Mars: अमेरिका के ग्रैंड कैनियन से भी 20 गुना ज्यादा बड़ी है मंगल ग्रह पर मौजूद खाई, बौने लग रहे पहाड़, तस्वीरें

Mars Photo: आपने ग्रैंड कैनियन के बारे में सुना होगा। ये एक घाटी है जो अमेरिका के एरिजोना में बहने वाली कोलोरेडो नदी की धारा से बनी है। ये घाटी विशालकाय ग्रैंड कैनियन नेशनल पार्क से घिरी है। अगर आप यहां जाएंगे तो खुद को बौना महसूस करेंगे। लेकिन मंगल ग्रह पर भी इसी तरह की एक घाटी मौजूद है। ये घटी इतनी बड़ी है कि इसके अंदर पूरा अमेरिका आ सकता है। यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने इसकी तस्वीर जारी की है।

अमेरिका से भी ज्यादा बड़ी है मंगल की खाई

अमेरिका से भी ज्यादा बड़ी है मंगल की खाई

यूरोपी स्पेस एजेंसी के मार्स एक्स्प्रेस ने आश्चर्यजनक नई तस्वीरों में विशालकाय वैलेसे मेरिनरिस घाटी का खुलासा किया है। ये घाटी 4000 किमी लंबी है। इसकी चौड़ाई 200 किमी और गहराई 6.5 किमी है। तुलना करने पर इसकी लंबाई अमेरिका से भी ज्यादा है। यूरोपीय स्पेस एजेंसी की तस्वीरों में दो खाइयों या चस्मा को दिखाया गया है।

 

  • दो खाइयों की खींची फोटो

    दो खाइयों की खींची फोटो

    ये खाइयां पश्चिमी भाग का हिस्सा हैं, जो वैलेस मेरिनेरिस के पश्चिमी भाग का एक हिस्सा है। बाईं ओर 838 किमी लंबा लुस (Lus) चस्मा है और दाईं और 804 किमी लंबा टिथोनियम चस्मा (Tithonium Chasma) है।

     

  • हाई रिजॉल्यूशन कैमरे से खींची गई फोटो

    हाई रिजॉल्यूशन कैमरे से खींची गई फोटो

    इन तस्वीरों को मार्स एक्सप्रेस के हाई रिजॉल्यूशन स्टीरियो कैमरा के डेटा के इस्तामाल से बनाया गया है। ये मंगल ग्रह के असली रंगों के जोड़ कर बनाई गई है, जिसे इस क्षेत्र में इंसानी आंख से देखा जा सकेगा।

     

  • पहाड़ भी लगेंगे बौने

    पहाड़ भी लगेंगे बौने

    यूरोप में स्थित आल्पस की पहाड़ी का सबसे ऊंचा पहाड़ मोंट ब्लैंक समुद्र तल से 15,000 फीट ऊंचा है। अगर उसे टिथोनियम चस्मा में रख दिया जाए तो बौना लगेगा। ग्रैंड कैनियन की लंबाई 445 किमी है। वहीं चौंड़ाई 28 किमी है।

    50 लाख साल पहले बना ग्रैंड कैनियन

    50 लाख साल पहले बना ग्रैंड कैनियन

    अमेरिका का ग्रैंड कैन्यन लगभग 50 लाख वर्ष पहले नदी के बहने से बना था। इसके विपरीत माना जाता है कि लाल ग्रह की टेक्टोनिक प्लेटों के बहने से मंगल की घाटी बनी है। टिथोनियम चस्मा की ऊंचाई पर गहरे रंग की रेत का एक पैच है जो शायद पास के ज्वालामुखी क्षेत्र से आया होगा।