, उनमें से 90 से 95 फीसदी सिर्फ इंग्लिश में लिखते हैं। यह बहुत ही दुख की बात है। लेकिन मैं स्क्रिप्ट सिर्फ देवनागरी में पढ़ता हूं। हममें से बहुत ही कम ऐसे हैं जो डिमांड करते हैं कि भई स्क्रिप्ट देवनागरी लिपि में लिखी जानी चाहिए। मैं ऐसी कोई स्क्रिप्ट नहीं पढ़ता जिसकी लिपि देवनागरी में न हो।’

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इंग्लिश में लिखी स्क्रिप्ट लौटा देते हैं मनोज बाजपेयी
मनोज बाजपेयी ने आगे कहा, ‘अगर स्क्रिप्ट इंग्लिश में लिखी होती है तो मैं वापस कर देता हूं। ऐसा नहीं है कि मुझे इंग्लिश नहीं आती। मैं यह भाषा जानता हूं। लेकिन हम एक कलाकार हैं जो एक्सप्रेस कर रहे हैं। और हमें ऑन स्क्रीन हिंदी भाषा में एक्सप्रेस करना है। इससे हमें भाषा को लिखने, पढ़ने और बोलने की समझ बेहतर होगी। बल्कि स्क्रिप्ट को हिंदी में ही पढ़ा जाना चाहिए।’ प्रोफेशनल फ्रंट की बात करें तो मनोज बाजपेयी वेब सीरीज ‘सूप’ में नजर आएंगे। इसके अलावा उनके पास तीन फिल्में हैं, जिनमें ‘डिस्पैच’, ‘जोरम’ और ‘गुलमोहर’ शामिल हैं।