लागोस. कोरोना जैसी महामारी का संक्रमण वापस फैलने का डर अभी भी लोगों को सता रहा है, क्योंकि इस वायरस ने करोड़ों लोगों की जान ली है. इसी बीच पश्चिमी अफ्रीका देश के घाना में एक ऐसे ही वायरस के बारे में पता चला है जिसका नाम मारबर्ग वायरस है, जो इबोला के परिवार से संबंध रखता है. इसे इबोला वायरस से ज्यादा खतरनाक बताया गया है.
स्काई न्यूज के मुताबिक घाना में पिछले महीने मारबर्ग वायरस के संक्रमण से 2 लोगों की मौत हो गई थी. जिसके बाद से लोगों को लग रहा है कि अब इस वायरस ने भी पैर पसारना शुरू कर दिया है.
मारबर्ग वायरस क्या है ?
मारबर्ग वायरस या MVD इबोला वायरस के परिवार से संबंध रखता है. WHO (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, मारबर्ग के लिए कोई टिका या एंटीवायरल उपचार नही है. इसीलिए इस घातक बीमारी पर काबू पाने के लिए शुरू में ही ध्यान देने की आवश्यकता है.
मारबर्ग वायरस का पहला केस
साल 1967 में जर्मनी में इसका पहला केस सामने आया था, तब मारबर्ग वायरस के बारे में लोगों को पता चला था. तब जमर्नी के फैंकफर्ट और बेलग्रेड में कुल 31 लोग संक्रमित हुए थे. इनमें से 7 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद 2021 में इसके मामले अंगोला, कांगो, दक्षिण अफ्रीका, केन्या और युगांडा में देखने को मिला.
मारबर्ग वायरस के लक्षण
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (CDC) के मुताबिक मारबर्ग वायरस के लक्षण 2-21 दिनों के बाद अचानक शुरू होते हैं. तेज़ बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द होना, शरीर पर दाने निकलना, सीने में दर्द होना, पेट में दर्द, गले में खराश होना, और दस्त जैसे प्रमुख लक्षण शामिल है. मारबर्ग वायरस से रक्तस्रावी बुखार (Hemorrhagic fever ) होता है. रक्तस्रावी बुखार जानलेवा होता है और अबतक इस बुखार को ठीक करने का कोई उपाय नहीं खोजा गया है.
मारबर्ग वायरस के लक्षण इबोला वायरस के समान है, लेकिन यह वायरस इबोला से अधिक घातक है. इसके औसत मामले में मृत्यु दर लगभग 50 प्रतिशत है और वायरस के स्वरूप और मामलों के प्रबंधन के आधार पर विभिन्न प्रकोपों में 24 प्रतिशत से 88 प्रतिशत के बीच होती है.
मारबर्ग वायरस कैसे फैलता है ?
जानकारी के मुताबिक मारबर्ग वायरस का संक्रमण चमगादड़ के संपर्क में आने से, असुरक्षित यौन संबंध, तरल पदार्थ, खून, उत्तक और कोशिकाओं के संपर्क में आने से फैल सकता है.