इंडियन स्नेक मैन से मिलिए, सांप पकड़ना जीवन का एकमात्र लक्ष्य, अब तक बचा चुके हैं 50 हज़ार सांप

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केरल में खराब मानसून और बाढ़ का पानी उतरने, या फिर किसी अन्य कारण से जब लोगों के घर में ज़हरीले सांप घुस जाते हैं, तो वहां के लोगों की जु़बान पर मदद के लिए सिर्फ़ एक ही नाम आता है. वह नाम है ‘स्‍नैक मैन’ सुरेश. सुरेश तिरुवंतपुरम जिले के छोटे से कस्बे श्रीकार्यम के रहने वाले हैं.

सुरेश 30 से अधिक सालों से सांपों को बचाने के काम में जुटे हुए हैं. वह महज़ 12 साल के थे, जब उन्होंने पहली बार किसी ज़हरीले सांप को आसानी से अपने काबू में किया था. इसके बाद तो जैसे सुरेश का सांपों के साथ एक खास रिश्ता सा बन गया. सोते-जागते, उठते-बैठते उन्हें बस सांपों की ही चिंता रहती है.

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लगातार सांपों का रेस्क्यू करने के कारण सुरेश अब सांपों के हाव-भाव आदि अच्छे से समझने लगे. बिना चोट पहुंचाए बड़ी आसानी से वो किसी भी सांप को अपने काबू में करने का हुनर रखते हैं. अपने इस हुनर के कारण वो अपने इलाके में खासे मशहूर हैं. जब भी कोई सांप किसी के घर में घुसता है, लोग फौरन सुरेश को फोन लगा देते हैं.

सुरेश भी बिना देर किए मौके पर पहुंचते हैं, और सांप को अपने काबू में कर लेते हैं. खास बात यह कि वह किसी सांप की जान नहीं लेते. पकड़ने के बाद वह सांप को थोड़े दिन अपने साथ रखते हैं, फिर उसे कुछ समय बाद जंगलो में छोड़ देते हैं, ताकि वह अपने आगे का जीवन जी सके.

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यही नहीं सुरेश हमेशा लोगों से सांपों को ना मारने की अपील करते हैं. वह इसके लिए अभियान चलाकर लोगों से सांपों को देखकर ना घबराने, अपनी चीजें डंडे के सहारे ढूढने और फर्श को किरोसिन वाले पानी से पोछने की सलाह देते रहे हैं. अभी तक सुरेश 50 हज़ार सांप बचा चुके हैं.

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अपने इस काम के दौरान कई बार सुरेश का सामना मौत से हुआ. चूंकि वह बिना किसी उपकरण और सेफ्टी गार्ड्स के सांपों को पकड़ते हैं, इसलिए सैकड़ों बार कई जहरीले सांप उन्हें काट चुके हैं. कई बार सांपों का ज़हर उनके शरीर में इस कदर फ़ैल गया कि वो आईसीयू तक पहुंच गए. हालांकि, हर बार वह मौत को मात देते हुए वापस लौटे और फिर से सांपों को बचाने में लग गए.

समाज को सुरेश जैसे और लोगों की ज़रूरत है!