Meerut Medical: लिफ्ट खराब, इलाज के पड़े लाले, स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने का दावा फुस्स, मरीज हाथों के हवाले

शान हैं। मरीजों को उनके तीमारदार या तो गोद में उठाकर या फिर सहारा देकर से ओपीडी तक लेकर जाते हैं। स्ट्रेचर मिल जाए तो तीमारदारों को खुद स्ट्रेचर खींचकर ले जाना पड़ता है। वार्ड ब्वाॅय या स्टाफ उन्हें ले जाने की जहमत नहीं उठाते हैं।

मेरठ का पीएल शर्मा जिला अस्पताल हो या मेडिकल कॉलेज, दोनों जगह कमोबेश एक जैसे हालात हैं। जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की लिफ्ट खराब पड़ी हैं। इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। पहले और दूसरे फ्लोर पर मरीज को ले जाना पड़े तो रैंप ही सहारा है, क्योंकि लिफ्ट खराब हैं।

मरीज को शिफ्ट करने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। इस संबंध में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरसी गुप्ता का कहना है कि लिफ्ट खराब हैं, जिन्हें जल्द ही सही कराया जाएगा। स्ट्रेचर पर्याप्त हैं, मगर कई बार मरीज स्ट्रेचर को इधर-उधर छोड़ देते हैं। इस कारण स्ट्रेचर लॉक कर रखे हुए हैं। जरूरत पर मरीज को दिए जाते हैं।   

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मेडिकल कॉलेज में टाले गए 11 ऑपरेशन
पैसों के अभाव में सालाना मेंटेनेंस नहीं हो पाने के कारण एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज का चिलिंग प्लांट ठप पड़ा है, जिस कारण तीन दिन से ऑपरेशन टालने पड़ रहे हैं। बुधवार को भी 11 ऑपरेशन टाले गए। चिलिंग प्लांट के मेंटेनेंस के लिए 47 लाख रुपये चाहिए, जो कि शासन से अभी स्वीकृत नहीं हुए हैं। इस कारण 10 मॉड्यूलर ओटी में से सिर्फ तीन ही ओटी चल पा रहे हैं। इससे लोगों को परेशानी हो रही है।
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बिना कूलिंग ऑपरेशन मुश्किल: प्राचार्य
चिकित्सकों का कहना है कि सामान्य ओटी में बिना कूलिंग के भी ऑपरेशन किए जा सकते हैं, लेकिन मॉड्यूलर ओटी में बिना कूलिंग ऑपरेशन करना मुश्किल है। प्राचार्य का कहना है कि जल्द ही इसे दुरुस्त कराया जाएगा।
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मेडिकल में बाहर से दवाइयां मंगाने का आरोप, प्राचार्य से शिकायत
एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज में दवाई उपलब्ध होने के बावजूद बाहर से दवाइयां मंगाने का आरोप लगाते हुए प्राचार्य से शिकायत की गई है। शिकायती पत्र के साथ बिल भी संलग्न किया है। शिकायत मेडिकल कॉलेज कर्मचारी एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने की है। आरोप है कि कुछ लोग ऑपरेशन थियेटर (ओटी) और आपातकालीन विभाग में खड़े रहते हैं जो बाहर से दवाइयां लेने के लिए मजबूर करते हैं।
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इसी तरह की शिकायत हृदय रोग विभाग की भी की गई है। आरोप है कि गरीब मरीजों को दवाइयां सरकार निशुल्क देती है, लेकिन फिर भी मरीजों से एंजियोग्राफी का 5500 रुपये लिए जा रहे हैं। इसकी रसीद भी नहीं दी जा रही है।