आमतौर पर लोग पानी के अंदर पड़े कूड़े कचरे को देखकर अनदेखा कर देते हैं। मगर चेन्नई के पर्यावरणविद् अरुण कृष्णमूर्ति ऐसा नहीं कर पाए. उन्हें जल संकट की समस्या ने कुछ इस तरह से विचलित किया कि उन्होंने पानी को बचाने के लिए अपनी गूगल की अच्छी खासी नौकरी तक छोड़ दी. वह अभी तक 14 राज्यों में पानी के करीब 93 स्रोतों को बहाल कर चुके हैं. इसमें 39 झील और 48 तालाब शामिल हैं.
पानी संरक्षण के इरादे से साल 2007 में अरुण ने ईएमआई नामक अपना एक संगठन शुरु किया. इस फाउंडेशन का मुख्य उद्देश्य जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करना है. इससे जुड़े लोग अलग-अलग राज्यों में मौजूद झीलों, नदियों और तलाब समेत हर उस जल स्रोत को साफ़ करते हैं, जिससे लोगों को पानी पहुंचता है. अपने इस काम के चलते मात्र 32 वर्ष की उम्र में अरुण ने ईएमआई को एक ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया.
अरुण बताते हैं, गूगल की एक आरामदायक नौकरी छोड़ना उनके लिए मुश्किल नहीं था. उन्होंने ‘जीवन में कभी भी किसी भी चीज को स्थाई नहीं माना. उनका बचपन झीलों और तालाबों के बीच बीता. उन्हें पानी से हमेशा लगाव रहा. लिहाज़ा उन्होंने जल स्रोतों को साफ़ करना शुरु कर दिया. उन्हें नहीं पता था कि उनकी इस मुहिम को लोगों का इतना प्यार मिलेगा कि वह उनके साथ इस काम में लग जाएंगे.’
अरुण के अनुसार वह केंद्र और राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करते हैं. उन्हें सरकार से इसके लिए कोई धन नहीं मिलता है, मगर वे अनुमति के लिए सरकार पर निर्भर हैं.
निश्चित रूप से गूगल जैसी जगह की नौकरी छोड़कर अरुण की तरह एक नई राह पर चलना आज के समय में आसान नहीं है. मगर इसमें दो राय नहीं कि उनकी तरह कुछ कर गुज़रने का सपना अगर हम देखते हैं, तो कोई भी मंजिल पाना मुश्किल नहीं.