मेरठ के मंगतपुरम में करीब दो साल से धर्मांतरण की पाठशाला चल रही थी, लेकिन एलआईयू को भनक तक नहीं लगी। यहां मदद के बहाने लोगों पर दबाव बनाकर धर्मांतरण कराया जा रहा था। मामला संज्ञान में आया तो हड़कंप मच गया। अब सुरक्षा एजेंसियां जांच में जुटी हैं।

धर्मांतरण के विरोध में हंगामा
मेरठ के मंगतपुरम में करीब दो साल से धर्मांतरण की पाठशाला चल रही थी, लेकिन एलआईयू को भनक तक नहीं लगी। शुक्रवार को खबर फैली तो बजरंग दल कार्यकर्ता और समाजसेवी सचिन सिरोही मंगतपुरम पहुंचे। उन्होंने क्रिश्चियन धर्म से जुड़ी किताबें और आर्थिक मदद लेने वाले लोगों की सूची ढूंढ ली। इस मामले में पुलिस की लापरवाही उजागर हुई है।
पुलिस के मुताबिक, 20-25 साल पहले बारांबकी से दस लोग मंगतपुरम आए और खाली पड़े प्लॉट में झुग्गी-झोपड़ी बनाकर रहने लगे। अब इनकी संख्या 400 से ज्यादा बताई जा रही है। लॉकडाउन में भुखमरी मची तो इन लोगों की मदद के लिए दिल्ली के महेश पासचर पहुंचे। जो क्रिश्चियन बताए गए।
भरोसे में लेकर धर्म परिवर्तन के लिए किया प्रेरित
आरोप है कि महेश पासचर ने कुछ लोगों को भरोसे में लेकर झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों को क्रिश्चियन धर्म से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। नतीजा यह हुआ कि लोग चर्च में जाने लगे और धर्म परिवर्तन भी किया। यह सिलसिला करीब दो साल से चलना बताया गया।
शुक्रवार को मामला एसएसपी ऑफिस पहुंचा तो पुलिस प्रशासन की नींद टूटी। बजरंग दल के दिलीप सिंह और समाजसेवी सचिन सिरोही ने बताया कि मंगतपुरम में मिलीं क्रिश्चियन धर्म की पुस्तकें और आर्थिक मदद लेने वालों की सूची का रजिस्टर पुलिस को सौंपा गया है। कार्यकर्ताओं का कहना कि गरीबी का फायदा उठाकर लोगों का धर्मांतरण कराया गया।
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धर्मातरण के विरोध में हंगामा