देश की सबसे बड़ी ऑटो कंपनी मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki) ने 1983 में देश में गाड़ियों का प्रॉडक्शन शुरू किया था। कंपनी अब तक 2.5 करोड़ गाड़ियां बना चुकी है। मारुति की फैक्ट्री से जुड़ा एक किस्सा मशहूर है जो आज मैनेजमेंट स्कूलों में पढ़ाया जाता है। देसी जुगाड़ ने उन्होंने बड़ा कमाल कर दिया था।
हाइलाइट्स
- मारुति की फैक्ट्री में एक बड़ी मशीन को जमीन में सेट करना था
- जापानी इंजीनियर काफी मेहनत के बाद भी इसमें सफल नहीं हो पाए
- भारतीय इंजीनियरों ने देसी जुगाड़ से मशीन को जमीन में सेट कर दिया
यह वाकया साल 1981 का है। उस दौर में भारत में केवल एंबेसेडर और पद्मिनी जैसी कारों का राज था। लेकिन इनकी पहुंच एक सीमित वर्ग तक थी। तब देश में एक छोटी कार की जरूरत महसूस हुई। इसके लिए भारत ने पूरी दुनिया में टेक्नोलॉजी पार्टनर की जरूरत थी। भारत में अमेरिका और जर्मनी सहित पूरी दुनिया में इसकी तलाश की। आखिरकार उसकी तलाश जापान में पूरी हुई। इससे मारुति सुजुकी की शुरुआत हुई। इसकी पहली फैक्ट्री गुरुग्राम में लगी। इस फैक्ट्री को बनाने में सहयोग करने के लिए जापान के कई इंजीनियर भारत आए थे।
देसी जुगाड़ से किया कमाल
फैक्ट्री में एक बहुत बड़ी मशीन को जमीन के अंदर सेट करना था। जापान में यह मामूली बात थी लेकिन भारत इसकी टेक्नोलॉजी नहीं थी। जापानी इंजीनियरों ने बहुत कोशिश की लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली। आखिरकार उन्होंने हार मान ली और अपने होटल में चले गए। दूसरे दिन जब वे आए तो उन्हें पता चला कि भारतीय इंजीनियर कई टन की उस मशीन को जमीन के अंदर सेट कर चुके हैं। जापानी इंजीनियरों को यह देखकर हैरानी हुई। जब उन्होंने इस बारे में पूछा गया तो उन्हें बताया गया कि यह इंजीनियरिंग विभाग के बॉस जोगा सिंह का आइडिया था।
जापानी इंजीनियरों ने जब इस बारे में जोगा सिंह से पूछा तो उन्होंने बताया यह आसान था। उन्होंने पूरे गड्ढे में बर्फ भर दी और फिर उसके ऊपर मशीन सरकाई। बर्फ धीरे-धीरे पिघलती गई और मशीन सेट हो गई। यह सुनकर जापानी इंजीनियरिंग दंग रह गए। यह सुनने में भले ही अजीब लगता हो लेकिन भारतीय इंजीनियरों ने देसी जुगाड़ से यह कमाल कर दिया। आज भी मैनेजमेंट कॉलेजों में यह किस्सा सुनाया जाता है।
तीसरे प्लांट की तैयारी
मारुति ने मार्च, 1994 में 10 लाख गाड़ियों के उत्पादन का आंकड़ा पार कर लिया था। मार्च, 2011 तक एक करोड़ वाहनों का उत्पादन और जुलाई, 2018 तक दो करोड़ वाहनों का उत्पादन कर लिया था। इसकी पहला प्लांट हरियाणा के गुरुग्राम में शुरू हुआ था। अब उसके दो प्लांट हैं। दोनों हरियाणा में हैं। कंपनी का एक प्लांट गुरुग्राम में और दूसरा मानेसर में है। पैसेंजर वीकल्स की बढ़ती मांग को देखते हुए कंपनी हरियाणा के खारखोड़ा में नए प्लांट की शुरुआत करने पर काम कर रही है।