2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है. इस दिन पूरी दुनिया में मोहन दास करमचंद गांधी को याद किया जाता है. 1969 में भी याद किया गया था. उस साल गांधी की जन्मशताब्दी मनाई गई थी. इसलिए इसे और धूमधाम से मनाया जा रहा था. दर्जनों देशों ने उनके योगदान को याद करते हुए स्टैंप जारी किए और सैंकड़ों जगह गांधी पर व्याख्यान हुए.
लेकिन, इन सबके बीच मुंबई के किशोर झुनझुनवाला को अपनी जिंदगी का लक्ष्य मिल गया. इसके लिए उन्होंने अपना व्यवसाय तक छोड़ दिया और गांधी से जुड़ी हुई चीज़ों को खोजने, देखने और जुटाने में अपना जीवन लगा दिया. ये वे चीज़ें हैं, जिनका कोई मोल, जिन्हें पैसों में नहीं आंका जा सकता.
गांधी के प्रति उनके इस ख़ास लगाव और इस ‘Hobby’ के बारे में जानने के लिए हमने उन्हें फ़ोन लगाया. ये रहे उनसे बातचीत के अंश
किशोर कहते हैं, ये वो दौर था जब एंटरटेनमेंट के लिए टीवी, इंटरनेट, स्मार्टफ़ोन नहीं होते थे. ऐसे में टाइमपास के लिए स्टैम्प जुटाते थे. स्टैंप हमें ज्यादातर फ्री में मिल जाते थे या फिर एकाक पैसे लगते थे. ऐसे में हम खेल-खेल में इसे जुटाते थे. उसी साल 50 देशों ने गांधी पर स्टैंप जारी किए थे. इसकी जानकारी मुझे हुई और मैंने इसे एक मिशन के तौर पर ले लिया.
वह आगे कहते हैं, मैंने तय कर लिया कि गांधी से जुड़े स्टैंप इकट्ठा करूंगा. आज उनके पास हज़ारों स्टैंप हैं. धीरे-धीरे वह गांधी को पढ़ने और जानने में ज्यादा दिलचस्पी रखने लगे. वह गांधी से जुड़ी हुई ज़्यादा से ज़्यादा चीज़ें इकट्ठा करने लगे. उनके पास गांधी के लिखी चिट्ठियों से लेकर उनकी फ़ोटो वाली माचिस तक हैं.
गांधी जी की अस्थियां इसी में रखी गई थीं.
उन्होंने आगे कहा, जैसे-जैस उम्र बढ़ती गई वह गांधी से जुड़ी दूसरी चीजों को इकट्ठा करने लगे. आज उनके पास 100 डिफ़रेंट टाइटल के गांधी से जुड़े सामान हैं. इसमें हर टाइटल में 100-200 चीज़ें हैं. ऐसे में मेरे पास गांधी से जुड़ी एक पूरी श्रृंखला है. मैं जब पढ़ता था तो मेरे कोर्स बुक में गांधी से जुड़ा एक कोट था, पाप से घृणा करो, पापी से नहीं. इस कोट को समझने में मुझे वर्षों लग गए. लेकिन, मैंने इसे आत्मसात किया. धीरे-धीरे मुझे गांधी से लगाव हो गया.
वह कहते हैं, “गांधी से जुड़ी चीज़ें इकट्ठा करने में मुझे ज़्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी. ये मेरी तकदीर है कि गांधी से जुड़ी चीजें मेरे पास चलकर खुद आईं. वह भी बिल्कुल मुफ़़्त. करीब 10 हज़ार चीजें मेरे पास हैं. जैसे, जिसकी सबसे ज्यादा रॉयल्टी है, सबसे ज्यादा कीमत है सब मुफ्त में आई. गांधी के चिता की वस्तुएं एक आदमी मेरे घर आकर दे गया. गांधी का ‘थम्ब इंप्रेशन’ कोलकाता के एक शख़्स के पास था, उस शख़्स ने मुझे दे दिया.”
“लोगों को मालूम होता है कि एक आदमी गांधी के सामान का कलेक्शन करता है. इस कलेक्शन के लिए पूरी दुनिया में जाता है, तो लोग उसे खुद भी देते हैं. ऐसा ही मेरे साथ हुआ. कई लोगों ने मुझे गांधी से जुड़ी चीज़ें दी. इसमें गांधी के हाथों से लिखा हुआ भाषण, चिट्ठियां ये सब हैं. इन सब चीज़ों के लिए मुझे कोई ख़र्च नहीं करना पड़ा.”
सिक्के पर महात्मा गांधी
किशोर का गांधी से जुड़ाव इतना है कि वह गांधी से जुड़ी चीजों को देखने कई जगह गए. गांधी जी ने डांडी मार्च क्यों किया, किस तकलीफों में किया इसे देखने के लिए मैंने गांधी जी की डांडी मार्च की 75वीं वर्षगाठ पर डांडी मार्च में गया. ये मार्च बिल्कुल उसी तरह था, जैसे गांधी जी ने किया. उसी दिन ये मार्च शुरू हुआ जैसे 75 साल पहले गांधी ने किया था. वहीं रुका जहां गांधी रुके थे. वहीं खाया, जहां गांधी ने खाया था.
इसके बाद दक्षिण अफ्रीका गया. जोहान्सबर्ग, डर्बन इन सबको देखा और ये जाना कि गांधी अफ्रीका में कैसे रहे और क्या किया. इसके बाद चंपारन, साबरमती और पोरबंदर गया जहां गांधी से जुड़ी चीज़ों को देखा. मैं इस चीज़ की भी लिस्ट बना रहा हूं कि गांधी के नाम से कितनी सज़कें हैं. अस्पताल हैं, कॉलेज, मार्केट, बाज़ार, कितनी मूर्तियां हैं, कितने पुरस्कार हैं.
वह इंग्लैंड भी गए और देखा कि गांधी कहां पढ़ने गए. कहां रहे. वकालत कहां से की. लंदन में कहां कहां मूर्तियां लगी है. पार्लियामेंट स्ट्रीट में उनकी मूर्ति के साथ फ़ोटो भी क्लिक कराई. स्विट्जरलैंड गया, वहां भी गांधी से जुड़ी चीजों को देखा और उनके साथ फ़ोटो क्लिक कराई.
वह कहते हैं, मेरे कलेक्शन में वैसे तो सभी चीजों महत्वपर्ण और खास हैं. लेकिन, इनमें गांधी की अस्थियां और उनके हाथों से लिखी चिट्ठियां खास हैं. इसके साथ ही रोजना की प्रार्थना के बाद उनके दिए उपदेश भी हैं, जिन्हें उनके सहायक ने लिखा है. उनके पास गांधी के हाथों से लिखी 50 चिट्ठियां हैं. इसमें सबसे पुराना करीब 1904 में लिखा गया है, जिसे गांधी ने गुजराती में अपने क्लाइंट को लिखा था. इसमें एक चिट्ठी वह भी है जिसे उन्होंने मृत्यु से 12 दिन पहले पंडित जवाहर लाल नेहरू को लिखा था.
किशोर झुनझुनवाला के पास गांधी से जुड़ी चीजों के अलावा नोटों को भी इकट्टा करने का शौक है. उनके पास नोटों के ढ़ेरों के कलेक्शन हैं, जिसमें 1770 का एक नोट भी शामिल है. इसके साथ ही सुभाष चंद्र बोष से जुड़ी चीजें भी हैं.
किशोर झुनझुनवाला मुंबई में रहते हैं और मूलरूप से राजस्थान के रहने वाले हैं. उनका परिवार रबड़ का कारोबार करता है. लेकिन, उन्होंने 22 साल पहले अपने व्यवसाय को छोड़कर गांधी से जुड़ी चीजों को इकट्ठा करने में पूरा समय खपा दिया. वह पूर्ण रूप से गांधी से जुड़ी चीजों को इकट्ठा करते हैं. इसके लिए उन्होंने दक्षिण अफ्रीका, लंदन, स्विट्जरलैंड के साथ-साथ देश में भी कई जगहों की यात्राएं कि लेकिन पैसों के बारे में कभी नहीं सोचा.