भारतीय संस्कृति में गाय को माता का दर्जा दिया गया है. हिन्दू धर्म में गाय को पूजनीय बताया गया है. गाय के गोबर और गौमूत्र को शुद्ध माना जाता है और पूजा-पाठ आदि में इस्तेमाल किया जाता है. क्योंकि गाय को माता कहा जाता है, इसी वजह से उसका मांस खाना पाप माना जाता है. गौमांस को लेकर हमारे देश में कई हिंसात्मक घटनाएं भी हो चुकी हैं. गाय को लेकर हमारे देश के कुछ लोगों की भावनाएं किस हद तक जुड़ी हुई है वो इन्हीं घटनाओं से साफ़ हो जाती हैं. कई राज्यों में गौ तस्करी और गौ हत्या करने पर सज़ा का प्रावधान है.
क्या आप जानते हैं कि भारत ही इकलौता ऐसा देश नहीं है, जहां गाय को माता का दर्जा प्राप्त है. पूर्वी अफ़्रीका का एक समुदाय ऐसा है जहां गाय न सिर्फ़ पूजनीय है बल्कि साथी है, बेस्ट फ़्रेंड है. ये समुदाय है मसाई समुदाय (Maasai Community). दुनिया कुत्तों का इंसान का बेस्ट फ़्रेंड कहती है लेकिन मसाई समुदाय के लोग गाय को अपना बेस्ट फ़्रेंड मानते हैं. इस समुदाय में जिसके पास जितनी गाय है उसे उतना ही रईस कहा जाता है.
गाय को पूजने वाला Maasai समुदाय
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मसाई समुदाय के लोग पूर्वी अफ़्रीका के केन्या और उत्तरी तंज़ानिया में रहते हैं. मवेशी उनके जीनव का अभिन्न हिस्सा हैं. दक्षिण केन्या और उत्तरी तंज़ानिया स्थित ग्रेट रिफ़्ट वैली में रहने वाले इस समुदाय के जीवन में मवेशियों की बहुत अहमियत है. मसाई समुदाय के लोगों का मानना है कि दुनिया बनाने वाले देवता एन्काई (Enkai) ने एक रस्सी के सहारे गाय को स्वर्ग से धरती पर भेजा.
National Geographic के एक लेख के अनुसार, रिफ़्ट वैली में मसाई समुदाय लगभग चार सदी पहले आकर बसा और तब से वे खानाबदोशी की ज़िन्दगी जी रहे हैं. ये समुदाय कभी योद्धाओं का समुदाय था और अब पुरुष और लड़के मवेशियों की सुरक्षा का दायित्व निभाते हैं. मवेशियों का दूध निकालने और बच्चों की संभालने की ज़िम्मेदारी महिलाओं की होती है.
गाय को पूजने और खूने पीने वाला समुदाय
Atlas Obscura
मसाई समुदाय के लोगों के लिए ज़िन्दगी में सबसे अहम है गाय. ये न सिर्फ़ प्रतिष्ठा का प्रतीक है बल्कि हर छोटे-बड़े अनुष्ठानों में गाय का अहमद योगदान है. दहेज से लेकर एक दोस्त तक, गाय को हर रिश्ते में ढाल लिया गया है.
ये लोग न सिर्फ़ गाय को पूजते हैं बल्कि उसका मांस भी खाते हैं और खून भी पीते हैं. शादी या अन्य समारोहों में गाय के दूध और खून को पिया जाता है, मांस को पकाकर या कच्चा ही खाया जाता है. गाय की छाल को बिस्तर बनाया जाता है और उसके गोबर से घर.
गाय को बिना मारे निकालते हैं खून
Atlas Obscura
गाय को मारने से उससे ज़्यादा खून नहीं मिलेगा. हर गाय से ज़्यादा से ज़्यादा खून मिले इसलिए कुछ पुरुष गाय को पकड़ते हैं. Atlas Obscura के लेख के अनुसार, एक शख़्स गाय की गर्दन में तीर घुसाता है. गर्दन से निकलने वाले खून को एक मिट्टी के बरतन में या लौकी से बनी बोतलनुमा शेप में जमा करते हैं. बरतन या खोखली लौकी को पूरा भरा जाता है. गाय के ज़ख्म पर गर्म राख या मिट्टी लगा दी जाती है. इससे खून रुक जाता है और गाय की ज़िन्दगी बच जाती है. ये प्रक्रिया गाय के साथ महीने में एक बार ही की जाती है. इससे समुदाय के लोगों को खून भी मिल जाता है और गाय की जान भी बच जाती है.
मसाई समुदाय के अनुसार गाय में कई पोषक तत्व होते हैं. इसीलिए पूजने के साथ ही वे गाय का खून भी पीते हैं. कुछ लोग गाय के दूध में ही खून मिला कर पीते हैं और कुछ लोग ऐसे ही गाय से निकला ताज़ा खून पीना पसंद करते हैं.
मसाई समुदाय के लोगों के विचार
Atlas Obscura
कुछ साल पहले भारत में दुनियाभर के आदिवासी समुदाय एक अंतर्राष्ट्रीय ट्राइबल समिट, ‘संवाद’ में हिस्सा लेने पहुंचे थे. News18 के एक लेख के अनुसार, Elijah Sereuelijah ने बताया कि गाय उनके अनुष्ठानों का महत्वपूर्ण हिस्सा है. उसने बताया कि वे गाय का मांस खाते हैं और खून भी पीते हैं और ये उनके हर अहम रस्म का हिस्सा है. पहले मसाई समुदाय के लोग गाय का दूध पीते थे और मांस खाते थे क्योंकि खाने-पीने के लिए कुछ और नहीं था. बदलते वक्त के साथ गौमांस खाने के तौर-तरीके भी बदले. अब मसाई गौमांस को सब्ज़ी के साथ, उबाल कर या सूप बनाकर खाते हैं. गौमांस को तलकर खून के साथ मिलाकर भी खाया जाता है.
एक अन्य मसाई Nemarrah Lonkoi ने कहा, “गाय मां की तरह ही हमारे करीब है और ज़िन्दगी के हर हिस्से में चाहे वो निजी हो या पब्लिक, खाना हो या कुछ और साथ रहती है.’
दहेज में और जुर्माने में भी देते हैं गाय
National Geographic
गाय एक तरह की करेंसी भी है और इसी वजह से लोग उन्हें जल्दी नहीं मारते. मसाई समुदाय में शादी करने के लिए दहेज में गाय ही देनी होती है. CGTN में छपे लेख के मुताबिक अगर कोई शख़्स मसाई समुदाय में लड़की से शादी करना चाहता है तो उसके पास ढेर सारी गाय होनी चाहिए. लड़के को दहेज में लड़की के परिवार को 10-20 गाय देनी पड़ती है. अगर किसी ने कोई गुनाह किया है तो दोषी को और उसके पूरे खानदान को गाय जुर्माने में देनी पड़ती है.
9/11 हमले के दौरान मदद के लिए दी गई थी 14 गाय
Snopes के एक लेख के अनुसार, जब मसाई समुदाय के लोगों को 9/11 आतंकवादी हमले के बारे में पता चला तो वे बहुत दुखी हुए और केन्या में मौजूद अमेरिकी राजदूत, विलियम ब्रेनकिक को 14 गाय दी. गौरतलब है कि इन गायों को अमेरिका भेजना संभव नहीं था. 2006 में अमेरिकी डिपलोमैट ने गायों को एजुकेशन फ़ंड के लिए इस्तेमाल करने का निर्णय लिया. इन गायों के कानों पर ट्वीन टावर का चिह्न भी बनाया गया.
ये कहना गलत नहीं होगा कि मसाई समुदाय के लिए गाय सिर्फ़ जीने का ज़रिया नहीं, बल्कि तरीका है.