Good News Ghazipur Stadium: गाजीपुर के छोटे से गांव करमपुर में बना मेघबरन स्टेडियम हॉकी के क्षेत्र में तमाम प्रतिभाओं को तराशने काम कर रहा है। यहां से निकले खिलाड़ी, ओलंपिक से लेकर तमाम अंतरराष्ट्रीय हॉकी के नामचीन मैचों में बेहतर प्रदर्शन कर चुके हैं। इस स्टेडियम की स्थापना साल 1986 में हुई थी।
गाजीपुर: गाजीपुर (ghazipur news) के एक छोटे से गांव करमपुर में बने मेघबरन स्टेडियम (meghbaran sadium) से लगातार ऐसे खिलाड़ी निकल रहे हैं जो कि देश विदेश में ख्याति हासिल कर रहे। साथ ही इस स्टेडियम के साथ गाजीपुर का नाम भी वैश्विक मानचित्र पर मशहूर कर रहे हैं। भारतीय हॉकी टीम के नामचीन फारवर्ड खिलाड़ी ललित उपाध्याय (ओलंपियन) ने जहा ओलंपिक मैच में भारतीय टीम को ब्रॉन्ज मेडल दिलाने के क्रम में बेहतरीन खेल का प्रदर्शन किया था। वहीं पुरुष जूनियर हॉकी टीम के कप्तान उत्तम सिंह ने अपने खेल से दुनिया भर में अपनी चमक बिखेरी है। इन दोनों ने हॉकी की बारीकियां मेघबरन स्टेडियम में भी सीखी हैं।
इन दिनों भारतीय हॉकी टीम (जूनियर) की कमान उत्तम के हाथों में है। पिछले दिनों मलयेशिया में खेले गए सुल्तान जोहोर कप हॉकी चैंपियनशिप में भारत ने जीत दर्ज की थी। भारतीय टीम के कप्तान उत्तम सिंह की फील्ड स्ट्रेटेजी की बदौलत भारत ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ बेहद रोचक मैच 5-4 के स्कोर से जीत लिया था। उत्तम ने इस मैच में दो गोल कर अपने हॉकी के हुनर का लोहा मनवाया था।
1986 में हुई थी स्थापना
इस स्टेडियम की स्थापना तेज बहादुर सिंह उर्फ तेजू सिंह ने 1986 में की थी। उस समय वह बेहद कम संसाधनों के बीच इलाके और आसपास के बच्चों को अपने मार्गदर्शन में हॉकी खेलने के लिए प्रोत्साहित करते थे। उस वक़्त सभी प्रशिक्षणरत बच्चों के पास हॉकी नहीं उपलब्ध थीं। ऐसे में बांस की हॉकीनुमा छड़ियों के जरिये ही तेजू सिंह युवाओं और बच्चों को हॉकी के गुण सिखाते थे।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचे कई खिलाड़ी
उत्तम सिंह से पहले भी इस स्टेडियम से जुड़े कई एक खिलाड़ी इंटरनेशनल हॉकी टूर्नामेंट में बेहतर प्रदर्शन कर चुके हैं।अकादमी से ट्रेनिंग लिए मिड फील्डर अजित पांडेय, विनोद सिंह, राहुल राजभर जैसे युवा खिलाड़ी भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने खेल का परचम लहरा चुके हैं।अब तक इस अकेडमी से ट्रेनिंग लिए 300 से अधिक खिलाड़ी स्पोर्ट्स कोटे के जरिए अपने खेल में बेहतर प्रदर्शन के दम पर नौकरी हासिल कर चुके हैं। अब तक भारतीय सेना में इस अकादमी से सबसे ज्यादा प्रशिक्षण हासिल किए युवा चयनित हुए हैं।
तेजू सिंह का निधन कोरोना सेकंड वेब के दौरान हो गया। उसके बाद स्टेडियम/अकादमी की देखरेख उनके छोटे भाई और गाजीपुर के समाजवादी पार्टी के सिंबल से सांसद रहे राधे मोहन सिंह के हाथ में आ गई। राधे मोहन सिंह ने बताया कि स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सौजन्य से 2007 से 2009 तक डे बोर्डिंग कोचिंग कैंप का निर्बाध संचालन एकेडमी में किया गया। उसके बाद अकादमी में 2015 में घास के मैदान की जगह अत्याधुनिक एस्ट्रोटर्फ फील्ड बनाई गई। टर्फ पर युवाओं की ट्रेनिंग इसलिए आवश्यक थी क्योंकि उस दौर में एस्ट्रोटर्फ पर ही अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट खेले जाने शुरू हो गए थे।
पूर्वांचल में गिनी चुनी जगह ही एस्ट्रोटर्फ की सुविधा थी। ऐसे में मेघवरन स्टेडियम में एस्ट्रोटर्फ लगाकर युवाओं को अंतर्राष्ट्रीय मानक के टूर्नामेंट के अनुसार प्रशिक्षित किया जाने लगा। फिलहाल स्टेडियम में 200 युवा ट्रेनिंग हासिल करते हैं। इन युवाओं में अलग-अलग उम्र के खिलाड़ी हैं। स्टेडियम की ट्रेनिंग दो सत्रों में रोजाना आयोजित की जाती है। सुबह के वक्त 6:00 से 9:00 बजे तक और शाम को 3:00 से 5:00 तक कोच की देखरेख में युवाओं को हॉकी के गुण सिखाए जाते हैं। स्टेडियम के कोच इंद्रदेव यादव निरंतर बच्चों के साथ प्रेक्टिस सेशन के दौरान फील्ड में मौजूद रहते हैं और उन्हें हॉकी की बारीकियों से वाकिफ कराते रहते हैं। (रिपोर्ट:अमितेश कुमार सिंह)