MBA गोल्ड मेडलिस्ट ने अच्छी जॉब छोड़, गांव की बंजर जमीन पर वो काम किया की लोगों को रोजगार देने लगा

वर्तमान की युवा जनरेसन का लक्ष्य होता की ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन पूर्ण होने के बाद किसी अच्छी कंपनी में अच्छी सैलरी के साथ जॉब मिल जाए, तो जिंदगी की गाड़ी थोड़ी आसान हो जाती है। हर व्यक्ति के जेहन में कहीं न कहीं कुछ अलग करने की ख्वाहिश मन मे होती है।

कुछ लोगो की यह ख्वाहिश पूरी होती है, तो कुछ की ख्वाहिश सपना बनकर ही रह जाती है। लेकिन हम बात कर रहे हैं, यूपी (Uttar Pradesh) के एक ऐसे ही नौजवान की, जिसने अपने सपनो को पूरा करने के लिये लोगो के ताने सुने, लेकिन फिर भी हार नही मानी।

उनका उद्देश्य नोकरी करना नही अपने सपनो को पूरा करना था, जिससे लोगो को रोजगार मिल सके। पढ़ने में हमेशा प्रथम स्थान आना, महाविद्यालय में गोल्ड मेडलिस्ट, MBA की डिग्री के साथ किस्मत से MNC की अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी किसी मध्यमवर्गीय परिवार के लड़के के लिए यह सब बहुत था, परंतु UP के गाजीपुर (Ghazipur) जिले के रहने वाले सिद्धार्थ को इस सब चीज से आनंद की प्राप्ति नहीं हो रही थी।

जीवन मे वो खुशी नही मिल रही थी, जो उसको चाहिये थी। फिर इन्होंने तय किया और अपने गांव में बंजर पड़ी जमीन को पूरा डेस्टिनेशन सेंटर में तब्दील कर दिया और आज वर्तमान समय में इस जगह पर लोग अपनी वीकेंड पार्टी, जन्म दिवस पार्टी और शादी समारोह मनाने के लिए आते हैं। यंहा की सजावट लोगो को अपनी ओर आकर्षित करती है।

सिद्धार्थ (Siddharth Rai) मूलत यूपी के गाजीपुर जिले के रहने वाले हैं। बाल्यावस्था में ही पापा का हाथ उनके सिर से उठ गया था। मां ने ही पूरे परिवार की जिम्मेदारी उठाते हुये उनका पालन पोषण अच्छे तरह से किया। बेहतर से बेहतर शिक्षा प्राप्त करवाई।

सिद्धार्थ प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद MBA की डिग्री हासिल की। महाविद्यालय में बेहतर प्रदर्शन के लिए उनको गोल्ड मेडल से नवाजा गया और एक बहुत ही अच्छी कंपनी से उनके लिए जॉब का ऑफर आया और वह नौकरी भी करने लगे।

मीडिया से बात करते हुऐ उन्होंने बताया की नौकरी लगने के बाद घर के सभी लोग काफी उत्साहित थे। परंतु मेरा विचार था कि पैसा कमाना ही सब कुछ नहीं होता परिवार का बोझ उठा लेना ही सब कुछ नहीं था जब तक मेरे कार्य द्वारा किसी अन्य व्यक्ति का भला नहीं होगा तब तक संघर्ष करता रहूंगा,जब तक परिवर्तन नहीं होगा तबतक जिंदगी को सही दिशा नहीं मिल पायेगी।

वर्ष 2019 में सिद्धार्थ (Siddharth) ने Job को बाय-बाय कर दिया। जॉब को त्यागपत्र देने के बाद वह वापस गांव की ओर आ गए और अपनी बंजर पड़ी जमीन में एक बहुत बड़ी बावड़ी खुदवाई और उसमें बहुत सी प्रजाति की मछलियां डाल दी और इसी से लगकर एक घास फूस झोपड़ी बना ली और कुछ गाय रख ली।

गांव के लोग और परिवार-जन यह देख कर उसको पागल कहने लगे। सब उनका मजाक बनाने लगे, लेकिन उंन्होने हार नही मानी आगे बढ़ते चले गए अपनी मंजिल की ओर। लोग ताने देने लगे पागल हो गया है क्या, इतनी अच्छी नौकरी छोड़ कर यहां पर गोबर उठा रहा है।

आइडिया आते गए और कारवां बढ़ता गया कुछ माह मछली पालन किया और बाद में फिर बतख पालना भी शुरू कर दिया। ऐसा कार्य करने के पीछे उसके दिमाग में यह था कि उनके अंडो से कमाई भी होगी और पानी भी स्वच्छ रहेगा और बत्तख के बेस्ट से मछलियों का भोजन भी हो जाएगा, ऊपर से खर्च नहीं करना पड़ेगा।

 

एक इंटरव्यू में सिद्धार्थ ने कहा मुझे पशुओं और जानवरों से बहुत लगाव है। गाय और बत्तख के बाद मैंने ऊंट घोड़ा आदि भी वहां पर रख लिया। इसका यह फायदा हुआ कि बाहर से भी लोग देखने आने लगे। तब मुझे लगा कि यह कमाई का अच्छा साधन बन सकता है और फिर मैंने हर एक का प्राइस सेट कर दिया।

 

एक दिन अचानक लेटे-लेटे ही सिद्धार्थ ने सोचा कि क्यों ना लोगों के लिए यहां डेस्टिनेशन सेंटर बना दिया जाए और फिर वह उस कार्य के लिए पूर्ण रूप से जुड़ गये और तालाब के बीचो बीच एक लकड़ियों से युक्त छोटा सा मचान का निर्माण किया और उसे भली-भांति अच्छी प्रकार से उसकी सजावट कर दी।

आज वर्तमान समय में यह एक सेलिब्रेशन पॉइंट बन गया है, जहां पर लोग अपना बर्थडे, वीकेंड, एनिवर्सरी सेलिब्रेशन करने के लिए वहां पर पहुंचते हैं और वहां पर पहुंचते ही रात में तालाब के किनारे की हरियाली और खुला आसमान देखकर नजारा ही कुछ अलग होता है।