उद्धव ठाकरे के इस्तीफ़ा देने के बाद कंगना रनौत ने ऐसे साधा निशाना

सुशांत सिंह उस प राजपूत की मौत पर आरोप-प्रत्यारोप से शुरू हुआ मामला उनके दफ़्तर का एक हिस्सा गिराए जाने तक पहुँच गया. कोर्ट की दख़ल के बादर रोक ज़रूर लगी, लेकिन तब तक उनके दफ़्तर को काफ़ी नुक़सान पहुँच चुका था. इसके बाद बयानबाज़ी का भी दौर चला. शिवसेना के सांसद संजय राउत के साथ उनकी काफ़ी तकरार भी हुई.

उद्धव ठाकरे सरकार बनने के बाद कंगना रनौत ने बयान दिया था कि वो मुंबई में ख़ुद को सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं. कंगना रनौत ने मुंबई की तुलना पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर से की थी, जिसके बाद संजय राउत और कंगना के बीच काफ़ी समय तक ज़ुबानी जंग भी जारी रही.

अब शिवसेना की अगुआई वाली सरकार के इस्तीफ़े के बाद अपने वीडियो संदेश में कंगना ने कहा- 1975 के बाद ये समय भारत के लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण समय है. 1975 में लोकनेता जेपी नारायण की एक ललकार ‘सिंहासन छोड़ों कि जनता आती है’, से सिंहासन गिर गए थे.

कंगना ने कहा- 2020 में मैंने कहा था कि लोकतंत्र एक विश्वास है और सत्ता के घमंड में आकर जो इस विश्वास को तोड़ता है, उसका घमंड टूटना भी निश्चित है. ये किसी व्यक्ति विशेष की कोई शक्ति नहीं है. ये शक्ति है एक सच्चे चरित्र की.

उद्धव ठाकरे

पिछले दिनों शिवसेना के विधायक एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में कई विधायकों ने मौजूदा सरकार के ख़िलाफ़ बग़ावत कर दी थी. पहले ये बाग़ी नेता गुजरात गए, फिर असम और कल गोवा पहुँचे. माना जा रहा है कि महाराष्ट्र में अब देवेंद्र फडणनवीस के नेतृत्व में सरकार बन सकती है, जिसे एकनाथ शिंदे का गुट समर्थन देगा.