पूर्व विधायक मस्तराम की आत्महत्या के बाद उनके पैतृक गांव निहरी समेत करसोग में शोक की लहर दौड़ गई है। लोग सकते में हैं कि आखिर उम्र के इस पड़ाव में आकर उन्होंने आत्महत्या जैसा कदम क्यों उठाया।
कांग्रेस के पूर्व विधायक मस्तराम की आत्महत्या के बाद उनके पैतृक गांव निहरी समेत करसोग में शोक की लहर दौड़ गई है। लोग सकते में हैं कि आखिर उम्र के इस पड़ाव में आकर उन्होंने आत्महत्या जैसा कदम क्यों उठाया। मस्तराम का जीवन कठिन संघर्ष से गुजरा। राजनीति में कूदने से पहले वह सरकारी स्कूल में शिक्षक के पद पर तैनात थे। 1982 में कांग्रेस से पहला चुनाव लड़ा। इसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद जनता दल से चुनाव लड़ा तो इसमें भी हार गए। मस्तराम 1993 से 1998 और 2002 से 2007 तक करसोग विधानसभा क्षेत्र के विधायक रहे। वह हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन भी रह चुके हैं। करसोग से आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे।
उन्होंने दो दिन पहले शनिवार को जनसंपर्क अभियान भी शुरू किया था। उनकी मौत से कांग्रेस को गहरा झटका लगा है। इलाके में उनकी अच्छी पैठ थी। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई विकास की योजनाओं को पंख लाए। बता दें कि मस्तराम ने पत्नी के स्वर्गवास के बाद दूसरी शादी माहुंनाग से निर्मला चौहान से की थी। जो वर्तमान में कांग्रेस कमेटी की प्रदेश सचिव हैं। पहली शादी से उनकी चार संतानें और दूसरी से दो संतानें थीं। मस्तराम वीरभद्र सिंह के करीबियों में एक माने जाते थे। उनकी मौत करसोग के पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता मनसा राम, विधायक हीरा लाल, भाजपा अध्यक्ष कुंदन ठाकुर, कांग्रेस अध्यक्ष मंडल करसोग पृथ्वी सिंह नेगी ने शोक प्रकट किया।