MBA ग्रेजुएट ने चाय बेची, घाटा सहा मगर हार नहीं मानी, अब कश्मीर घाटी में शुरू किया पहला फूड वैन

श्रीनगर शहर में एक मोबाइल फूड वैन ‘च्यू एन ब्रू – ईट ऑन द गो’ के खुलने के बाद कश्मीर में स्ट्रीट फूड संस्कृति को बढ़ावा मिला है. घाटी में ये फूड वैन अपनी तरह का पहला फ़ूड जॉइंट है.

कश्मीर में शुरू किया फूड वैन 

meals on wheelsIdrees Bukhtiyar

ये अनोखा फूड वैन 40 वर्षीय सज्जाद अहमद की मेहनत का नतीजा है. सज्जाद भारतीय विद्यापीठ विश्वविद्यालय (बीवीपी) पुणे से एमबीए ग्रेजुएट हैं. उन्होंने इंडियाटाइम्स से बात करते हुए कहा, “मैंने 2016 में इस फूड वैन की शुरुआत की थी. इससे पहले सज्जाद भारत की कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम कर चुके थे.”

सज्जाद आगे कहते हैं,  “मैंने 2014 में पुणे में एक कश्मीर थीम वाला रेस्तरां खोला था, लेकिन आठ महीने बाद जब मैं कश्मीर गया तो यह विनाशकारी बाढ़ के कारण बर्बाद हो गया था. इसके बाद उन्होंने अपनी जगह यानी कश्मीर में अपना खुद का कुछ शुरू करने का मन बनाया. इस फूड वैन को खोलने का मकसद कश्मीर में स्ट्रीट फूड कल्चर को शुरू करना था. हम उन लोगों को सबसे सस्ती कीमतों पर भोजन उपलब्ध कराना चाहते थे, जो बड़े रेस्तरां का खर्च नहीं उठा सकते हैं. ”

15 लाख का कर्ज लिया 

SajadIdrees Bukhtiyar

सज्जाद ने इस फूड वैन के लिए 15 लाख का लोन लिया है. उनके अनुसार जेकेईडीआई के अधिकारियों को ऋण के लिए प्रेरित करना बहुत कठिन था क्योंकि उनके पास पहले से ही ‘जस्ट बाइट्स’ नाम से एक मोबाइल फूड वैन थी. हालांकि उनका ‘जस्ट बाइट्स’ अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सका. तब अन्य प्राधिकरणों से अनुमति प्राप्त करने में बहुत सारे मुद्दे थे क्योंकि सज्जाद पहली बार कश्मीर में ऐसी सुविधा देने जा रहे थे. अच्छी बात ये है कि सज्जाद अब श्रीनगर नगर निगम (एसएमसी), उद्योग और वाणिज्य, श्रम और अन्य सभी महत्वपूर्ण सरकारी विभागों के साथ पंजीकृत हैं. 

आईं कई दिक्कतें 

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सज्जाद बताते हैं कि जुलाई 2016 में हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद, घाटी में लगभग छह महीने तक लॉकडाउन और कर्फ्यू देखा गया, जिससे व्यापार क्षेत्र को भारी नुकसान हुआ. लॉकडाउन ने हमारे व्यवसाय को पूरी तरह से प्रभावित किया. हमारे लिए हालात इतने खराब थे कि मैं श्रीनगर के एक प्रमुख अस्पताल के बाहर चाय बेचने लग गया था ताकि अपने बैंक की किश्तों का भुगतान कर सकूं. चूंकि मेरे स्टाफ कश्मीर से बाहर के हैं इसलिए मुझे उन्हें उनके घर वापस भेजना था क्योंकि हम तब उन्हें वेतन देने में असमर्थ थे.”

गाड़ी आ गई पटरी पर 

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उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 हटाने और COVID लॉकडाउन लगने के बाद भी चीजें शुरू में बहुत कठिन थीं. उन्हें अपने कर्मचारियों को अपनी जेब से वेतन देना पड़ा लेकिन बाद में कारोबार पटरी पर आने लगा और हमने ग्राहकों के घरों पर डिलीवरी शुरू कर दी.”

सज्जाद वर्तमान में श्रीनगर शहर में अपनी फूड वैन चला रहे हैं. लेकिन अब निकट भविष्य में अपने व्यवसाय का विस्तार करने की योजना बना रहे हैं. उनका कहना है कि वह 12 लोगों की एक टीम हैं. हवह अब स्कूलों, कॉलेजों, कार्यालयों और अस्पतालों तक भी पहुंच रहे हैं.”

सज्जाद को एक दिन में 80 से अधिक डिलीवरी ऑर्डर मिलते हैं जबकि वैन काउंटर पर उन्हें एक दिन में 150 से अधिक ऑर्डर मिलते हैं. व्यापार विस्तार के बारे में सज्जाद ने कहा कि “हम जल्द ही ऑनलाइन भी जा रहे हैं, जिससे ग्राहकों को अपना ऑर्डर ऑनलाइन बुक करने और वहां भुगतान करने में मदद मिलेगी.