बिलासपुर जिला के घुमारवीं उपमंडल के अंतर्गत पड़ने वाली पंचायत लैहडी सरेल में एक ऊंची पहाड़ी पर बसा माता हरि देवी का मंदिर बारिश के मौसम के बाद कुछ इस कदर नज़र आता है कि देखने वाले इसको देखते ही रहें।
आपको बताते चलें कि यह मंदिर शिमला-धर्मशाला राष्ट्रीय उच्च मार्ग-103 पर एक छोटे से शहर डंगार से मात्र 1 किलोमीटर की ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। जिसे हरीदेवी मंदिर के नाम से जाना जाता है। इसके नीचे हरितलयांगर नाम का एक गांव बसा है। शायद इसी मंदिर के नाम पर इस गांव का नाम पड़ा है। यह माता यहां के लोगों की कुल देवी है। मई महीने में यहां 21 तारीख को विशाल व भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।
पुजारियों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण बिलासपुर की रानी ने करवाया था। क्योंकि रानी के कोई संतान नहीं थी। इसलिए रानी ने माता के दरबार में आकर यह वरदान मांगा था कि अगर उसे संतान सुख प्राप्त होता है तो वह माता के लिए मंदिर का निर्माण करवायेगी। जब रानी को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई तो रानी ने माता के लिए मंदिर का निर्माण करवाया।
कहते हैं माता की कृपा से रानी की गोद भरी हो गई थी। इसलिए इस माता का नाम हरिदेवी पड़ा। यह स्थान हमेशा से ही शोध कर्ताओं का प्रिय स्थान रहा है। इस क्षेत्र में फासिल यानि शोधकर्ताओं को जीवाश्म भी मिले हैं। इस मंदिर के ठीक नीचे ओएनजीसी ने कुछ साल पहले तेल की तलाश के लिए प्लांट शुरू किया था। मंदिर के ठीक सामने कुल्लू और लाहौल-स्पीति की चोटियों पर बर्फ का विहंगम दृश्य नजर आता हैं जो इसकी शोभा को चार चांद लगा देता है।